मध्यप्रदेश में पानी पर अब ‘पुलिस का पहरा’, भाजपा ने कहा सरकार फेल इस्तीफा दें मुख्यमंत्री

विशेष प्रतिनिधि
भोपाल। भीषण गर्मी से जूझ रहे मध्यप्रदेश में अब पानी को लेकर बड़ा संकट खड़ा हो गया है। सूबे के कई जिलों में पीने के पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। गर्मी से पानी की सप्लाई करने वाले अधिकांश जल स्रोतों के सूख जाने के चलते कई जिलों में पीने के पानी को लेकर लोग अब सड़क पर उतरने लगे है। 
 
इंदौर में पानी को लेकर लोगों के साथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया। पानी को लेकर हालत इस कदर तनावपूर्ण हो गए है, कि अब सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए जलसंकट वाले क्षेत्रों में पानी के स्रोतों पर पुलिस के जवानों की तैनाती का फैसला किया है। इसके लिए गृह विभाग ने एडवायजरी जारी कर सभी जिलों के एसपी और कलेक्टरों को जल संकट वाले क्षेत्रों में विशेष निगरानी के निर्देश भी दिए है। 
 
इसके साथ ही शहरी इलाकों में पानी के ट्रैंकरो से पानी भी पुलिस की निगरानी में दिया जाएगा। सूबे के कानून मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि पानी को लेकर कही संघर्ष के हालत नहीं बने इसके लिए पुलिस को लगाया गया है।
वाटर ऑडिट से खत्म होगा जल संकट : वहीं पानी की समस्या को लेकर कैबिनेट जयवर्धन सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पहले ही हर व्यक्ति को कैसे पानी का अधिकार मिल सके इसके लिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए है। 
 
इसके सरकार सभी 378 निकायों में वाटर ऑडिट करा रही है जिसमें पानी सप्लाई की वास्तविक स्थिति का पता लग सके और अगर कही पानी का संकट है तो वहां पर क्या वैकल्पिक व्यवस्था हो इसकी कार्ययोजना तैयार हो सके। सरकार का लक्ष्य है कि सूबे के हर घर को 12 महीने पानी मिल सके इसके लिए सरकार योजना बना रही है।

भाजपा ने मांगा मुख्यमंत्री का इस्तीफा : पानी पर पहरे के सरकार के आदेश के बाद अब भाजपा सरकार पर अधिक हमलावर हो गई है। भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि प्रदेश में दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति लगातार निर्मित हो रही है। कांग्रेस सरकार एक ओर तो बिजली व्यवस्था को सुधारने के लिए इंटेलिजेंस को लगा रही तो अब पानी के पुलिस को लगाया जा रहा है। 
 
कांग्रेस सरकार में लगातार प्रदेश में अव्यवस्था फैल रही है और हैरत की बात यह है सरकार को ही नहीं पता की स्थिति से कैसे निपटा जाता है। उन्होंने तंज करते हुए कहा कि जनता को राहत देने के मुख्यमंत्री और मंत्रियों को खुद कष्ट झेलकर मैदान में उतरना पड़ता है और जनता की तकलीफों की जानकारी लेकर उन्हें दूर करना पड़ता है। लेकिन कांग्रेस सरकार व्यक्तिगत हितों की चिंता में लगी है और बेवजह समस्याओं का ठीकरा अफसरों पर मढ़ देते है। कांग्रेस सरकार अपने मैनेजमेंट में पूरी तरह फेल हो चुकी है इसलिए मुख्यमंत्री को तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

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