भुवनेश्वर के सम अस्पताल में भीषण आग से 23 मरीजों की मौत

Webdunia
सोमवार, 17 अक्टूबर 2016 (23:45 IST)
भुवनेश्वर। ओड़िशा की राजधानी भुवनेश्वर में सोमवार को करीब साढ़े सात बजे सबसे आधुनिक सम अस्पताल  में भीषण आग लगने से 23 मरीजों की मौत हो गई। ज्यादातर मरीजों की मौत दम घुटने के कारण हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने इस घटना पर दु:ख जताते हुए उड़ीसा के स्वास्थ्य मंत्री अतनु एस नायक से बात की है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने मृतकों की संख्या 22 बताते हुए कहा कि शॉर्ट सर्किट से अस्पताल के डायलिसिस वार्ड में लगी, जो तेजी से आईसीयू में फैल गई। 

केंद्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री मोदी ने हरसंभव मदद देने का भरोसा दिलाया है। इस संबंध में प्रधानमंत्री ने पेट्रोलिम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्‍डा से भी बात की है। नड्‍डा ने कहा कि भुवनेश्वर में ही एम्स भी है और मरीजों को वहां भर्ती करने और उपचार करने के आदेश दिए गए हैं। एम्स में 25 मरीजों को भर्ती किया गया है और यहां पर  सभी कर्मचारियों की छुट्‍टी रद्द कर दी गई है। 
फायर ब्रिगेड के डीजी बीके बेहरा ने कहा कि डेढ़ घंटे के भीतर आग पर काबू पा लिया गया था। 7 फायर स्टेशनों के करीब 100 दमकलकर्मियों ने मोर्चा संभाला और जल्दी ही आग को बढ़ने से रोक दिया गया। आग इतनी विकराल थी कि अस्पताल के शीशे तोड़कर मरीजों को बाहर निकाला गया। स्थानीय फायर स्टेशन के अधिकारी रमेशचंद्र माझी ने बताया कि हमें शाम 7.41 पर आग लगने की खबर मिली और हम फौरन पहुंच गए। 

माझी के अनुसार पहली मंजिल पर आग लगने के बाद दूसरी मंजिल पर अफरातफरी मच गई। कई लोग तो वहां की खिड़की से पहली मंजिल पर कूदे। हमने बालकनी से करीब 35 मरीजों को बचाया। स्थानीय लोगों ने भी मरीज को नीचे लाने में मदद की। घटना के बाद 20 से 25 एंबुलेंस वहां पहुंच गई थीं। उन्होंने बताया कि पहली मंजिल पर डायलिसिस विभाग है और उसी से सटा आईसीयू विभाग। आग लगने के कारण मशीनों ने काम करना बंद कर दिया था, और चारों तरफ धुंआ ही धुंआ था। 

राहत कार्य  शुरू होने के पूर्व आग की बड़ी बड़ी लपटे देखी गई। वहां का मंजर बहुत भयानक था। चारों तरफ अफरातफरी मची थी। स्थिति का जायजा लेने के लिए देर रात उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक घटनास्थल पर पहुंचे हैं। इससे पूर्व प्रधानंमत्री मोदी ने पटनायक से बात की और पूरी घटना की जानकारी प्राप्त की। मोदी ने कहा ‍कि यदि मरीजों को दिल्ली के एम्स में लाना चाहें तो उसकी भी व्यवस्था की जाएगी। 

सरकार ने पूरी घटना के जांच के आदेश दे दिए हैं। राहत कार्य जारी है और अगल-बगल के 6 अस्पतालों में मरीजों को शिफ्ट किया गया है। इस अस्पताल में आईसीयू में 25 बैड हैं जबकि पूरे अस्पताल में 750 बैड हैं। 

सम अस्पताल को भुवनेश्वर का सबसे आधुनिक अस्पताल माना जाता है। यहां पर अलग-अलग राज्य के मरीज भी अपना उपचार कराने आते हैं। आग अस्पताल की पहली मंजिल पर लगी थीयह भी जानकारी मिली है कि आग लगने से मरने वालों में सभी मरीज हैं। 

2005 में सम अस्पताल की शुरुआत हुई थी। 2007-08 में इस अस्पताल को एमबीबीएस की मान्यता मिली थी जबकि 2011 में इसमें सभी तरह की आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं की शुरुअात हो गई थी। 

