'ट्रेजेडी किंग' दिलीप कुमार जमा कराएं 20 करोड़ रुपए

Webdunia
बुधवार, 30 अगस्त 2017 (21:58 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आज 'ट्रेजेडी किंग' के नाम से मशहूर बीते जमाने के अभिनेता दिलीप कुमार से मुंबई की एक रियल एस्टेट फर्म को पार्ट पेमेंट के तौर पर शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री के पास 20 करोड़ रुपए जमा करने को कहा। इस रियल एस्टेट फर्म के साथ उनकी पाली हिल स्थित बेशकीमती संपत्ति को विकसित करने का समझौता एक दशक पहले खटाई में पड़ गया था।
 
अभिनेता ने प्राजीता डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ अपनी 2412 वर्ग गज की संपत्ति विकसित करने के लिए समझौता किया था। विवाद तब पैदा हुआ, जब कोई निर्माण नहीं किया गया और अभिनेता अपना प्लॉट वापस चाहते थे, जिसका कब्जा फर्म के पास था।
 
न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर की अध्यक्षता वाली पीठ ने बॉलीवुड अभिनेता को चार सप्ताह के भीतर डिमांड ड्राफ्ट के रूप में राशि जमा करने और फर्म को सूचित करने को कहा। 
 
पीठ ने कहा, 'इस तरह की सूचना मिलने पर प्राजीता को उसके द्वारा तैनात सभी सुरक्षाकर्मियों को हटा लेना होगा और मुंबई के पुलिस आयुक्त या पुलिस आयुक्त द्वारा नामित मुंबई पुलिस आयुक्त के कनिष्ठ किसी अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में ऊपर उल्लिखित सूचना की प्राप्ति की तारीख से सात दिनों के भीतर उस संपत्ति का कब्जा अपीलकर्ता को सौंपना होगी।' 
 
पीठ ने कहा, 'पुलिस आयुक्त या उनके द्वारा नामित व्यक्ति को प्राजीता द्वारा अपीलकर्ता को सौंपी जाने वाली संपत्ति के तथ्यों का पंचनामा करना होगा और संपत्ति का कब्जा सौंपे जाने की तारीख से एक सप्ताह के भीतर इस अदालत की रजिस्ट्री में उसे दाखिल करना होगा।' 
 
पीठ ने कहा, 'पंचनामा दाखिल किए जाने पर प्राजीता को इस आदेश के अनुरूप अपीलकर्ता द्वारा जमा की गई 20 करोड़ रुपए की राशि निकालने की स्वतंत्रता होगी।' पीठ में न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर भी हैं।
 
अभिनेता पर फर्म का और बकाया होने के फर्म के दावे पर विचार करने के लिए शीर्ष अदालत ने उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी वेंकटरामा रेड्डी को मध्यस्थ नियुक्त किया। वह इस बात का फैसला करेंगे कि क्या प्राजीता 20 करोड़ रुपए की राशि के अलावा और क्षतिपूर्ति की हकदार है?
 
मार्च 2016 में शीर्ष अदालत ने दिलीप कुमार को राहत देते हुए निजी डेवलपर के साथ विवाद में मध्यस्थता होने तक कुमार के पाली हिल स्थित संपत्ति पर तीसरे पक्ष को अधिकार देने से उन्हें रोकने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। (भाषा)

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