आतंकी हमला, प्रथम चरण के मतदान की खुशी काफूर

सुरेश एस डुग्गर
जम्मू। राज्य में 1987 के बाद पहली बार हुए जमकर मतदान से राज्य में खुशी का माहौल था। पर अब वह खुशी काफूर होने लगी है। अरनिया में हुए आतंकी हमले के दौरान आतंकियों द्वारा दर्शाई गई ‘हिम्मत’ ने इस खुशी को काफूर जरूर कर दिया है। यही नहीं पहले चरण के मतदान के बाद हिज्बुल मुजाहिदीन और लश्करे तैयबा द्वारा फिर से जारी की गई चुनाव विरोधी धमकी और चेतावनी से भी अब दहशत का माहौल है।
आतंकी हमले के बाद अब राज्य में तैनात सुरक्षाधिकारी आप कहने लगे हैं कि मतदान के अगले चरण खूनी साबित हो सकते हैं क्योंकि पाकिस्तान बहुत उतावला है। दूसरे चरण का मतदान 2 दिसंबर को होना है और 18 विधानसभा क्षेत्रों में से 9 कश्मीर वादी के हैं। 
 
आतंकी हमले के बावजूद प्रथम चरण के मतदान के सफलतापूर्वक संपन्न होने से उत्साहित सेना व सुरक्षाबलों ने दूसरे चरण के मतदान को कामयाब बनाने की तैयारिया तेज कर दी हैं। दूसरे चरण में कश्मीर की नौ सीटों के लिए होने वाले मतदान को सुरक्षित बनाने की रणनीति दक्षिण कश्मीर के खन्नाबल में सेना, सुरक्षाबलों व राज्य पुलिस के अधिकारियों की बैठक में तय हुई।
 
दूसरे चरण में दो दिसंबर को अठारह सीटों के लिए मतदान होना है। इनमें से नौ सीटें जम्मू संभाग व नौ कश्मीर संभाग की हैं। इन सीटों के लिए 175 उम्मीदवार मैदान में हैं जिनमें से 53 निर्दलीय हैं। दूसरे चरण में जिन सीटों के लिए मतदान होना है उनमें कश्मीर संभाग की करनाह, कुपवाड़ा, लोलाब, हंदवाड़ा, लंगेट, नूराबाद, कुलगाम, होम-शालीबुग, देवसर व जम्मू संभाग की गुलाबगढ़, रियासी, गूल अरनास, उधमपुर, चनैनी, रामनगर, सुरनकोट, मेंढर, पुंछ हवेली, शामिल हैं।
 
ऐसे में कश्मीर की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली सेना की पंद्रह कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा ने अनंतनाग के एक सेक्टर राष्ट्रीय राइफल्स मुख्यालय में बैठक कर चुनाव की सुरक्षा पर चर्चा की थी। पहले चरण के चुनाव के सुरक्षापूर्वक संपन्न होने पर बधाई देते हुए कोर कमांडर ने कहा कि दूसरे चरण में बेहतर समन्वय से शरारती तत्वों के मसूंबों को नाकाम बनाया जाएगा। पर बैठक में अरनिया के आतंकी हमले को भी मद्देनजर रखने के लिए कहा गया था।
 
बैठक में विक्टर फोर्स के जीओसी मेजर जनरल एसटी उपासनी, राज्य पुलिस के आईजीपी एजी मीर, ब्रिगेडियर परमजीतसिंह व दक्षिण कश्मीर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
 
इस दौरान कश्मीर के कुपवाड़ा, कुलगाम जिले के मौजूदा हालात, सुरक्षा चुनौतियां व उनका सामना करने के लिए अपनाई जाने वाली रणनीति पर चर्चा की गई। तय किया गया कि दूरदराज इलाकों तक ईवीएम पहुंचाने के लिए सेना अपनी आल टीरेन व्हीकल्स का भी इस्तेमाल करेगी। इसके साथ शरारती तत्वों पर पूरी नजर रखी जाएगी। सूचनाओं का आदान प्रदान करने के साथ मोबाइल नाके भी स्थापित किए जाएंगे।
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