ममता बोलीं, सिर्फ मातृभाषा ही नहीं, अन्य भाषाओं का भी करें सम्मान

उन्होंने कहा कि जिन लोगों की मातृभाषा बांग्ला है, उनके लिए बांग्ला भाषा के साथ भावनात्मक लगाव होना स्वाभाविक है, लेकिन हमें अन्य भाषाओं के प्रति भी समान रूप से सम्मान रखना चाहिए।

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शनिवार, 22 फ़रवरी 2025 (00:28 IST)
Mamata Banerjee appeals: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने शुक्रवार को कहा कि लोगों को अन्य भाषाओं (Other languages) के प्रति भी उतना ही सम्मान दिखाना चाहिए जितना वे अपनी मातृभाषा का सम्मान करते हैं।ALSO READ: ममता द्वारा महाकुंभ को मृत्युकुंभ कहे जाने पर एमपी सीएम यादव ने साधा निशाना
 
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर यहां देशप्रिय पार्क में आयोजित एक समारोह में बनर्जी ने कहा कि बांग्ला दुनिया में 5वीं सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है और हर बंगाली को इस पर गर्व होना चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि जिन लोगों की मातृभाषा बांग्ला है, उनके लिए बांग्ला भाषा के साथ भावनात्मक लगाव होना स्वाभाविक है, लेकिन हमें अन्य भाषाओं के प्रति भी समान रूप से सम्मान रखना चाहिए। मैं इस अवसर पर हर भाषा के प्रति सम्मान प्रकट कर रही हूं।ALSO READ: ममता बनर्जी के 'मृत्यु कुंभ' वाले बयान पर फूटा अयोध्या के संतों का गुस्सा, बोले- बुद्धि हो गई भ्रष्ट
 
मुख्यमंत्री ने लोगों के बीच शांति, एकता और सद्भाव का संदेश फैलाने की आवश्यकता पर आधारित अपनी एक कविता भी पढ़ी। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि इस दिन एकता, शांति और सद्भाव बना रहे।
 
कार्यक्रम में उपस्थित एक गणमान्य हस्ती ने बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति के बारे में बात की, लेकिन बनर्जी ने यह कहते हुए इससे दूरी बनाए रखी कि कि इस कार्यक्रम में किसी अन्य देश के बारे में चर्चा नहीं की जानी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में बांग्ला भाषा की मान्यता के लिए संघर्ष की याद दिलाता है।
 
केंद्र द्वारा बांग्ला को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दिए जाने पर बनर्जी ने कहा कि ब्रात्य बसु (राज्य के शिक्षा मंत्री) सहित कई मित्रों की कड़ी मेहनत से हम निर्णायक रूप से साबित कर पाए कि बांग्ला एक हजार साल पुरानी भाषा है।ALSO READ: ममता की BJP को चुनौती, मेरे बांग्लादेशी आतंकियों से रिश्ते साबित करें, इस्तीफा दे दूंगी
 
उन्होंने कहा कि बांग्ला के अलावा उनकी सरकार राजबंशी, उर्दू, गोरखा और ओलचिकी जैसी भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है जिन्हें अब स्कूलों में पढ़ाया जाता है।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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