उत्तर रामायण : लव कुश ने सुनाई राम कथा और पूरा नगर रोने लगा

अनिरुद्ध जोशी
शनिवार, 2 मई 2020 (16:49 IST)
वाल्मीकि रामायण में प्रभु श्रीराम के पुत्र लव और कुश की गाथा का बहुत ही मार्मिक वर्णन किया गया है। सीता जब गर्भवती थीं तभी श्रीराम के कहने पर लक्ष्मण उन्हें वाल्मीकि आश्रम छोड़ आए थे। लव और कुश का जन्म वहीं हुआ और वहीं उनका पालन पोषण, शिक्षा और दीक्षा का कार्य भी हुआ।
 
 
लव और कुश की पढ़ाई-लिखाई से लेकर विभिन्न कलाओं में निपुण होने के पीछे महर्षि वाल्मीकि का ही हाथ था। उन्होंने ही दोनों राजकुमारों को हर तरह की शिक्षा और विद्या में परंगत किया। महर्षि वाल्मीकि ने रामायण लिखी और लव एवं कुश ने जब होश संभाला तब उन्होंने दोनों भाइयों को रामायण कंठस्थ करा दी। रामायण कंठस्थ करते वक्त दोनों को यह नहीं ज्ञात था कि वे उनके माता पिता की गाथा है। वे अपनी माता को वनदेवी समझते थे। रामकथा कंठस्थ करते वक्त लव और कुश के मन में कई प्रश्न थे। पहला यह कि राम ने आखिर प्रजा के कहने पर माता सीता को क्यों छोड़ दिया?
ALSO READ: उत्तर रामायण : वाल्मीकि आश्रम में सीता ने बदल लिया था अपना नाम
एक बार श्रीराम ने अश्वमेध यज्ञ किया और यज्ञ का श्वेत अश्व (घोड़ा) छोड़ दिया। यह घोड़ा भटकते हुए जंगल में वाल्मीकि आश्रम के नजदीक पहुंच गया। वहां लव और कुश ने इसे पकड़ लिया। घोड़ा पकड़ने का अर्थ है अयोध्या के राजा को चुनौती देना। तब दोनों ने भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्‍न, सुग्रीव आदि सभी से युद्ध किया और सभी को पराजित कर दिया। साथ ही उन्होंने हनुमानजी को बंधक बना लिया।
 
यह सुनकर राम स्वयं युद्ध करने के लिए आए और जब राम ने अपना बाण धनुष पर चढ़ाया तभी ऋषि वाल्मीकि आ गए और कहने लगे कि आप ये क्या कर रहे हैं? बालकों पर तीर चला रहे हैं। तब वाल्मीकि राम और लव कुश को समझाकर युद्ध को रोकते हैं और लव एवं कुश से कहते हैं कि ये तुम्हारे पिता के समान हैं इनसे क्षमा मांगो। दूसरी ओर वे बंधक बने हनुमानजी से कहते हैं कि आप ये अश्वमेध का घोड़ा ले जाइये।
ALSO READ: उत्तर रामायण : जानिए कौन हैं लव और कुश के वंशज
उधर, ये बात वनदेवी (सीता) को पता चली है। तभी लव और कुश आ जाते हैं और वे कहते हैं कि हां माता आपने सही सुना। हमने शत्रुघ्‍न, भरत, लक्ष्मण सहित उनकी सेना को परास्त कर दिया। यह सुनकर माता सीता अवाक् रह जाती और दुखी भी होती है।
 
फिर लव और कुश कहते हैं कि हमने तो हनुमानजी को भी बंधक बना लिया था। यह सुनकर माता सीता कहती हैं कि ये तुमने क्या किया वो तो मेरे पुत्र के समान है। तुमसे पहले तो वह मेरे पुत्र है। यह कहते हुए माता सीता रोने लगती है। यह देखकर लव और कुश भी अचरज से माता को देखते हैं। फिर वो कहते हैं कि हमसे लड़ने तो स्वयं अयोध्या के राजा राम आए थे। माता सीता पूछती है क्या राम आए थे और क्या तुमने उन पर बाण उठाया? 
 
