लखनऊ। कहते हैं राजनीति में कुछ भी संभव है और राजनीति में एक-दूसरे पर तीखे बाण चलाने वाले कब एक हो जाएं, इसका अंदाजा लगा पाना बेहद मुश्किल है। ऐसा ही कुछ अब उत्तर प्रदेश की राजनीति में देखने को मिल रहा है।
यहां पर बीजेपी के धुर विरोधी रहे समाजवादी पार्टी से विधायक व प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव एक समय जहां समय-समय पर बीजेपी पर चुनावी मंच पर हमलावर होते हुए नजर आए करते थे तो वहीं अब शिवपाल सिंह यादव की विचारधारा बीजेपी के प्रति बदलती जा रही है।उनका भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के प्रति रुख नरम होता जा रहा है।
सूत्रों की मानें तो शिवपाल यादव का बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के प्रति नरम रुख और बढ़ती नजदीकी उन्हें यूपी विधानसभा में विधानसभा उपाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठा सकती है और अगर ऐसा हुआ तो शिवपाल सदन में अपने भतीजे व नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव के बगल में ही बैठेंगे।क्योंकि विधानसभा उपाध्यक्ष की सीट सदन में ठीक नेता प्रतिपक्ष के बगल में ही होती है।
यादव वोट बैंक पर बीजेपी की नजर : पार्टी सूत्रों की मानें तो काफी लंबे समय से बीजेपी की नजर यादव वोट बैंक पर है और रणनीति के तहत बीजेपी यादव वोट बैंक में सेंधमारी करना चाहती है, जिसके चलते लंबे समय से मजबूत यादव चेहरे को पार्टी में शामिल करने की जुगत में बीजेपी लगी हुई है और सब कुछ ठीक रहा तो शिवपाल सिंह को यादव चेहरे के रूप में भारतीय जनता पार्टी प्रस्तुत करेगी और सम्मान के तौर पर उन्हें विधानसभा में उपाध्यक्ष बनाकर लोकसभा चुनाव 2024 में यादव वोट बैंक में सेंधमारी करने का प्रयास करेगी।
बीजेपी पहले भी अपना चुकी है रणनीति : सपा विधायक शिवपाल यादव के लिए भाजपा उसी तरह की रणनीति अपना सकती है,जैसी उसने तत्कालीन सपा विधायक नितिन अग्रवाल को विधानसभा उपाध्यक्ष बनाने के लिए अपनाई थी। इसमें वह कामयाब भी हुई।नितिन अग्रवाल सपा विधायक थे और राजनीतिक मतभेद के चलते भाजपा के साथ चले गए थे।
संसदीय परंपरा के अनुसार, विधानसभा अध्यक्ष सत्ता पक्ष का व उपाध्यक्ष विपक्ष का होता है।इसलिए तकनीकी तौर पर सपा विधायक नितिन अग्रवाल को भाजपा ने विपक्ष का प्रत्याशी मानते हुए उन्हें विधानसभा उपाध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित करवा दिया था।अब इतिहास जल्द खुद को दोहराए तो हैरत नहीं।