प्रभु श्रीराम ने की थी इन संतों की सेवा

अनिरुद्ध जोशी
सोमवार, 8 फ़रवरी 2021 (17:16 IST)
प्रभु श्रीराम ने देश के सभी संतों के आश्रमों को बर्बर लोगों के आतंक से बचाया। इसका उदाहरण सिर्फ 'रामायण' में ही नहीं, देशभर में बिखरे पड़े साक्ष्यों में आसानी से मिल जाएगा। 
 
विश्वामित्र को ताड़का और सुबाहु के आतंक से मुक्ति दिलाई। सुंदरवन में ऋषि रहते थे। सुंदरवन को पहले ताड़का वन कहा जाता था। राम के तीर से बचने के बाद ताड़का पुत्र मारीच ने रावण की शरण ली थी। मारीच लंका के राजा रावण का मामा था। इसके अलवा उन्होंने वाल्मीकि, अत्रि और ऋषि मतंग ही नहीं, सैकड़ों ऋषियों के आश्रम को उन्होंने वेद ज्ञान और ध्यान के लिए एक सुरक्षित स्थान बनाया था।
 
उन्होंने चित्रकूट में रहकर धर्म और कर्म की शिक्षा-दीक्षा ली। यहीं पर वाल्मीकि और मांडव्य आश्रम था। यहीं पर से राम के भाई भरत उनकी चरण पादुका ले गए थे। चित्रकूट के पास ही सतना में अत्रि ऋषि का आश्रम था। अत्रि को राक्षसों से मुक्ति दिलाने के बाद प्रभु श्रीराम दंडकारण्य क्षेत्र में चले गए, जहां आदिवासियों की बहुलता थी। यहां के आदिवासियों को बाणासुर के अत्याचार से मुक्त कराने के बाद प्रभु श्रीराम 10 वर्षों तक आदिवासियों के बीच ही रहे। दंडक वन में ही उन्होंने कबंध, विराध, मारीच, खर और दूषण का भी वध किया था। 
 
वर्तमान में करीब 92,300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले इस दंडकारण्य इलाके के पश्चिम में अबूझमाड़ पहाड़ियां तथा पूर्व में इसकी सीमा पर पूर्वी घाट शामिल हैं। दंडकारण्य में छत्तीसगढ़, ओडिशा एवं आंध्रप्रदेश राज्यों के हिस्से शामिल हैं। इसका विस्तार उत्तर से दक्षिण तक करीब 320 किमी तथा पूर्व से पश्चिम तक लगभग 480 किलोमीटर है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

बुद्ध जयंती कब है, गौतम सिद्धार्थ नेपाली थे या भारतीय?

अमरनाथ यात्रा के बीच इन 5 कठिनाइयों का करना पड़ता है सामना

लाल किताब के अनुसार किस्मत का ताला खोलने के क्या है अचूक उपाय

गोल्ड पहन रखा है तो हो जाएं सावधान, पहले जान लें कि इसके क्या है नुकसान और सावधानियां

जगन्नाथ मंदिर के गुंबद पर स्थित नीलचक्र और ध्वज का रहस्य जानकर चौंक जाएंगे

सभी देखें

धर्म संसार

क्या सच में ओडिशा का जगन्नाथ मंदिर जलमग्न हो जाएगा, क्या कहती है भविष्यवाणी

उत्तराखंड की छोटा चार धाम यात्रा पर जाने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

ज्योतिष के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए ज्योतिषाचार्य डॉ. प्रेम कुमार शर्मा और उनकी पुत्री मनीषा कौशिक सम्मानित

Aaj Ka Rashifal: 21 अप्रैल का दैनिक राशिफल, आपकी राशि के लिए आज का भाग्यफल

21 अप्रैल 2025 : आपका जन्मदिन

अगला लेख