2010 के कश्मीर के टॉपर आईएएस अधिकारी ने इसलिए दिया इस्तीफा, अब लड़ेंगे चुनाव

सुरेश डुग्गर
बुधवार, 9 जनवरी 2019 (20:31 IST)
जम्मू। वर्ष 2010 में देशभर में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शीर्ष पर रहे शाह फैसल ने बुधवार को भारतीय मुसलमानों को हाशिये पर धकेलने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने कश्मीर में कथित हत्याओं के खिलाफ आईएएस से इस्तीफा देने का फैसला किया है। फैसल ने फेसबुक पर एक पोस्ट में यह घोषणा की।
 
उन्होंने लिखा कि कश्मीर में लगातार हत्याओं के मामलों और केंद्र सरकार की ओर से कोई गंभीर प्रयास नहीं होने के चलते, हिंदूवादी ताकतों द्वारा करीब 20 करोड़ भारतीय मुस्लिमों को हाशिये पर डालने की वजह से उनके दोयम दर्जे का हो जाने, जम्मू कश्मीर राज्य की विशेष पहचान पर कपटपूर्ण हमलों तथा भारत में अति-राष्ट्रवाद के नाम पर असहिष्णुता एवं नफरत की बढ़ती संस्कृति के विरुद्ध मैंने आईएएस से इस्तीफे का फैसला किया है।
 
35 साल के आईएएस ऑफिसर शाह फैसल ने सोमवार को वॉलंटरी रिटायरमेंट के लिए अप्लाई किया। कहा जा रहा है कि वे फारूक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस में शामिल होने वाले हैं। साथ ही उनकी घाटी की बारामुल्ला लोकसभा के चुनावी क्षेत्र पर नजर भी है।
 
रिपोर्ट में एक सरकारी अफसर के हवाले से कहा गया है कि उन्होंने वॉलंटरी रिटायरमेंट के लिए अप्लाई कर दिया है लेकिन इस प्रक्रिया में थोड़ा टाइम लगता है, उसके बाद ही कार्मिक विभाग इसे अप्रूव करेगा। अपना इस्तीफा मंजूर होने के बाद फैसल फारूक और उमर अब्दुल्ला से मिलेंगे। ये बात खुद पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कही।
 
उन्होंने बयान जारी करते हुए कहा है कि कश्मीर में हो रहीं मौतों के विरोध में वह भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार की ईमानदार कोशिशों की कमी नजर आती है। उन्होंने आरोप लगाया है कि करीब 20 करोड़ भारतीय मुस्लिम हिंदुत्ववादी ताकतों के हाथों गायब हो गए, हाशिए पर पहुंच गए और सेकंड क्लास नागरिक बनकर रह गए।
 
साथ ही फैजल ने यह भी आरोप लगाया है कि जम्मू कश्मीर की विशेष पहचान और भारतीय मेनलैंड में राष्ट्रभक्ति के नाम पर बढ़ती असहिष्णुता का विरोध करते हुए उन्होंने इस पद को छोड़ने का फैसला किया है।
 
फैजल ने अपने बयान में कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक, केंद्रीय जांच ब्यूरो और राष्ट्रीय जांच एजेंसी को तबाह कर देश के संविधान को बर्बाद किया जा सकता है, इसलिए इसे रोका जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि देश की चेतन आवाजों को ज्यादा वक्त के लिए दबाया नहीं जा सकता और असली लोकतंत्र हासिल करने के लिए रुकावट पैदा करने वाले माहौल को खत्म करना होगा। उन्होंने बताया है कि शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वह आगे की योजनाओं के बारे में बताएंगे।

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