ईद 2022: खुशी का दिन है ईद-उल-फित्र, अल्लाह से मिलता है तोहफा

Webdunia
चांद दिखने के साथ ही रमजान माह की समाप्ति तथा ईद-उल-फितर ( Eid-ul-Fitr 2022) मनाई जाएगी। भारत में ईद 03 मई को मनाई जा सकेगी। 'ईद-उल-फित्र' दरअसल दो शब्द हैं। 'ईद' और 'फित्र'। असल में 'ईद' के साथ 'फित्र' को जोड़े जाने का एक खास मकसद है। वह मकसद है रमजान में जरूरी की गई रुकावटों को खत्म करने का ऐलान। साथ ही छोटे-बड़े, अमीर-गरीब सबकी ईद हो जाना। यह नहीं कि पैसे वालों ने, साधन-संपन्न लोगों ने रंगारंग, तड़क-भड़क के साथ त्योहार मना लिया व गरीब-गुरबा मुंह देखते रह गए।
 
शब्द 'फित्र' के मायने चीरने, चाक करने के हैं और ईद-उल-फित्र उन तमाम रुकावटों को भी चाक कर देती है, जो रमजान में लगा दी गई थीं। जैसे रमजान में दिन के समय खाना-पीना व अन्य कई बातों से रोक दिया जाता है। ईद के बाद आप सामान्य दिनों की तरह दिन में खा-पी सकते हैं।
 
गोया ईद-उल-फित्र (eid ul fitr importance) इस बात का ऐलान है कि अल्लाह की तरफ से जो पाबंदियां माहे-रमजान में तुम पर लगाई गई थीं, वे अब खत्म की जाती हैं। इसी फित्र से 'फित्रा' बना है। फित्रा यानी वह रकम जो खाते-पीते, साधन संपन्न घरानों के लोग आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को देते हैं। ईद की नमाज से पहले इसका अदा करना जरूरी होता है। इस तरह अमीर के साथ ही गरीब की, साधन संपन्न के साथ साधनविहीन की ईद भी मन जाती है।
 
असल में ईद से पहले यानी रमजान में जकात अदा करने की परंपरा है। यह जकात भी गरीबों, बेवाओं व यतीमों को दी जाती है। इसके साथ फित्रे की रकम भी उन्हीं का हिस्सा है। इस सबके पीछे सोच यही है कि ईद के दिन कोई खाली हाथ न रहे, क्योंकि यह खुशी का दिन है। 
 
यह खुशी खासतौर से इसलिए भी है कि रमजान का महीना जो एक तरह से परीक्षा का महीना है, वह अल्लाह के नेक बंदों ने पूरी अकीदत (श्रद्धा), ईमानदारी व लगन से अल्लाह के हुक्मों पर चलने में गुजारा। इस कड़ी आजमाइश के बाद का तोहफा ईद है। 
 
किताबों में आया है कि रमजान में पूरे रोजे रखने वाले का तोहफा ईद है। इस दिन अल्लाह की रहमत पूरे जोश पर होती है तथा अपना हुक्म पूरा करने वाले बंदों को रहमतों की बारिश से भिगो देती है। अल्लाह पाक रमजान की इबादतों के बदले अपने नेक बंदों को बख्शे जाने का ऐलान फरमा देते हैं। 
 
ईद की नमाज के जरिए बंदे खुदा का शुक्र अदा करते हैं कि उसने ही हमें रमजान का पाक महीना अता किया, फिर उसमें इबादतें करने की तौफीक दी और इसके बाद ईद का तोहफा दिया। तब बंदा अपने माबूद (पूज्य) के दरबार में पहुंचकर उसका शुक्र अदा करता है। सही मायनों में तो ये मन्नतें पूरी होने का दिन है। 
 
इन मन्नतों के साथ तो ऊपर वाले के सामने सभी मंगते बनने को तैयार हो जाते हैं। उस रहीमो-करीम (अत्यंत कृपावान) की असीम रहमतों की आस लेकर एक माह तक मुसलसल इम्तिहान देते रहे। कोशिश करते रहे कि उसने जो आदेश दिए हैं उन्हें हर हाल में पूरा करते रहें। 
 
चाहे वह रोजों की शक्ल में हो, सहरी या इफ्तार की शक्ल में। तरावीह की शक्ल में या जकात-फित्रे की शक्ल में। इन मंगतों ने अपनी हिम्मत के मुताबिक अमल किया, अब ईद के दिन सारे संसार का पालनहार उनको नवाजेगा। असल में ईद-उल-फित्र अल्लाह की कड़ी आजमाइश के बाद दिया जाने वाला एक खास तोहफा है, जो ईद पर खुशियां जाहिर करने तथा अमीर-गरीब का फासला मिटाने वौर असहायों की मदद करके अल्लाह की रहमत पाने का सबसे खास दिन भी है। 

ALSO READ: Eid-ul-Fitr : खुदा का इनाम, खुशियों का गुलदस्ता और रौनक का जश्न है ईद उल-फ़ित्र

ALSO READ: Eid-ul-Fitr 2022 : ईद उल-फ़ित्र के दिन करते हैं ये खास कार्य, आप भी जानिए

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Samrat ashok jayanti 2024 : सम्राट अशोक महान के जीवन के 10 रहस्य

mahavir jayanti | महावीर जयंती कब है 2024 में?

Ram Navami 2024: रामनवमी के दिन ऐसे करें भगवान राम और हनुमान जी की पूजा

Vastu : किचन के ऊपर बेडरूम है तो होंगे 3 नुकसान, कारण और समाधान

प्रभु श्रीराम के जन्म समय के संबंध में मतभेद क्यों हैं?

Chandal Yog: चांडाल योग क्या होता है, काल सर्प दोष से भी ज्यादा खतरनाक होता है गुरु चांडाल योग

Mahavir jayanti 2024: भगवान महावीर स्वामी अपने पूर्वजन्म में क्या थे?

19 अप्रैल 2024 : आपका जन्मदिन

19 अप्रैल 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

Vastu : वास्तु शास्त्र के अनुसार कौनसी दिशा का है कौनसा रंग

अगला लेख