लव और कुश कहते हैं कि नहीं माता, हमारे बाण तो पहले से ही उठे हुए थे। यह सुनकर माता सीता दुखी होकर रोने लगती है कि हे पुत्र आज तुमने घोर पाप कर दिया। इसका तो प्रायश्चित भी नहीं हो सकता। माता को रोता देखकर लव और कुश की आंखों में भी आंसू आ जाते हैं।
ALSO READ: उत्तर रामायण : काकभुशुंडी की 5 खास बातें
तब माता सीता रोती बिलखती हुई हुई बोलती हैं कि यह तो घोर पाप है प्रभु। कोई पुत्र अपने पिता पर कैसे बाण उठा सकता है। अब मैं कैसे इसका प्रायश्‍चित करूंगी? यह सुनकर लव और कुश को आघात लगता है। उनकी आंखों से झरझर आंसुओं की नदियां बहने लगती है और वो माता सीता से पूछते हैं, तो क्या अयोध्या के राजा हमारे पिता है? माता सीता रोती रहती है। 
 
लव कुश फिर पूछते हैं तो क्या आप वो अभागी सीता हैं जिसे श्रीराम ने छोड़ दिया था? माता सीता रोते हुए कहती है कि जिसका पति भगवान हो वह कैसे अभागी हो सकती है? तभी वहां वाल्मीकि ऋषि आ पहुंचते हैं और वे रोते हुए लव और कुश को कहते हैं कि हां ये तुम्हारी मां सीता है और प्रभु श्री राम तुम्हारे पिता है।
 
लव और कुश फिर रोते हुए पूछते हैं तो गुरुजी आपने अब तक यह बात हमसे क्यों छिपाकर रखी? वाल्मीकि कहते हैं कि हर बात को बताने का उचित समय होता है। फिर वाल्मीकि समझाते हैं कि इसमें तुम्हारे पिता का कोई दोष नहीं यह तो अयोध्या की प्रजा का ही दोष है और अब वक्त आ गया है तो तुम राम और सीता की कथा को उन्हें सुनाओ। 
 
वाल्मीकि ऋषि की आमा से लव और कुश संपूर्ण अयोध्या में घूम-घूम कर राम और सीता की कथा के साथ ही माता सीता की व्यथा को भी गाकर सुनाते हैं। यह सुनकर अयोध्यावासियों का रो-रोकर बुरा हाल हो जाता है।
ALSO READ: उत्तर रामायण : लव और कुश का जीवन परिचय
जब यह बात श्रीराम को पता चलती है कि कोई ऋषि कुमार संपूर्ण नगर में राम कथा सुना रहे हैं तो श्रीराम उन दोनों को अपने पास बुलाते हैं और उन्हें देखकर कहते हैं कि अरे तुम तो वही हो जिन्होंने हमारे यज्ञ का घोड़ा पकड़ लिया था। लव और कुश उनके चरणों में झुककर उनसे कहते हैं कि आप हमारे पिता समान है राजा। आप हमें आज्ञा दीजिए कि क्या करना है?
 
तब श्रीराम उनसे कहते हैं कि हमने सुना है कि तुम राम कथा सुना रहे हो? तब लव और कुश कहते हैं कि हां हमारे गुरु ने हमें यह कथा हमें सुनाई है। फिर श्रीराम कहते हैं कि क्या तुम यह कथा हमारे राज दरबार में सुनाओंगे? लव और कुश कहते हैं- हे राजन आप आज्ञा देंगे तो अवश्य सुनाएंगे।
 
फिर लव और कुश प्रतिदिन दरबार में श्रीराम कथा सुनाते हैं और कथा के अं‍त में वे सीता माता के वाल्मीकि आश्रम में गुजारे कठिन समय का वर्णन करते हैं। सीता माता की कथा सुनकर सभा में उपस्थित लक्ष्मण, शत्रुघ्न, भरत, जनक, कौशल्या, सुमित्रा, कैकेयी, ऋषि वशिष्ठ और प्रजाजनों की आंखों से आंसुओं की नदियां बहने लगती है। तब अंत में इसी कथा के दौरान वे ये प्रकट कर देते हैं कि हम उसी सीता के पुत्र हैं। यह सुनकर संपूर्ण राम दरबार स्तब्ध और आवाक् रह जाता है। जय श्रीराम।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Vrishabha Sankranti 2024: सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश से क्या होगा 12 राशियों पर इसका प्रभाव

Khatu Syam Baba : श्याम बाबा को क्यों कहते हैं- 'हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा'

Maa lakshmi : मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पर चढ़ाएं ये 5 चीज़

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

Guru Gochar 2025 : 3 गुना अतिचारी हुए बृहस्पति, 3 राशियों पर छा जाएंगे संकट के बादल

19 मई 2024 : आपका जन्मदिन

19 मई 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Chinnamasta jayanti 2024: क्यों मनाई जाती है छिन्नमस्ता जयंती, कब है और जानिए महत्व

Narasimha jayanti 2024: भगवान नरसिंह जयन्ती पर जानें पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Vaishakha Purnima 2024: वैशाख पूर्णिमा के दिन करें ये 5 अचूक उपाय, धन की होगी वर्षा

अगला लेख