कश्मीर : 'नवरोज़' पर बीमारियों से मुक्ति की आस में जोंक से खून चुसवाते हैं सैकड़ों लोग

Webdunia
बुधवार, 22 मार्च 2023 (17:37 IST)
श्रीनगर। कश्मीर में 'नवरोज' के अवसर पर हर साल सैकड़ों मरीज लंबे समय से परेशान कर रही बीमारियों से मुक्ति पाने की उम्मीद में 'जोंक थेरेपी सेंटर' के बाहर लंबी कतारें लगाते हैं। वे ‘जोंक थेरेपी’ से गुजरते हैं, जिसके तहत व्यक्ति के शरीर पर जोंक छोड़ी जाती हैं, जो उनका खून चूसते समय अपनी लार में मौजूद ‘एंटीकॉग्युलेंट’ गिराते हैं। ‘एंटीकॉग्युलेंट’ व्यक्ति के खून को पतला करते हैं।

‘जोंक थेरेपी’ देने वाले कर्मी आमतौर पर यूनानी चिकित्सक होते हैं। वे दावा करते हैं कि यह थेरेपी कई बीमारियों के इलाज में कारगर है, जिनमें फैटी लिवर (लिवर पर वसा जमना) से लेकर हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) और खून के थक्के जमने की समस्या तक शामिल है।

यूनानी चिकित्सक डॉ. हकीम नसीर अहमद ने बताया कि ‘जोंक थेरेपी’ का इस्तेमाल रोधगलन (प्रभावित हिस्से में खून का प्रवाह न होने से ऊतकों का दम तोड़ना) के मामलों में या फिर उन मरीजों में किया जाता है, जिनमें रक्त संचार सही तरीके से नहीं होता।

डॉ. अहमद के मुताबिक, जोंक एक जादुई दवा के तौर पर काम करता है। ‘जोंक थेरेपी’ वास्तव में कैसे काम करती है? हमारा मकसद खून चूसवाना नहीं, बल्कि जोंक की लार में मौजूद एनज़ाइम को मरीज के रक्त में पहुंचाना है। ये एनज़ाइम रक्त संचार को सुचारू बनाते हैं, जिससे हमारे चिकित्सकीय लक्ष्य की पूर्ति हो जाती है।

डॉ. अहमद कश्मीर घाटी में पिछले 24 वर्षों से ‘जोंक थेरेपी’ शिविर लगा रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि यह थेरेपी न सिर्फ हाइपरटेंशन, बल्कि हाइपोटेंशन (निम्न रक्तचाप) के इलाज में भी कारगर है। वह कहते हैं, हाइपरटेंशन के मामलों में हमने देखा है कि ‘लीच थेरेपी’ देने के 15 मिनट के भीतर रक्तचाप सामान्य हो जाता है। हाइपोटेंशन के मामलों में भी हमने देखा कि रक्तचाप कुछ ही मिनटों में काबू में आने लगता है।

डॉ. अहमद के अनुसार, जोंक की लार में मौजूद एनज़ाइम खून में बने थक्कों को पिघलाने का काम करते हैं, जिससे रक्त प्रवाह सुचारू हो जाता है। वह कहते हैं, हमने पाया है कि धमनियों में खून के छोटे थक्के हो सकते हैं, जिनकी जांच में पहचान नहीं हो पाती है। शरीर में इन थक्कों की मौजूदगी के कारण रक्त प्रवाह में आने वाली बाधा की प्रतिक्रिया में रक्तचाप बढ़ने लगता है। जोंक की लार में मौजूद एनज़ाइम थक्कों को पिघलाते हैं, जिससे रक्तचाप सामान्य होने लगता है।

डॉ. अहमद दावा करते हैं कि ‘जोंक थेरेपी’ ग्लूकोमा (काला मोतिया, जो दृष्टिहीनता का कारण बन सकता है) के उपचार में भी प्रभावी साबित हो सकती है। हर साल 21 मार्च को शिविर आयोजित करने के महत्व के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि शरीर को साल में दो बार डिटॉक्सिफाई (विष हरण) करने की जरूरत होती है।

डॉ. अहमद के मुताबिक, यूनानी चिकित्सा पद्धति के अनुसार, दो मौसम ऐसे होते हैं, जब शरीर को विष हरण के लिए केवल एक उत्तेजक की आवश्यकता होती है-वसंत और शरद ऋतु। और इन दोनों में भी बसंत ऋतु को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। यह परंपरा सैकड़ों साल से चली आ रही है।

एक लोकप्रिय धारणा यह भी है कि ‘जोंक थेरेपी’ 21 मार्च को मनाए जाने वाले ‘नवरोज़’ पर अधिक प्रभावी होती है।श्रीनगर निवासी अब्दुल सलाम बाबा ने बताया कि वह कई वर्षों से फैटी लिवर और उच्च रक्तचाप की समस्या से जूझ रहे थे। वह कहते हैं, मैं इलाज के लिए कई अस्पतालों में गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इस बीच, मैं पिछले साल ‘जोंक थेरेपी’ के लिए यहां आया और मेरी स्थिति में अब काफी सुधार हुआ है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

ओपन मैरिज, सेक्‍स की डिमांड, वेश्‍यावृत्ति और अफेयर, ऐसी है 1.3 बिलियन डॉलर के इस हाईप्रोफाइल केस की कहानी

कौन हैं पूर्व IPS शिवदीप लांडे, बिहार में बनाई नई राजनीतिक पार्टी

TMC MPs Clash : रोती नजर आईं महुआ मोइत्रा, गुस्से में ममता बनर्जी, TMC सांसदों की लड़ाई की पूरी कहानी

देशभर में लागू हुआ Waqf कानून, पश्चिम बंगाल में हिंसा, पथराव और आगजनी, पुलिस ने छोड़ी आंसूगैस, लाठीचार्ज

EPFO में खुद जनरेट कर सकते हैं UAN, सरकार की नई सुविधा, बस करना होगा यह काम

सभी देखें

नवीनतम

क्या OBC ने छोड़ दिया है कांग्रेस का साथ, अधिवेशन में बोले राहुल गांधी

LIVE: साबरमती आश्रम में बेहोश हुए पी. चिदंबरम

सुशांत सिंह राजपूत केस की सच्चाई से CBI ने उठाया पर्दा

TMC MPs Clash : रोती नजर आईं महुआ मोइत्रा, गुस्से में ममता बनर्जी, TMC सांसदों की लड़ाई की पूरी कहानी

अमित शाह ने की जम्मू कश्मीर में विकास परियोजनाओं एवं सुरक्षा स्थिति की समीक्षा

अगला लेख