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स्नाइपर हमलों के बाद भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई से मची खलबली

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सुरेश डुग्गर

, सोमवार, 12 नवंबर 2018 (10:45 IST)
जम्मू। इंटरनेशनल बॉर्डर और एलओसी पर तनातनी बढ़ गई है, क्योंकि पाकिस्तान की ओर से स्नाइपर हमलों में तेजी लाई गई, तो भारतीय पक्ष की ओर से की जाने वाली जवाबी कार्रवाई से दोनों ओर दहशत का माहौल पैदा हो गया है। उस पार भी भयानक तबाही हुई है जिसका परिणाम यह है कि भारतीय सीमा क्षेत्रों में रहने वालों की परेशानी अब पाकिस्तानी कार्रवाई है, जो किसी भी समय हो सकती है।
 
 
इंटरनेशनल बॉर्डर और एलओसी पर पाकिस्तान सेना ने स्नाइपर शॉट के हमलों को तेज कर दिया है। भारतीय सेना को नुकसान पहुंचाने के लिए सीमा में जगह-जगह तैनात स्पेशल सर्विस ग्रुप (एसएसजी) कमांडो की संख्या भी बढ़ाई गई है।
 
दरअसल, सितंबर 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से ही पाक सेना ने एसएसजी कमांडो सीमा पर तैनात किए थे। पिछले कुछ दिनों से इनकी संख्या बढ़ाई गई है। एसएसजी कमांडो स्नाइपर शॉट दागने में माहिर हैं। ये करीब 1 से 1.50 किलोमीटर की दूरी से सटीक निशाना लगा सकते हैं।
 
मौजूदा समय में एसएसजी कमांडो की कमान मेजर जनरल ताहिर मसूद के हाथों में है। वे कई दिनों से सीमा का दौरा करके उन जगहों पर शूटर तैनात करवा रहे हैं जिन जगहों पर भारतीय सेना की चौकियां नीचे हैं और दूर से नजर आ सकती हैं। ये कमांडो पाक सैनिकों के साथ तैनात रहते हैं। सभी कमांडो के पास अत्याधुनिक स्नाइपर राइफल हैं। ये हर समय भारतीय चौकियों पर नजर बनाए रखते हैं। जैसे ही कोई जवान मोर्चे से बाहर आता है तो उसी समय एसएसजी कमांडो स्नाइपर शॉट दाग देते हैं।
 
पाक सेना ने एसएसजी कमांडो को नौशहरा के उस पार भिंबर, जेमबर रेखास, कोटली आदि कई जगहों में तैनात कर रखा है। हर रोज इन कमांडों को नए लक्ष्य के साथ सीमा पर भेजा जाता है। बीजी सेक्टर के उस पार नेकयाल में भी कई कमांडो तैनात हैं। यहां से कई बार कमांडो स्नाइपर शॉट दाग चुके हैं।
 
एसएसजी कमांडो को कड़े निर्देश : सूत्रों की मानें तो पाक सेना ने एसएसजी कमांडो को कड़े निर्देश जारी किए हैं कि हर रोज भारतीय सेना के जवानों पर स्नाइपर शॉट दागकर अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाया जाए। यही कारण है कि पिछले कुछ दिनों से सीमा पार से स्नाइपर शॉट के मामले को बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
 
स्थिति यह है कि इंटरनेशनल बॉर्डर और एलओसी पर पाकिस्तान की तरफ से हो रही गोलाबारी की घटनाओं की वजह से सीमा पर बढ़ते तनाव को देखते हुए सीमांत किसानों को अब धान की फसल समेटने और गेहूं की बिजाई की चिंता सताने लगी है। तनाव को देखते हुए सुरक्षाबलों ने भी किसानों को फसल की कटाई का काम जल्द पूरा करने की सलाह दी है। हीरानगर सेक्टर में अभी तक कटाई का काम 50 प्रतिशत ही हो पाया है।
 
किसानों का कहना है कि हर साल फसल की कटाई के समय पाकिस्तान गोलाबारी शुरू कर देता है। गेहूं की कटाई के समय भी पाकिस्तान ने गोलाबारी की थी। दूसरा, बाहरी मजदूर भी पिछले कुछ सालों से क्षेत्र में कम आ रहे हैं। इस कारण किसानों को अपनी फसल समेटने में परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा कि धान की कटाई के बाद वे लोग गेहूं की फसल लगाते हैं। इस बार काम रुका हुआ है। इस तरह से एलओसी पर पाकिस्तान गोलाबारी करता आ रहा है। अगर इस क्षेत्र में भी गोलाबारी होती है तो किसानों की परेशानियां बढ़ जाएंगी।
 
उन्होंने कहा कि गोलाबारी से बचने के लिए तो सरकार ने पक्के बंकरों का निर्माण शुरू करवा दिया है लेकिन जब खेती ही नहीं होगी तो लोग अपनी गुजर-बसर कैसे कर पाएंगे? गोलाबारी से प्रभावितों की सुध लेने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्रालय की एक टीम ने भी पिछले साल सीमा क्षेत्रों का दौरा किया था। लोगों ने जो समस्याएं उन्हें बताई थीं, उनका समाधान नहीं हुआ।

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