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असम में बाढ़ से लाखों बेघर, 45 की मौत, बचाव कार्य में उतरी सेना

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BBC Hindi

, मंगलवार, 21 जून 2022 (08:46 IST)
दिलीप कुमार शर्मा, असम के उडियाना गाँव से
"हमारा घर पानी में डूब गया है। मैंने इससे पहले गाँव में इतनी भयावह बाढ़ कभी नहीं देखी थी। पिछले चार दिनों से अपने छोटे बच्चों के साथ सड़क के किनारे प्लास्टिक के तबूं से बने शिविर में रह रही हूँ। मेरे बेटे को दो दिन से बुखार है लेकिन बाढ़ के कारण मैं उसे डॉक्टर के पास नहीं ले जा सकती। यहाँ शिविर में पीने का पानी तक नहीं है। हम बहुत मुसीबत में है।"
 
असम के उडियाना गाँव की रहने वाली 28 साल की हुसना बेगम जब ये बातें कहती हैं तो उनका चेहरा बेबसी से उदास पड़ जाता है।
 
इसी गाँव में रहने वाली रोंजू चौधरी भी अपनी परेशानी कुछ इस कदर बताती है, "हमें चारों तरफ से बाढ़ के पानी ने घेर रखा है। लेकिन पीने के लिए एक बूंद भी नहीं है।"
 
वह कांपती हुई धीमी आवाज में कहती है, "सुना है, पानी और बढ़ रहा है। अब तो खाने-पीने का संकट भी होने लगा है। पता नहीं हमारा क्या होगा?"
 
भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम और मेघालय में बाढ़ का कहर लगातार जारी है। बाढ़ और भूस्खलन के कारण पिछले मंगलवार से अब तक असम और मेघालय में कम से कम 63 लोगों की मौत हो चुकी है।
 
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भारतीय सेना बुलाई गई
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार असम में पिछले सात दिनों में 45 लोगों की जान गई है जबकि मेघालय में मरने वालों की संख्या 18 बताई गई है।
 
असम के कई हिस्सों में बाढ़ में फंसे हज़ारों लोगों को बचाने के लिए अब भारतीय सेना के जवानों को बुलाया गया है।
 
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाढ़ की स्थिति की जानकारी लेने के लिए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से फ़ोन पर बात की है। इस दौरान पीएम मोदी ने केंद्र सरकार की तरफ़ से राज्य की हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया है।
 
इस साल असम में यह दूसरे चरण की बाढ़ है, जिसमें लाखों घर पानी में डूब गए हैं और कई इलाक़ों में परिवहन संपर्क पूरी तरह टूट गया है।
 
इस समय राज्य के कुल 35 से 32 ज़िले बाढ़ की चपेट में हैं। असम आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सोमवार शाम को जारी की गई बाढ़ रिपोर्ट में बताया है कि इस समय राज्य के 32 ज़िलों के 5424 गांव बाढ़ की चपेट में हैं।
 
बाढ़ की तबाही के कारण 47 लाख 72 हजार से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। असम सरकार ने बेघर हुए लोगों के लिए 1425 राहत शिविर खोले हैं जहाँ दो लाख 31 हजार 819 लोगों ने शरण ले रखी है।
 
बाढ़ के पानी में डूबने से 20 जून को और 11 लोगों की मौत हो गई, जिसमें दो बच्चे शामिल हैं। बाढ़ के पानी में डूबने से रविवार को एक सब-इंस्पेक्टर समेत दो पुलिसकर्मियों की मौत हो गई।
 
असम पुलिस के अनुसार, नौगांव ज़िले के कामपुर पुलिस स्टेशन की एक टीम रविवार देर रात बचाव अभियान में लगी हुई थी, उसी समय सब-इंस्पेक्टर समुज्जल काकोती और कॉन्स्टेबल राजीव बोरदोलोई बाढ़ के पानी में बह गए।
 
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लाखों लोग हुए बेघर
पिछले सप्ताह से लगातार हो रही भारी बारिश के कारण असम के अलावा मेघालय, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश में भी हज़ारों लोग बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित हुए हैं।
 
सरकार के अधिकारियों ने बीबीसी को बताया है कि अधिक बारिश के कारण इस बार इलाक़े में बाढ़ की स्थिति बहुत जटिल हो गई, जिससे यहाँ लाखों लोग बेघर हो गए।
 
