नंदादेवी राजजात यात्रा पहुंची वेदनी

Webdunia
सोमवार, 1 सितम्बर 2014 (13:28 IST)
नंदादेवी राजजात यात्रा यहां पहुंचने पर पूरा वेदनी बुग्याल रविवार को टेंट कॉलोनी बन गया। 45 हजार से अधिक श्रद्धालु नंदादेवी राजजात के बहाने वेदनी पहुंचे। सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाएं इस भीड़ के सामने टिक न सकीं। सरकार ने साढ़े चार सौ टेंट लगवाए थे, लेकिन यात्री 45 हजार तो भारी अव्यवस्था स्वाभाविक थी। 
प्रशासन के हाथ-पांव भीड़ देखकर फूलने लगे तो गैरोली पातल में तैनात तम्बू भी वेदनी लाए गए तथापि व्यवस्थाएं नहीं सुधर सकीं। वर्षा के कारण सभी को बचने के लिए टेंट की जरूरत थी। आज वेदनी बुग्याल में अवस्थित वेदनी कुंड में स्नान कर भगवती नंदा अपने अगले पड़ाव के लिए अग्रसर हो गईं। इस खूबसूरत मखमली घास के मैदान में अत्यधिक यात्रियों के आने से फ्लौरा फौना को भी गंभीर नुकसान पहुंचा है।

अव्यवस्थाओं के चलते चमोली जिलाधिकारी एवं एक सत्तारुढ़ पार्टी के विधायक को यात्रियों के गुस्से का शिकार होना पड़ा। यात्रियों ने यहां हेलीकाप्टर भी लौटा दिया, वे हेलीपैड पर धरना देने बैठ गए। स्वयं सरकार के प्रतिनिधि ने माना कि निर्जन पड़ावों में एक लाख यात्री पहुंच चुके हैं जबकि प्रशासनिक व्यवस्था पांच हजार की की गई थी। लगातार वर्षा के बीच कई यात्रियों को रात खुले आसमान में काटने को मजबूर होना पड़ा। 

लोहागंज से कंबल मंगवाकर जिलाधिकारी ने कुछ ठिठुरते यात्रियों को दिलाए भी लेकिन वे भी रात को कम पड़ गए। अब पुलिस प्रशासन कह रहा है कि वेदनी से आए मात्र छंतोलियों के साथ यात्री ही जाने दिए जाएंगे लेकिन यहां से पहले ही कई यात्री कूच कर जाने की सूचनाएं मिल रही हैं। वह है पातरनचौनियां, यहां और वेदनी के बीच आईटीबीपी के जवानों को लगाया गया है। आगे की व्यवस्था सरकार ने दो हजार यात्रियों के हिसाब से कर रखी है लेकिन यहां पहले ही कई यात्री पहुंच जाने से प्रशासन डरा-सहमा है।

आज राजजात यात्रा जहां पहुंचेगी वह जगह है पातर नचौनिया। मान्यता के अनुसार 14वीं सदी में कन्नौज के राजा यशोधवल भी राजजात में आए। राजा यशोधवल रानी बल्लभा के साथ अपने पुत्र और पुत्री क्रमश: जड़ील एवं जड़ीली को साथ लेकर इस यात्रा में गए। रानी बल्लभा उस वक्त गर्भवती थीं। हरिद्वार होता हुआ यह यात्री दल वाण ग्राम पहुंचा। उसके बाद आगे की निर्जन पड़ावों के लिए प्रचलित नियमों की अनदेखी कर जब राजा यशोधवल अपने नृतकियों, सैनिक और अन्य साजो-सामान के साथ आगे पहुंचे तो भगवती नंदा क्रोधित हो उठीं। 

यहां स्त्रियों के साथ रणकीधार से आगे जाने की मनाही है। खासकर गर्भवती स्त्रियों को यहां ले जाना मना है, जबकि राजा यशोधवल ने पातर नचौनियां जिसे निरालीधार कहा जाता था में नृतकियों का नृत्य करवाया। इस पर क्रोधित भगवती नंदा ने इन सबको सिला के रूप में परिवर्तित कर दिया तब से इस जगह का नाम ही पातरनचौनिया पड़ गया। इस बार यह यात्रा का पन्द्रहवां पड़ाव है। जबकि अन्य सालों में यहां चौदहवें दिन का पड़ाव होता था लेकिन इस बार वेदनी बुग्याल को भी एक अतिरिक्त पड़ाव के रूप में शामिल करने से यह पड़ाव एक दिन बाद आया है।

आज के पड़ाव पातरनचौनिया के बाद यात्रा मार्ग और दुरुह होता जाता है। लंबी चढ़ाई तय करने के बाद आगे की यात्रा करनी होती है। अब आगे दुरुह मार्ग के मद्‌देनजर इस बार आईटीबीपी राष्‍ट्रीय पर्वतारोहण संस्थान की टीमों के साथ एसडीआरएफ को भी जिम्मेदारी दी गई है। इस क्षेत्र में ब्रह्मकमल काफी मात्रा में पाया जाता है। इस क्षेत्र में यात्रा के गुजरते वक्त कई व्यापारी ब्रह्मकमलों को बोरे में भरकर यात्रियों को बेचते भी दिख जाते हैं। कहा जाता है कि ब्रह्मकमल राज्‍य का राज्‍य पुष्‍प भी है।

Show comments

स्वाति मालीवाल मामले पर क्या बोलीं प्रियंका गांधी

स्वाति मालीवाल बोलीं- मेरे साथ जो हुआ वो बहुत बुरा था, थप्पड़ मारा गया, केजरीवाल के PA के खिलाफ FIR

iQOO Z9x 5G : लॉन्च हुआ सबसे सस्ता गेमिंग स्मार्टफोन, धांसू फीचर्स

Weather Updates : उत्तर पश्चिम भारत में लू की चेतावनी, दिल्ली में 45 डिग्री पहुंचेगा पारा, कई राज्‍यों में ऑरेंज अलर्ट

घने जंगल में बेफिक्र सो रहा था हाथियों का ये परिवार, IAS ने वीडियो शेयर किया और फिर...

स्वाति मालीवाल मामले में गरमाई सियासत, NCW दफ्तर नहीं पहुंचे बिभव कुमार

उमर अब्‍दुल्‍ला के लिए राह आसान नहीं है बारामुल्‍ला में

Chardham Yatra : रजिस्ट्रेशन से लेकर Reel तक, क्या है चारधाम यात्रा के नए नियम?

west bengal : मालदा में बिजली गिरने से 11 लोगों की मौत

अपना बैंक अकाउंट करवा रहे हैं बंद? पहले जान लें ये 5 बातें