अद्‍भुत! बारिश से पहले टपकता है मंदिर, मगर...

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उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में भगवान जगन्नाथ का एक ऐसा मंदिर है, जिसकी छत बारिश होने के पहले ही टपकने लगती है। इसमें भी एक खासियत यह है कि टपकी बूंदें भी उसी आकार की होती हैं, जैसी बारिश होनी होगी।
 
तमाम सर्वेक्षणों के बाद भी इसके निर्माण का सही समय पुरातत्व वैज्ञानिक नहीं लगा सके हैं। बस इतना ही पता लग पाया कि मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार 11वीं सदी में हुआ था। उसके पहले कब और कितने जीर्णोद्धार हुए या इसका निर्माण किसने कराया आदि जानकारियां आज भी अबूझ पहेली बनी हुई हैं। लेकिन बारिश की जानकारी पहले से लग जाने से किसानों को अपने काम निपटाने में जरूर सहायता मिलती है।
 
यह मंदिर जनपद के भीतरगांव विकासखंड मुख्यालय से तीन किलोमीटर पर बेंहटा गांव में स्थित है। मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ और बहन सुभद्रा की काले चिकने पत्थर की मूर्तियां स्थापित हैं। वहीं सूर्य और पद्‍मनाभम भगवान की भी मूर्तियां हैं। मंदिर की दीवारें 14 फुट मोटी हैं। वर्तमान में मंदिर पुरातत्व के अधीन है। मंदिर से वैसे ही रथ यात्रा निकलती है, जैसे पुरी उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर से निकलती है।
 
मौसमी बारिश पर मानसून आने के एक सप्ताह पूर्व ही मंदिर के गर्भ ग्रह के छत में लगे मानसूनी पत्थर से उसी घनत्वाकार की बूंदे टपकने लगती हैं, जिस तरह की बरसात होने वाली होती है। जैसे ही बारिश शुरू होती है वैसे ही पत्थर सूख जाता है। मंदिर के पुजारी दिनेश शुक्ल ने बताया कि कई बार पुरातत्व विभाग और आईआईटी के वैज्ञानिक आए और जांच की, लेकिन न तो मंदिर के वास्तविक निर्माण का समय ही जान पाए और बारिश से पहले पानी टपकने की भी पहेली सुलझा पाए हैं।
 
मंदिर का आकार बौद्ध मठ जैसा दिखता है, जिससे इसके अशोक के द्वारा बनवाया हुआ होना बताते हैं। वहीं बाहर मोर के निशान और चक्र बने होने से चक्रवर्ती सम्राट हर्षवर्धन के समय में बने होने का अंदाजा भी लगाया जाता है।
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