कारगिल युद्ध की याद दिलाने लगी गोलों की बरसात

सुरेश एस डुग्गर
श्रीनगर। भारत-पाक के बीच 12 सालों से जारी सीजफायर पर खतरे के बादल इसलिए मंडराने लगे हैं क्योंकि इंटरनेशनल बार्डर तथा एलओसी पर होने वाली गोलों की बरसात उस कारगिलयुद्ध की याद दिलाने लगी है, जिसकी 16वीं वर्षगांठ इस महीने 26 जुलाई को मनाई जाने वाली है।
यूं तो सीजफायर के पिछले 12 सालों के दौरान पाक सेना द्वारा इसके उल्लंघन की घटनाएं लगातार होती रही हैं पर अब हालात में परिवर्तन यह आ गया है कि भारत सरकार की ओर से भी भारतीय सेनाओं को जवाबी कार्रवाई की खुली छूट दे दी गई है। नतीजा सामने है। अगर पाक गोलों की बरसात इस ओर नागरिक ठिकानों को जबरदस्त क्षति पहुंचा रही है तो उस पार भी ऐसी ही क्षति के दौर से लोगों को गुजरना पड़ रहा है।
 
अगर सेनाधिकारियों की बातों पर विश्वास करें तो पाकिस्तान के साथ अब सीजफायर जारी रखना संभव नहीं है। हालांकि सीमावासी इस सीजफायर को और पक्का करने के पक्ष में हैं पर सीजफायर के बावजूद पाक सेना द्वारा की जाने वाली बार-बार गोलीबारी की घटनाओं से वे भी खफा हैं।
 
ताजा हालत यह है कि सीमावर्ती किसान खेतों में नहीं जा पा रहे हैं। पहले इंद्र देव की नाराजगी के कारण और अब पाक सेना की गोलीबारी के कारण। जो इलाके फिलहाल पाक गोलीबारी से अछूते हैं वहां प्रवासी श्रमिकों की कमी से सामना होने लगा है। प्रवासी श्रमिक अपनी जान खतरे में डालने को राजी नहीं हैं।
 
इंटरनेशनल बॉर्डर से लेकर एलओसी के इलाकों तक एक ही बात एक जैसी है। वह यह कि कारगिलयुद्ध के 16 सालों के बाद और सीजफायर के 12 साल पूरे होने के बाद फिर से सीमावर्ती लोगों को रातें बंकरों में गुजारनी पड़ रही हैं।
 
हालत यह है कि वे अब दिन मंे भी अपने घरों या बंकरों से बाहर निकलने का खतरा मोल नहीं ले सकते। कब और किस दिशा से पाक सेना द्वारा दागे जाने वाले गोले उन्हें निशाना बना लें कोई नहीं जानता। 
 
सीमांत इलाकों की हालत कैसी है इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सीजफायर के उल्लंघन में अब बंदूक की गोलियों का स्थान मोर्टार तथा छोटे तोपखानों के गोलों ने ले लिया है। यह गोले सिरों पर मौत के रूप में मडरा रहे हैं। तो अनफूटे गोले पांवों के नीचे मौत के रूप में फटते जा रहे हैं।
 
ऐसे में सीमावर्ती लोग बार-बार यह मांग करने लगे थे कि सीजफायर को खत्म करके एक बार पाक सेना को अच्छा सबक सिखाया जाए ताकि अगले 20-25 साल वे आराम से जिन्दगी काट सकें। जानकारी के लिए सीमा और एलओसी पर होने वाली रहस्यमय गोलीबारी की घटनाओं में 12 सालों के दौरान 80 से अधिक जवान गंवा देने वाली भारतीय सेना भी अब सीजफायर को जारी रखने के पक्ष में नहीं है।
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