असम में आई बाढ़ के पानी में एक लाख हेक्टेयर से अधिक फसल क्षेत्र प्रभावित हुआ है। इसके साथ ही सड़कें टूट गई हैं और रेल मार्ग बाधित हुए हैं।
 
लगातार हो रही बारिश और बाढ़ के प्रकोप को देखते हुए असम और मेघालय में स्कूलों को बंद कर दिया गया है। इस दौरान पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने 18 जून को एक बयान जारी कर एक दर्जन से अधिक यात्री ट्रेनों को रद्द करने की जानकारी दी है।
 
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बाढ़ में कामरूप ग्रामीण ज़िले के रंगिया सब -डिवीज़न के अंतर्गत आने वाले कई गांवों में भारी नुक़सान हुआ है। इस इलाक़े में अब भी सैकड़ों लोग बाढ़ में फंसे हुए हैं और सेना वहाँ बचाव कार्य में लगी है।
 
84 की बाढ़ से तुलना
हुसना बेगम का गाँव उडियाना भी रंगिया सब -डिवीज़न के तहत ही आता है। गुवाहाटी से राष्ट्रीय राजमार्ग 31 पर क़रीब 50 किलोमीटर आगे रंगिया शहर की तरफ़ बढ़ने पर सड़क की दोनों तरफ़ बाढ़ में डूबे गाँव दिखने लगते है।
 
उडियाना गाँव में प्रवेश करने के लिए बनी पक्की सड़क फ़िलहाल पानी के नीचे है, जहाँ लोग अब केले के पेड़ और बाँस से बनी नाव ( जिसे असमिया भाषा में भूर कहते है) से आना जाना कर रहे हैं। इस गांव में कई स्कूल, हेल्थ सेंटर, मंदिर-मस्जिद सब पानी में डूबे हुए हैं।
 
इसी गाँव के रहने वाले 64 साल के सिराज अली बाढ़ के कहर पर कहते है, "नोना नदी में आई बाढ़ ने हमारा सब कुछ तबाह कर दिया। इतनी बड़ी बाढ़ 1984 में आई थी लेकिन इस बार पूरा गाँव डूब गया है। बाढ़ ने हमारे गाँव को एक विशाल दरिया में तब्दील कर दिया है। घर पानी में डूबा हुआ है। मैं सामान की रखवाली के लिए घर पर ही रुका हुआ हूँ। परिवार के कुछ लोग और महिलाओं को सड़क किनारे शिविर में रखा है। अभी तक हमें किसी ने पीने का पानी तक नहीं दिया है। राशन भी नहीं मिला है। मैं तीन दिन से भूखा रह रहा हूँ। क्या करूं और किससे कहूँ।"
 
सिराज अली के घर के बिल्कुल सामने बाढ़ के पानी में डूबे अपने घर की खिड़की से आवाज लगाते हुए मोहम्मद रुबुल अली घर का फर्नीचर दिखाते हुए कहते है, "बड़ी मेहनत से एक-एक सामान जोड़ा था। साइकल, पलंग, कुर्सियां कुछ नहीं बचा। मैं दिहाड़ी मजदूरी कर अपना घर चलाता हूँ। लेकिन बाढ़ ने मेरा सब कुछ छीन लिया।"
 
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पूरा कस्बा पानी में डूबा
उडियाना और इसके आसपास के गाँवों में बरलिया और नोना नदियों का पानी घुस आने से स्थिति ज़्यादा भयानक हो गई है। केवल ग्रामीण इलाक़ा ही नहीं रंगिया कस्बे का लगभग पूरा इलाका बाढ़ के पानी के नीचे है।
 
रंगिया में तैनात सब डिविजनल ऑफिसर (सिविल) जावीर राहुल सुरेश ने बाढ़ की स्थिति पर बात करते हुए बीबीसी से कहा, "भूटान के पहाड़ी इलाक़ों में लगातार हो रही बारिश के कारण बीते तीन दिनों से पूरे रंगिया सब-डिवीजन में पानी घुस आया है। इसके अवाला एक तटबंध भी टूट गया था जिससे हालात और खराब हो गए।''
 
