देहरादून। भाजपा ने हरकसिंह रावत को 6 साल के लिए पार्टी से बर्खास्त कर दिया है। धामी मंत्री मंडल से भी कैबिनेट मंत्री हरकसिंह रावत बर्खास्त हुए हैं। कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात की बातों के चर्चा में आने के बाद बीजेपी ने यह कार्रवाई की है।
आज रविवार शाम को ही हरकसिंह रावत दिल्ली पहुंचे थे। बताया जा रहा था कि वे अपनी पुत्रवधू अनुकृति के लिए टिकट की पैरवी करने के लिए यहां पहुंचे थे, इस बीच ऐसे राजनीतिक समीकरण बने कि बीजेपी ने उन्हें पार्टी से ही बर्खास्त कर दिया है।
इससे पहले हरकसिंह रावत शनिवार को देहरादून की बीजेपी की कोर ग्रुप की मीटिंग में भी नहीं पहुंचे थे। इसके बाद अटकलें लगाई जा रही है कि हरक सिंह नाराज हैं।
हरक सिंह लैंसडाउन से अपनी पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं के लिए टिकट की पैरवी कर रहे थे जबकि वे खुद अपने पिछली बार लड़ी सीट से भी बदलाव चाहते थे।
सोमवार को दिल्ली में पूर्व सीएम हरीश रावत और प्रदेश के दूसरे नेताओं की मौजूदगी के साथ ही कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं के सामने हरक सिंह और उनकी पुत्रवधू अनुकृति कांग्रेस का दामन थाम सकती हैं। हरक सिंह रावत के साथ ही कुछ दूसरे विधायक भी कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।
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संतों की प्रतिकार सभा : धर्मसंसद हेट स्पीच मामले पर जितेंद्र नारायण त्यागी और इस धर्म संसद में मुस्लिम महिलाओं पर अपमानजनक टिप्पणी के मामले में एक वकालत की छात्रा के दर्ज कराए मुकदमे में यति नरसिंहानंद की गिरफ्तारी के खिलाफ संतों की प्रतिकार सभा हरिद्वार में की गई।
सर्वानंद घाट में हुई प्रतिकार सभा में अधिकांश ऐसे कथित संत भी जुटे जिन पर धर्म संसद में भड़काऊ भाषण देने के आरोप हैं। प्रतिकार सभा में इन सबने अपने खिलाफ दर्ज मुकदमों की वापसी और हेट स्पीच मामले में एसआईटी को रद्द करने की मांग की।
इन सभी एकत्रित हुए कथित संतों ने ने सीएम धामी पर निशाना साधते हुए कहा कि जिहादी मानसिकता का कोई भी मुख्यमंत्री उत्तराखंड का नहीं होना चाहिए। सभी वक्ताओं का कहना था कि संतों पर मुकदमा करा कर मुख्यमंत्री ने यह साबित कर दिया है कि वह जिहादियों के दबाव में कार्य करते हैं। धर्म संसद पर बोलते हुए आनंद स्वरूप ने कहा कि धर्म संसद जहां-जहां होनी तय हुई थी, उसी दिन होगी।
संतों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के विरोध में आयोजित प्रतिकार सभा में स्वामी आनंद स्वरूप, स्वामी सिंधु सागर, महंत प्रह्लाद दास, स्वामी परबोधानंद, स्वामी अमृतानंद, विनोद महाराज आदि शामिल हुए। हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर के बीच धर्म संसद का आयोजन में वक्ताओं द्वारा कथित तौर पर विशेष धर्म समुदाय के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने से पूरे देश में बवाल मचा है।
मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने पर हरिद्वार के ज्वालापुर थाना क्षेत्र के रहने वाले नदीम ने वसीम रिजवी के खिलाफ हरिद्वार शहर कोतवाली में तहरीर दी थी, जिसके आधार पुलिस ने वसीम रिजवी के खिलाफ IPC की धारा 153ए, 298 में मुकदमा दर्ज किया था।
पुलिस ने वायरल वीडियो क्लिप के आधार पर महामंडलेश्वर धरमदास परमानंद और महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती के नाम भी केस दर्ज किया। इसके बाद सागर सिंधु महाराज, यति नरसिंहानंद गिरि, आनंद स्वरूप, अश्विनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाण और प्रमोधानंद गिरि का नाम भी FIR में जोड़ा गया।
इस मामले में अब तक मात्र एक वसीम रिजवी को काफी समय से नोटिस देने के बावजूद भी जवाब नहीं देने पर उन्हें गिरफ्तार किया गया है जबकि यति नरसिंहानंद को धर्म संसद में समुदाय विशेष की महिलाओं के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर दर्ज हुए मुकदमे में की गई है न कि अन्य मामलों में दर्ज मुकदमों में।