महाराष्ट्र में वनकर्मियों के पास सिर्फ लाठी, कर्नाटक में चप्पल पहनकर घूम रहे : उच्चतम न्यायालय

Webdunia
शुक्रवार, 8 जनवरी 2021 (22:36 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि महाराष्ट्र में वनकर्मियों के पास अपनी सुरक्षा करने के लिए सिर्फ लाठी है, जबकि कर्नाटक में वे चप्पल पहनकर घूमते देखे जा सकते हैं, ऐसे में वे भारी मात्रा में हथियारों से लैस शिकारियों से कानून एवं पर्यावरण की रक्षा कैसे करेंगे।

शीर्ष न्यायालय ने हैरानगी जताई कि असम में वन प्रहरी हथियारों से बखूबी लैस हैं, जबकि अन्य राज्यों में उनके पास पर्याप्त पोशाक भी नहीं है। न्यायालय ने कहा कि एक खास श्रेणी से ऊपर के अधिकारियों को शिकारियों से उनका बचाव करने के लिए हथियार, बुलेट प्रूफ जैकेट और हेलमेट मुहैया करने का आदेश जारी किय जा सकता है।

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना तथा न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की ओर से पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता, न्याय मित्र एडीएन राव और एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्त श्याम दीवान से उन उपायों के बारे में एक संयुक्त दलील सौंपने को कहा, जो वन संरक्षण और वन अधिकारियों तथा वनकर्मियों की जान की सुरक्षा के लिए अपनाये जा सकते हैं।

पीठ ने कहा, हमारा मानना है कि स्थिति गंभीर है और हमें यह नहीं समझ पा रहे हैं कि ये वन अधिकारी और वनकर्मी कैसे पर्यावरण एवं वन की सुरक्षा कर पाएंगे, जहां आमतौर पर विस्तृत क्षेत्र गैर-आबादी वाली है और शिकारी अपनी नापाक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए इस स्थिति का फायदा उठाते हैं।

न्यायालय ने कहा कि शहर में पुलिस संकट के समय में मदद मांग सकती है, लेकिन वन अधिकारी शिकारियों के हमला कर देने से संकट पैदा होने पर मदद तक नहीं मांग सकते। इसलिए इसके लिए कुछ इंतजाम होना चाहिए।

सीजेआई ने एक वन क्षेत्र की अपनी हालिया यात्रा को याद करते हुए कहा, पिछले महीने मैं महाराष्ट्र के एक जंगल में था और देखा कि वन अधिकारी सशस्त्र तक नहीं हैं। जब उन पर हमला होगा तो वे अपनी सुरक्षा कैसे कर पाएंगे? एसजी (सॉलीसीटर जनरल), हम चाहते हैं कि आप संभावनाएं तलाशें।

इन अपराधों पर रोक लगाने की जरूरत है।पीठ ने राव से पूछा कि ऐसी समस्या क्यों है कि कुछ राज्यों में वन अधिकारी हथियारों से लैस हैं जबकि अन्य में उनके पास पर्याप्त पोशाक तक नहीं है। राव ने कहा कि कुछ राज्यों द्वारा कोष का उपयोग नहीं करने के चलते वन अधिकारियों के पास पर्याप्त बुनियादी चीजें और सुरक्षा उपकरण नहीं हैं।

पीठ ने सुझाव दिया कि लकड़ी की तस्करी के जरिए तस्करों द्वारा धन शोधन करने के अपराध से निपटने के लिए प्रवर्तन निदेशालय की एक अलग वन्य जीव शाखा होनी चाहिए। न्यायालय ने कहा, महाराष्ट्र में वनकर्मियों के पास सिर्फ लाठी है, कर्नाटक में वन अधिकारी चप्पल पहनकर घूमते देखे जा सकते हैं, हम चाहते हैं कि एसजी अगली तारीख पर इस बारे में एक बयान दें कि कर्मियों को हथियार दिया जा रहा है...।(भाषा

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Lok Sabha Chunav : रायबरेली में प्रियंका गांधी संभाल रहीं भाई राहुल का चुनावी कैंपेन, PM मोदी को लेकर लगाया यह आरोप

Sandeshkhali Case : बैरकपुर में प्रधानमंत्री मोदी का दावा, बोले- प्रताड़ित महिलाओं को धमका रहे TMC के गुंडे

केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव में दी 10 गारंटी, कहा फेल हुआ भाजपा का प्लान

Gold ETF से निवेशकों ने अप्रैल में निकाले 396 करोड़, जानिए क्‍या है कारण...

FPI ने मई में की 17000 करोड़ से ज्‍यादा की निकासी, चुनाव काल में क्‍या है विदेशी निवेशकों का रुख

पाक अधिकृत कश्मीर में चौथे दिन भी हड़ताल जारी, स्थिति तनावपूर्ण

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की केजरीवाल को सीएम पद से हटाने वाली याचिका

Lok Sabha Elections LIVE: पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा, जम्मू कश्मीर में सबसे कम मतदान

पीएम मोदी आज शाम वाराणसी में, करेंगे 6 किलोमीटर लंबा रोड शो

CBSE 10th Result 2024 : सीबीएसई 10वीं बोर्ड का परीक्षा परिणाम घोषित, 93.6% विद्यार्थी उत्तीर्ण

अगला लेख