इंदौर। 90 वर्ष की उम्र के होकर फिदेल कास्त्रो 25 नवम्बर 2016 को दुनिया से रुखसत हो गए। करीब 50 साल तो वे राजनीति सीधे तौर पर सक्रिय रहे लेकिन सन 2007 से उन्होंने सक्रिय राजनीति से विदा लेकर अपने आपको लिखने-पढ़ने वालों की जमात में शामिल कर लिया था और उनके लेख दुनिया के तमाम मसलों पर गहरी सोच समझ के साथ लगातार आते रहे।
अपने जीते जी किंवदंती बन जाने वाले लोगों में उनका नाम था लेकिन जो उनसे मिले हैं, उनका कहना है कि फिदेल कास्त्रो एक बहुत ही ज़िंदादिल, हंसमुख और कोमल दिल वाले इंसान का नाम था। इंदौर शहर के अनेक संगठनों ने कुछ दिन पहले ही फिदेल कास्त्रो का जन्मदिन मनाया था और क्यूबा तक अपने शुभकामना संदेश पहुंचाए थे, जिसके फलस्वरूप कास्त्रो की ओर से क्यूबा के दूतावास ने धन्यवाद का ईमेल भी भेजा था।
कास्त्रो के निधन पर भी शहर के अनेक प्रगतिशील और जनवादी सांस्कृतिक-राजनीतिक संगठनों ने उनके क्रांतिकारी जीवन की याद को जश्न के तौर पर मनाने का फैसला किया है। अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन (एप्सो), भाकपा, माकपा, एसयूसीआई (सी), इप्टा, जलेस, मेहनतकश, प्रलेस, रूपांकन और सन्दर्भ केंद्र ने संयुक्त रूप से 3 दिसम्बर को शाम 5 बजे रविंद्रनाथ ठाकुर मार्ग स्थित मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति में फिदेल कास्त्रो की याद में कार्यक्रम आयोजित किया है।
कार्यक्रम में फिदेल कास्त्रो के जीवन तथा क्यूबा की जनता संघर्षों पर केंद्रित फिल्म का प्रदर्शन किया जाएगा तथा वरिष्ठ पत्रकार लज्जाशंकर हरदेनिया (भोपाल), वरिष्ठ ट्रेड यूनियनिस्ट आलोक खरे तथा अर्थशास्त्री डॉक्टर जया मेहता अपनी क्यूबा यात्रा व प्रवास के संस्मरण सुनाएंगे। वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद मोहन माथुर कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे।