कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनावों के बाद से ही यहां भाजपा और कांग्रेस में सत्ता को लेकर रस्साकशी जारी है। सबसे बड़ा दल होने के नाते येदियुरप्पा के नेतृत्व में भाजपा की सरकार तो बन गई थी, लेकिन सदन में शक्तिपरीक्षण में वे नाकाम रहे थे और इस्तीफा देना पड़ा था।
बाद में कांग्रेस ने जदएस के कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा को सत्ता से दूर कर दिया। इस समय कर्नाटक में दो विधायकों आर. शंकर व एच नागेश के सरकार से समर्थन वापसी के बाद राजनीतिक स्थिति रोचक हो गई है। इन दोनों विधायकों ने राज्यपाल को पत्र लिखकर भाजपा को समर्थन देने की भी घोषणा कर दी है।
राजनीति के जानकारों के अनुसार अभी यहां सरकार गिरने की स्थिति नहीं है क्योंकि 224 सदस्सीय विधानसभा में एक मनोनीत विधायक को मिलाकर संख्या 225 हो जाती है। ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 113 पर है। भाजपा के पास 104 विधायक है, जबकि कांग्रेस के 79 व जद (एस) के 37 विधायकों से उनके पास पूरा बहुमत है। एक बसपा विधायक का भी सरकार को समर्थन हासिल है। ऐसे में यदि जब तक बड़ी तोड़फोड़ नहीं होती है, कुमारस्वामी सरकार को कोई खतरा नहीं है।
वहीं भाजपा आलाकमान खासतौर पर अमित शाह कर्नाटक पर करीबी नजर रखे हैं। दिल्ली में मौजूद कर्नाटक भाजपा नेतृत्व को केंद्रीय नेतृत्व ने इस मामले में अतिआत्मविश्वास से बचने की सलाह दी है। इसका कारण है कि बीते साल विधानसभा चुनाव नतीजे आने पर भी भाजपा ने सरकार बना ली थी, लेकिन वह विश्वास मत पर जरूरी बहुमत नहीं जुटा सकी थी।
परंतु भाजपा के कर्नाटक के नेताओं के दावे को माना जाए को कांग्रेस व जेडीएस के लगभग दस विधायक मौजूदा सरकार से नाराज हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस और जदयू के ये विधायक भी इस्तीफा दे सकते हैं। ऐसा हुआ तो राज्य में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन देखने को मिल सकता है।