जम्मू में लगा 'दरबार', कहीं खुशी और कहीं गम

सुरेश डुग्गर
जम्मू। सोमवार को जम्मू में हुए 'दरबार मूव' अर्थात राजधानी स्थानांतरण से राज्य में कहीं खुशी और कहीं गम का माहौल है। खुशी उन सरकारी कर्मचारियों तथा अधिकारियों को है जो जम्मू के रहने वाले हैं और गम उनको जो कश्मीर संभाग के हैं क्योंकि अब 6 महीनों तक उन्हें अलग माहौल में रहना पड़ेगा।
 
'दरबार मूव' जम्मू कश्मीर में 155 वर्ष से भी अधिक पुरानी परंपरा है, जब सरकार का मुख्यालय जाड़े में जम्मू चला जाता है और गर्मी शुरू होने पर श्रीनगर। राज्य में इस परंपरा की शुरुआत 1870 के दशक में डोगरा शासकों ने की थी।
 
देश में जम्मू कश्मीर एक ऐसा राज्य है जहां 155 सालों से गर्मियों और सर्दियों में राजधानी बदलने की प्रक्रिया चल रही है और इसे ‘दरबार मूव’ कहा जाता है। यही कारण है कि नागरिक सचिवालय के कर्मचारियों और अधिकारियों में खुशी और गम का माहौल है तो ऐसी ही खुशी व गम जम्मू व श्रीनगर के लोगों को है। जम्मू के लोगों की खुशी इस बात की है कि दरबार आने से बिजनेस बढ़ता है और बिजली की आपूर्ति सही हो जाती है, तो श्रीनगर के लोगों को गम इस बात का है कि बिजली आपूर्ति अब अनियमित हो जाएगी तथा बिजनेस कम हो जाएगा।
 
वैसे एक अन्य खुशी और गम इस बात का है कि जिन लोगों को सचिवालय में काम करवाने होते हैं ऐसे कश्मीरवासियों को अब जम्मू जाना पड़ेगा। गर्मियों में जम्मूवासियों को श्रीनगर जाना पड़ता था, लेकिन इतना जरूर है कि दरबार के जम्मू चले जाने से कश्मीरवासी सुरक्षा के नाम पर तंग किए जाने के माहौल से अब कुछ महीनों के लिए राहत पाएंगे और इससे अब जम्मूवासियों को दो-चार होना पड़ेगा।
 
155 सालों से चली आ रही यह परंपरा जम्मू कश्मीर को प्रतिवर्ष कम से कम 800 करोड़ की चपत लगा देती है, लेकिन बावजूद इसके डोगरा शासकों के काल से चली आ रही इस परंपरा से मुक्ति इसलिए नहीं मिल पाई है क्योंकि इस संवेदनशील मुद्दे को हाथ लगाने से सभी सरकारें डरती रही हैं। राजधानी बदलने की प्रक्रिया 'दरबार मूव' के नाम से जानी जाती है।
 
याद रहे राज्य में हर छह महीने के बाद राजधानी बदल जाती है। गर्मियों में इसे श्रीनगर के राजधानी शहर में ले जाया जाता है और फिर सर्दियों की शुरुआत के साथ ही यह जम्मू में आ जाती है। इस राजधानी बदलने की प्रक्रिया को 'दरबार मूव' कहा जाता है जिसके तहत सिर्फ राजधानियां ही नहीं बदलती हैं बल्कि नागरिक सचिवालय, विधानसभा और मंत्रालयों का स्थान भी बदल जाता है।
Show comments

जरूर पढ़ें

Delhi Assembly Election 2025 : आयकर छूट का दांव दिल्ली चुनाव में कितना आएगा काम, बजट में बिहार को तवज्जो

बुरे फंसे बागेश्वर बाबा, धीरेन्द्र शास्त्री को शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का तगड़ा जवाब

Budget 2025 : मोदी सरकार के बजट पर क्या बोले राहुल गांधी, अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल

जयराम रमेश ने बताया, कैसे पटरी से उतर गया निर्मला सीतारमण का बजट?

कभी घरों में बर्तन मांजती थीं दुलारी देवी जिनकी बनाई साड़ी पहनकर निर्मला सीतारमण ने पेश किया बजट, जानिए उनकी प्रेरक कहानी

सभी देखें

नवीनतम

बजट में मनरेगा को मिली कितनी राशि, क्या है कांग्रेस की नाराजगी की वजह?

LIVE: बजट पर निर्मला सीतारमण बोलीं, हमने मध्यम वर्ग के लोगों की आवाज सुनी

अरविंद केजरीवाल का बड़ा आरोप, गुंडागर्दी कर रही है भाजपा, लोगों पर हो रहे हमले

संजय शिरसाट कराना चाहते हैं एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे में सुलह, जानिए क्या कहा?

चुनाव प्रचार कर रहे AAP कार्यकर्ताओं पर हमला, केजरीवाल की EC को चिट्ठी

अगला लेख