तबाही से पहले केदारनाथ (देखिए फोटो)

सुधीर शर्मा

देवभूमि उत्तराखंड चारधाम की तीर्थयात्रा के लिए ही नहीं, ‍बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाता है। देश ही नहीं, विदेशी पर्यटक भी उत्तराखंड की इस खूबसूरती के नजारों को देखने के लिए भारत आते हैं। 16 जून 2014 की वह तारीख थी, जब केदारनाथ में हुई त्रासदी से हजारों घरों में मातम का माहौल छा गया। आज उस त्रासदी की दूसरी बरसी है। इस दूसरी बरसी पर विशेष सामग्री पढ़िये...


चारधाम यात्रा में ईश्वरीय दर्शन के साथ लोगों को प्रकृति के सामीप्य का भी अहसास होता था। खूबसूरत पहाड़, बहते झरने, पेड़-पौधे यानी वह सबकुछ जो आंखों को सुकून दे। 16-17 जून की रात को आए सैलाब ने केदारनाथ में तो तबाही मचाई ही, उत्तराखंड के प्राकृतिक नजारों को भी तहस-नहस कर दिया। चारधामों में अहम बद्रीनाथ में जहां इन दिनों पूरी तरह चहल-पहल रहा करती थी, आज वहां सन्नाटा पसरा है।

तबाही के मंजर की तस्वीरें तो आपने देखी होंगी। हम आपको दिखाते हैं जलप्रलय से पहले केदारनाथ और उत्तराखंड की तस्वीरें। चारधाम यात्रा पर गए इंदौर‍ निवासी सचिन हेमंत ने तबाही से पहले इन प्राकृतिक नजारों को अपने कैमरे में कैद किया। इन तस्वीरों को देखकर आप कह सकते हैं कि उत्तराखंड क्यों लोगों को अपनी ओर बुलाता था।

आगे है कैसे - गुलजार रहता था रामबाड़ा बाजा र...


केदारनाथ मंदिर के सामने ऐसे गुलजार रहता था रामबाड़ा बाजार। दुकानें और श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए धर्मशालाएं बनी हुई थीं। सरकार आगामी तीन वर्ष तक चारधाम यात्रा मुमकिन न हो सकने की घोषणा कर चुकी है, लेकिन इस क्षेत्र के लोग जो इस यात्रा पर ही निर्भर थे, वे अब बर्बादी की कगार पर हैं।

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आगे है- गौरीकुंड जाने का रास्त ा...


गौरीकुंड जाने का रास्ता। इन श्रद्धालुओं को शायद ही पता हो कि जलप्रलय का तांडव इन रास्तों को लील जाएगा। सड़कें व इन्फ्रस्ट्रक्चर पूरी तरह बरबाद हो चुका है। इन्हें फिर से बनवाने में कई साल लगेंगे।

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आगे है- दुर्गम रास्तों से कैसे चलकर जाते थे श्रद्धालु...


इन्ही दुर्गम रास्तों से चलकर तीर्थयात्री केदारबाबा के दर्शन के लिए जाते थे। सैलाब के बाद ये रास्ते पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं।

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आगे है- प्रकृति की सुंदरता...


उत्तराखंड के चारधामों की यात्रा इन रास्तों से तय की जाती है। प्रकृति की सुंदरता निहारते लोग बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमनोत्री, गंगोत्री दर्शन करने पहुंचते हैं।

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आगे है- स्वागत द्वार


केदारनाथ के लिए यहीं से शुरू होती है यात्रा। श्रद्धालुओं का स्वागत करता केदारनाथ नगर पंचायत का यह द्वार भी अब तबाही की भेंट चढ़ चुका है।

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हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि स्वर्ग जाने का रास्ता चारधामों से ही जाता है। महाभारत में उल्लेख है कि पांडव यहीं से स्वर्ग गए थे। केदारनाथ के रास्ते पर बना पुल, जो सैलाब में बह चुका होगा।

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11 हजार 700 फुट की ऊंचाई पर बने केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालु टट्‍टुओं और खच्चरों का प्रयोग करते हैं।
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उत्तराखंड का प्राकृतिक नजारा। पहाड़ों और पेड़ों के बीच जल की अटखेलियां। बीच में बने सुंदर रिसोर्ट।

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केदारनाथ मंदिर के बाहर रिमझिम बरसते पानी के बीच श्रद्धालुओं की भीड़ इस बात से अनजान कि बूंदों में बरसता जल, प्रलय का रूप ले लेगा।

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आकाश को स्पर्श करते पहाड़, कलकल बहती नदी, शांति और सुकून का अहसास कराते हैं।

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कभी इन दुर्गम रास्तों पर कभी धूप खिल जाती है तो कभी बारिश होने लगती है। बूंदों और धूप के मिलन से बना इंद्रधनुष अपनी छटा बिखेर रहा है।

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इस फोटो को देखकर कहा जा सकता है कि बादल पहाड़ों पर अठखेलियां कर रहे हों। श्रद्धालुओं को लगता है मानो वे बादलों की सैर कर रहे हों।

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पहाड़ों और जंगलों के बीच कलकल करती नदी की धारा। यह दृश्य हर किसी का मन मोह लेगा।

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केदारनाथ मंदिर से 60 किलोमीटर दूर प्रकृति की गोद में बना जीएमवीएन का खूबसूरत रिसोर्ट, जिसे जल सैलाब अपने साथ बहा ले गया।

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पहाड़ के नीचे बहती नदी की धारा। धारा के पास से ही तीर्थयात्रियों के मंदिरों तक पहुंचने का रास्ता बना हुआ है।

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इस तस्वीर को देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि चारधाम की यात्रा कितनी कठिन होती है। एक तरफ पहाड़ है तो दूसरी ओर हजारों फुट गहरी खाई। ये दुर्गम रास्ते भी श्रद्धालुओं की आस्था के आगे नतमस्तक हो जाते हैं। (सभी चित्र: सचिन हेमंत)

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