बागपत। राष्ट्रीय लोकदल के सुप्रीमो अजित सिंह के निधन के बाद सियासत की बागडोर जयंत चौधरी ने संभाल ली है। अजीत सिंह की शोकसभा के दौरान जयंत को खाप के मुखियाओं ने चौधराहट की पगड़ी बांधी है। कोरोनाकाल में अजित सिंह का निधन हो गया, जिसके चलते अपने प्यारे नेता अजीत सिंह को किसान श्रद्धासुमन अर्पित नही कर पाए थे।
आज बागपत की छपरौली विधानसभा क्षेत्र के विद्या मंदिर इंटर कालेज में स्व. चौधरी अजित सिंह को नमन करने के लिए मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली, सहारनपुर, मथुरा और बिजनौर सहित कई जिलों के किसान अजीत सिंह की रस्मपगड़ी और श्रद्धांजलि सभा में पहुंचे थे। छपरौली पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह व उनके बेटे पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह की कर्मभूमि रही है।
छपरौली ने रालोद का कभी साथ नहीं छोड़ा और कहा जाता है कि संकट के समय में यहां के लोग इस चौधरी परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे। चौधरी अजित सिंह के निधन के बाद अब उनकी इस विरासत को संभालने का जिम्मा जयंत चौधरी को दिया गया है।
जयंत के सिर पर चौधरी की पगड़ी बंधते ही चारों तरफ से 'चौधरी चरण व चौधरी अजित सिंह अमर रहें' के नारे से छपरौली गूंज उठा। रस्म पगड़ी के दौरान अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि आपने मुझे चौधरी चरण सिंह और चौधरी अजित सिंह की जो विरासत सौंपी हैं, उस उम्मीद और आशाओं को मैं टूटने नहीं दूंगा।
मुझे मेरे बड़ो का आशीर्वाद और समकक्ष का प्यार इसी तरह मिलता रहा तो, वह मेरे लिए एक कवच का काम करेगा। हमेशा आपके बीच रहूंगा। जब भी आपके मान-सम्मान की बात आएगी, तो कभी झुकूंगा नहीं। किसानों की लड़ाई में मैं हर कदम पर साथ है, पहले की भांति ही यह किसानों की लड़ाई लड़ी जाएगी।
इस अवसर पर मीडिया से बात करते हुए नरेश टिकैत ने कहा कि जयंत के सिर पगड़ी बंधते ही युवाओं में जोशत्रभर गया है, जो आगामी चुनाव के लिए भूमि तैयार करेंगी। भाजपा ने बेरोजगारी का विकास किया है, यदि इसके अतिरिक्त कोई विकास हुआ है तो बताओ। सड़कें जो बन रही हैं, उसके लिए भी रूक्का मचा है, किसान मुआवजे के लिए आंदोलन कर रहे हैं।
नए कृषि कानून पर सरकार की हठधर्मिता के चलते किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है, किसान तो सरकार से बात करने के लिए तैयार है, लेकिन सरकार बात नही करना चाहती है। हरियाणा में गन्ने का समर्थन मूल्य ज्यादा है जबकि अपने यहां कम है। उत्तरप्रदेश में किसानों को बिजली 2500 में मिलती है, जबकि पड़ोसी राज्य में 250 रूपए में किसानों को बिजली मिल रही है।
इस श्रद्धांजलि सभा और रस्म पगड़ी कार्यक्रम में मंच से लेकर नीचे तक अव्यवस्थाएं का बोलबाला रहा है, जिसके चलते खूब धक्कामुक्की भी हुई है। इस धक्कामुक्की में मंच के पास रखा साउंड सिस्टम भी पलट गया, गनीमत रही की कोई हादसा नही हुआ। भीड़ अधिक होने के चले जयंत चौधरी को मंच तक पहुंचने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। मंच से जयंत के उतरते समय भीड़ का काफिला उनके पीछे चल दिया और साउंड सिस्टम पलट गया।
रस्म पगड़ी में भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने भी पहुंचकर चौधरी अजित सिंह को श्रद्धासुमन अर्पित किया। कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री सोमपाल शास्त्री, गठवाला खाप के चौधरी राजेंद्र सिंह, गुलाम मोहम्मद जोला, राजपूत समाज से पूरन सिंह मौजूद रहे।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा 2022 के चुनाव पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं, ऐसे में जयंत चौधरी के कंधों पर न सिर्फ रालोद के वजूद की जिम्मेदारी है, बल्कि खुद को साबित करने के लिए गांव के हर तबके, जातियों, गरीब, किसान मजदूर को एक मंच पर लाने में जयंत कितने कामयाब होंगे, ये तो आने वाला वक्त बताएगा।