''इस समय हमारी प्राथमिकता लोगों की जान बचाना है। इसके लिए एनडीआरएफ और स्टेट डिजास्टर की टीम के अलावा सेना की एक टुकड़ी को भी बचाव कार्य में लगाया गया है। हमारे इस इलाक़े में एक लाख से अधिक आबादी बाढ़ की चपेट में है। लिहाजा प्रशासन की तरफ से बचाव और राहत के लिए जितना कुछ कर सकते हैं, उतना किया जा रहा है।"
 
बाढ़ पीड़ितों को पीने का पानी और राशन नहीं मिलने की शिकायतों का जवाब देते हुए आईएएस अधिकारी सुरेश कहते है,"कुछ इलाक़ों में पहुंचना अभी भी हमारे लिए चुनौती बनी हुई है। क्योंकि ऐसे कई ग्राम पंचायत इलाके है जो पूरी तरह कट गए है। वहाँ तक पहुंचने वाला हमारा रोड नेटवर्क पूरी तरह पानी में बर्बाद हो गया है। नाव की मदद से ही राहत पहुंचाने का काम चल रहा है। हम विलेज हेड के जरिए लोगों तक खाने-पीने का सामान पहुंचा रहे हैं।"
 
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को बाढ़ प्रभावित ज़िलों के जिला उपायुक्तों और एसडीओ के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग कर बाढ़ पीड़ितों को राहत के नाम पर दी जाने वाले राशन को लेकर मिल रही शिकायतों को तुरंत दूर करने का निर्देश दिया है। इस दौरान मुख्यमंत्री सरमा खासकर दरंग जिला उपायुक्त के खिलाफ राहत सामग्री वितरण में कोताही को लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुए भी नजर आए।
 
सामान्य से 125 फ़ीसद ज़्यादा बारिश
 
भारतीय सेना ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बाढ़ की चपेट में आए सैकड़ों लोगों को बचाने की जानकारी दी है।
 
गुवाहाटी में मौजूद सेना के जनसंपर्क अधिकारी एबी सिंह ने बताया कि असम के विभिन्न हिस्सों में सेना की 11 कम्पोजिट टुकड़ियों को राहत और बचाव कार्य में लगाया गया है। सेना ने अब तक करीब तीन हजार स्थानीय लोगों को बाढ़ के पानी से निकाल कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया है।
 
भारतीय मौसम विभाग की एक ताजा रिपोर्ट में अगले कुछ दिनों तक बारिश जारी रहने की संभावना जताई गई है ऐसे में राज्य सरकार अब बचाव कार्य में सेना की ज्यादा मदद लेने की योजना बना रही है।
 
असम आपदा प्रबंधन विभाग की रिपोर्ट में दी गई जानकारी के अनुसार असम के कई जगह ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों का पानी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। एशिया की सबसे बड़ी नदियों में से एक ब्रह्मपुत्र असम की मुख्य नदी और जीवन रेखा है और इसके अलावा राज्य में इसकी 13 सहायक नदियाँ हैं।
 
असम और मेघालय में पिछले सात दिनों में बुधवार तक सामान्य से 125 फीसदी अधिक बारिश हुई है। मेघालय के मौसिनराम और चेरापूंजी में 1940 के बाद इस बार रिकॉर्ड बारिश दर्ज की गई है।
 
मेघालय में लुमशनोंग पुलिस थाना क्षेत्र के तहत 16 जून को राष्ट्रीय राजमार्ग 6 का एक हिस्सा भारी बारिश के बाद हुए भूस्खलन के कारण टूट गया था। यह राजमार्ग दक्षिणी असम, मिजोरम, त्रिपुरा और मणिपुर के कुछ हिस्सों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। फिलहाल इस राजमार्ग पर परिवहन की आवाजाही ठप हो गई है।
 
इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को एक ट्वीट कर कहा कि एक अंतर-मंत्रिस्तरीय केंद्रीय दल नुकसान का आकलन करने के लिए असम और मेघालय के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेगा। उन्होंने यह जानकारी भी दी कि बाढ़ के पहले के दौर के बाद एक अंतर-मंत्रिस्तरीय केंद्रीय दल ने 26 मई से 29 मई, 2022 के बीच असम के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था।
 
असम में लगभग हर साल बाढ़ आती है, जिसमें हजारों लोग विस्थापित होते हैं और फसलों और संपत्ति को नुकसान पहुंचता है। पिछले मई महीने में आई भारी बाढ़ में भी असम में काफी जान-माल का नुकसान हुआ था। उस दौरान 39 लोगों की बाढ़ के कारण जान गई थी।

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