ओड़िशा की स्वास्थ्य सचिव आरती आहूजा का बयान : ओड़िशा की स्वास्थ्य सचिव आरती आहूजा ने कहा कि आग अस्पताल के पहली मंजिल स्थित डायलिसिस विभाग में लगी, जो देखते देकते फैल गई। इससे आईसीयू भी प्रभावित हुआ। उन्होंने कहा कि कैपिटल अस्पताल में अब तक कुछ मृत लोग लाए गए हैं। हालांकि, मैं हादसे में मारे गए लोगों की ठीक-ठीक संख्या नहीं बता सकती।’

बहरहाल, कैपिटल अस्पताल के अधीक्षक विनोद कुमार मिश्रा ने कहा, ‘हमने नौ शव प्राप्त किए हैं, जबकि पांच अन्य बहुत नाजुक हालत में हैं। मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है।’  भुवनेश्वर के अमरी अस्पताल के इकाई प्रमुख डॉ. सलिल कुमार मोहंती ने कहा, ‘कुल 37 मरीज हमारे कैजुअल्टी वॉर्ड में लाए गए हैं। हमारे डॉक्टरों ने आठ लोगों को मृत घोषित कर दिया है।’ इस बीच, प्रधानमंत्री मोदी ने ‘दिमाग झकझोर देने वाली’ घटना करार दिया।
 
मोदी ने ट्वीट किया, ‘ओड़िशा के अस्पताल में लगी आग में लोगों की जान जाने से काफी दुखी हूं। यह त्रासदी दिमाग को झकझोर देने वाली है। मेरी संवेदनाएं शोकाकुल परिवारों के साथ हैं।’ मोदी ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से भी बात की है और उनसे घायलों एवं प्रभावितों के लिए हरसंभव मदद सुनिश्चित करने को कहा है ।’
 
बहरहाल, कैपिटल अस्पताल के डॉक्टर ने कहा, ‘ज्यादातर पीड़ित हादसे की चपेट में आए सम अस्पताल की पहली मंजिल पर बनी आईसीयू में थे।’  सम अस्पताल की इमारत चार मंजिली है। अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि पुलिस आयुक्त कार्यालय और दमकल कर्मियों ने स्वयंसेवकों एवं अस्पताल कर्मियों के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चलाया, क्योंकि 500 से ज्यादा मरीज इमारत में फंसे हुए थे।
 
कई मरीजों को खिड़कियों के शीशे तोड़कर निकाला : आग पर काबू पाने के लिए कम से कम सात अग्निशमन वाहनों को लगाया गया और नाजुक हालत वाले मरीजों को अन्य अस्पतालों में भेजने के लिए एक दर्जन से ज्यादा एंबुलेंस लगाई गई। एक चश्मदीद ने कहा कि कई मरीजों को खिड़कियों के शीशे तोड़कर निकाला गया ।
 
एएमआरआई अस्पताल में 89 लोग मारे गए थे : साल 2011 में कोलकाता के एएमआरआई अस्पताल में भीषण आग लगी थी जिसकी चपेट में आने से 89 लोग मारे गए थे जिनमें 85 मरीज थे। कैपिटल अस्पताल के निदेशक बी बी पटनायक ने कहा कि कई पीड़ित सम अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थे और जीवन रक्षक प्रणाली पर रह रहे थे। उन्होंने कहा कि नाजुक तौर पर घायल हुए दो मरीजों को कैपिटल अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया है।
 
घटना की उच्च-स्तरीय जांच के आदेश : डॉ. पटनायक ने बताया कि कैपिटल अस्पताल के अलावा मरीजों को पास के अमरी अस्पताल, अपोलो अस्पताल, कलिंग अस्पताल, कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल और राज्य राजधानी क्षेत्र के कुछ अन्य अस्पतालों में भर्ती कराया गया। इस बीच, राज्य सरकार ने घटना की उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं । मेडिकल शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग के निदेशक मामले की जांच करेंगे। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अतनु एस नायक ने कहा कि यदि अस्पताल अधिकारियों को लापरवाही का दोषी पाया गया तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। (वेबदुनिया/भाषा) 
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