गुवाहाटी। ब्रह्मपुत्र और बराक नदियों में लगातार बढ़ रहे जलस्तर से असम में बाढ़ की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है क्योंकि और इलाके बाढ़ की चपेट में आ रहे हैं। अब तक 32 जिलों के 55 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। अधिकारियों के मुताबिक मई के मध्य से अब तक दो चरणों में आई बाढ़ की वजह से 89 लोगों की जान जा चुकी है।
अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने बुधवार को ट्रेन से नगांव का दौरा किया ताकि जिले में बाढ़ की स्थिति का आकलन किया जा सके। उन्होंने बताया कि सरमा का वहां के कुछ राहत शिविरों में भी जाने का कार्यक्रम था। अधिकारियों ने बताया कि नगांव बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित हुआ है और करीब 4 लाख 57 हजार 381 लोग प्रभावित हुए हैं जिनमें से 15 हजार 188 लोगों ने 147 राहत शिविरों में शरण ली है।
सीएम ने किया बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा : सरमा ने ट्वीट किया कि रेलगाड़ी से गुवाहाटी से बाढ़ प्रभावित चापरपमुख और कामपुर के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया। इस यात्रा से मुझे पटरियों के किनारे बाढ़ प्रभावित इलाकों को करीब से देखने को मिला जो बाढ़ से प्रभावित हैं और यह हमें उचित निर्णय लेने में मदद करेगा।
उन्होंने बताया कि कोपिली नदी के बाढ़ के पानी ने नगांव जिले के बड़े हिस्से को अपनी चपेट में ले लिया है और भविष्य में ऐसी आपदा से बचने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे। सरमा ने चापरमुख रेलवे स्टेशन पर लोगों से संवाद किया, जिन्होंने वहां पर शरण ली है और उनको मुहैया कराई जा रही राहत सामग्री की जानकारी ली।
हरसंभव मदद का भरोसा : उन्होंने कहा कि हर संभव मदद का भरोसा दिया। मैंने जिला प्रशासन को प्रभावित लोगों को पर्याप्त राहत सामग्री सुनिश्चित करने और तैयार रखने का निर्देश दिया। अधिकारियों ने बताया कि बराक घाटी के तीन जिलों कछार, करीमगंज और हैलाकांडी में स्थिति गंभीर बनी हुई क्योंकि बराक और कुशियारा नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और घाटी के बड़े हिस्से को अपनी चपेट में रहे हैं।
लाखों लोग प्रभावित : राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) के कर्मी कछार जिले में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के काम में लगे हैं, जबकि राज्य आपदा मोचन बल और अन्य एजेंसियों को बाकी के दो जिलो में तैनात किया गया है। कछार जिले में 506 गांवों के 2,16,851 लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं जबकि करीमगंज में 1,47,649 और हैलाकांडी में एक लाख बाढ़ से प्रभावित हुए हैं।
मुख्यमंत्री का बाढ़ की स्थिति का जायजा लेने के लिए सिलचर जाने का भी कार्यक्रम है। परिवहन मंत्री परिमल सुकलाबैद्य कछार जिले के सिलचर में डेरा डाले हुए हैं और बराक घाटी में स्थानीय विधायकों, तीनों जिलों के उपायुक्तों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलकर बाढ़ पर नजर रखे हुए हैं।
इस बीच, भारत में जापान के राजदूत सतोशी सुजुकी ने असम और मेघायल में हाल में आई बाढ़ के दौरान प्राण गंवाने वालों के परिवारों के प्रति संवेदना जताई है। मुख्यमंत्री ने असम के प्रति चिंता जताने पर जापान के राजदूत को धन्यवाद ज्ञापित किया है। ऑइल इंडिया ने असम में बाढ़ की स्थिति के मद्देनजर मुख्यमंत्री राहत कोष में 5 करोड़ रुपए का योगदान दिया है।
55 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ प्रभावित : अधिकारियों के मुताबिक असम के 36 जिलों में से 32 जिलों के 55,42,053 लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने यहां जारी बुलेटिन में बताया कि गत 24 घंटे के दौरान 7 और लोगों की मौत बाढ़ संबंधी घटनाओं में हुई है जिससे बाढ़ से मरने वालों की संख्या बढ़कर 89 हो गई है, जबकि कामरूप जिले में एक व्यक्ति लापता है।
बुलेटिन के मुताबिक बारपेटा जिला सबसे अधिक प्रभावित है, जहां पर 12,51,359 बाढ़ के साए में रह रहे हैं जबकि धुबरी में 5,94,708 और दर्रांग जिले में 5,47,421 लोग प्रभावित हुए हैं। बुलेटिन के मुताबिक मूसलाधार बारिश की वजह से आई बाढ़ से 121 राजस्व क्षेत्र और 5,577 गांव प्रभावित हुए हैं और 862 राहत शिविरों में 2,62,155 लोगों ने शरण ली है।
राहत सामग्री का वितरण : वहीं, जिन लोगों ने राहत शिविरों में शरण नहीं ली है, उन्हें 825 स्थानों पर राहत सामग्री बांटी जा रही है। केंद्रीय जल आयोग (CWC) के मुताबिक कोपिली नदी नगांव के कामपुर में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है जबकि ब्रह्मपुत्र नदी निमितियाघाट, तेजपुर, गुवाहाटी, कामरूप, गोलपाड़ा और धुबरी में खतरे से ऊपर बह रही है। पुथीमारी, पगलाडिया, बेकी बराक और कुशियारा सहित कई अन्य नदियों का जल स्तर भी खतरे के निशान से ऊपर है।
पुल टूटे, सड़कें तबाह : बाढ़ से 1083306.18 हेक्टेयर बुआई वाले इलाके और 36,60,173 मवेशी प्रभावित हुए हैं। बुलेटिन के मुताबिक, 7 स्थानों पर तटबंध टूटे हैं जबकि 316 सड़कें और 20 सेतु क्षतिग्रस्त हो गए हैं। बुलेटिन के मुताबिक काजीरंगा राष्ट्रीय अभयारण्य में 233 शिविरों से 26 पानी में डूब गए हैं और कम से कम 11 जानवरों की मौत हुई है।
वहीं, पोबितोरा वन्य जीव अभयारण्य के 25 शिविरों में से 14 बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, लेकिन किसी जानवर की मौत की खबर नहीं है। बक्सा, बिश्वनाथ, बोंगाईगांव, चिरांग, धुबरी, हैलांकांडी, लखीमपुर, मोरीगांव, लबाड़ी, सोनितपुर, दक्षिण सलमारा, तामुलपुर, तिनसुकिया और उदागुड़ी जिलों में नदियों के किनारे बड़े पैमाने पर जमीन कटने की खबर है।