भाजपा पर नरम हुई शिवसेना...

Webdunia
मंगलवार, 3 नवंबर 2015 (18:19 IST)
मुंबई। कल्याण-डोंबीवली नगर निगम (केडीएमसी) के चुनावों में एकमात्र सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने, लेकिन बहुमत हासिल करने में मामूली रूप से चूकने के एक दिन बाद मंगलवार को शिवसेना ने भाजपा के साथ संघर्ष विराम के संकेत देते हुए कहा है कि चुनावों के दौरान जो कुछ भी होता है, वह अस्थाई होता है।
ज्ञात हो कि केडीएमसी चुनावों में भाजपा को हासिल हुए वोटों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। इन चुनावों के नतीजे सोमवार को घोषित किए गए थे।
 
शिवसेना ने मंगलवार को अपने मुखपत्र 'सामना' में एक संपादकीय में कहा, केडीएमसी चुनाव के प्रचार के दौरान भाजपा और शिवसेना के बीच बहुत कीचड़ उछला, लेकिन हमें जनता के जनादेश को आदरपूर्वक स्वीकार करना चाहिए। चुनाव के दौरान जो कुछ भी होता है, वह अस्थाई होता है और हमें पुरानी बातों को भूल जाना चाहिए। 
 
चुनाव से पहले शिवसेना के जिस आक्रामक रुख के कारण सहयोगी भाजपा के साथ उसके रिश्तों में एक नई गिरावट देखने को मिली थी, उसी आक्रामक रुख में नरमी के संकेत देते हुए शिवसेना ने कहा कि विकास सुनिश्चित करने के लिए हर किसी को साथ लेकर चलना चाहिए।
 
शिवसेना ने कहा, हम कल्याण और डोंबीवली के विकास को लेकर चिंतित हैं और इसलिए जनता हमें बहुमत के कगार पर लेकर आई है। विकास सुनिश्चित करने के लिए हमें सबको एकसाथ लेकर चलना सुनिश्चित करने की जरूरत है। 
 
इसी के साथ सत्ताधारी गठबंधन के सहयोगी दल शिवसेना ने यह भी इशारा दिया कि दूसरी नगर परिषदों में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। इसलिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को यह आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि उनकी सरकार के शासन के एक साल के भीतर जनता के मूड में बदलाव क्यों आ गया? 
 
संपादकीय में कहा गया, विधानसभा चुनाव के दौरान विदर्भ क्षेत्र भाजपा के पीछे दृढ़ता के साथ खड़ा था, लेकिन मंगलवार की तस्वीर ठीक वैसी नहीं है। कांग्रेस और राकांपा ने राज्य की कई नगर परिषदों में अच्छा प्रदर्शन किया है। मुख्यमंत्री को यह आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि एक साल के भीतर लोगों का मूड क्यों बदल गया? 
 
केडीएमसी चुनाव में कल शिवसेना एकमात्र सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी। 122 सदस्यीय निकाय में शिवसेना ने 52 सीटें हासिल कीं, लेकिन फिर भी वह बहुमत हासिल करने में नाकाम रही।
 
भाजपा 42 सीटें लेकर दूसरे स्थान पर रही, हालांकि पिछले चुनाव में महज नौ सीटें हासिल करने वाली इस पार्टी ने अपने प्रदर्शन में तेजी से सुधार किया है। राज ठाकरे के नेतृत्व वाली मनसे के हिस्से में नौ सीटें आईं, जबकि कांग्रेस और राकांपा तीन-तीन सीटों के साथ चौथे स्थान पर रहीं।
 
राज्य सरकार में सहयोगी होने के बावजूद भाजपा और शिवसेना ने इन दो शहरों के निकाय चुनावों से पहले विभिन्न मुद्दों पर एक-दूसरे पर कभी खत्म न होने वाली छींटाकशी के बीच अपने संबंध तोड़ लिए थे। (भाषा)
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