मेला क्षीर भवानी 10 जून को, कश्मीरी पंडितों को अभी भी सुरक्षा की दरकार

सुरेश डुग्गर
शनिवार, 8 जून 2019 (18:49 IST)
जम्मू। कश्मीर वादी के गंदरबल जिले के तुलमुला इलाके में स्थित मां राघेन्या के पावन जन्मदिवस के अवसर पर 10 जून को होने वाले 2 दिवसीय क्षीर भवानी मेले में शामिल होने के लिए कश्मीरी पंडितों में इस बार भी उत्साह थोड़ा कम दिख रहा है।
 
कारण स्पष्ट है, क्योंकि कश्मीर में पत्थरबाजों की तूती बोल रही है और ऐसे में कश्मीर में जो माहौल गर्माया है उसका नतीजा यह है कि कश्मीरी पंडित सुरक्षा की मांग करने लगे हैं।
 
क्षीर भवानी यात्रा नजदीक आने के साथ ही कश्मीरी पंडितों ने अपनी तैयारियां भी तेज कर दी और 6,000 के करीब कश्मीरी पंडित रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं। वे रविवार को अपने परिवारों के साथ रवाना हो जाएंगे। कश्मीरी पंडित इस बार भी यात्रा में सरकार से सुरक्षा के कड़े प्रबंध करने की मांग कर रहे हैं।
 
पंडितों का कहना है कि कश्मीर में अलगाववादियों की बढ़ती धमकियों के चलते उनको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बावजूद इसके, जम्मू के विभिन्न इलाकों में रहने वाले कश्मीरी पंडित परिवारों ने पूरी आस्था के साथ ज्येष्ठाष्टमी के पावन पर्व पर तुलमुला क्षीर भवानी में आयोजित किए जाने वाले मेले में शमूलियत का पूरा मन बना रखा है।
 
प्रत्येक वर्ष क्षीर भवानी यात्रा के लिए हजारों की संख्या में कश्मीरी पंडित कश्मीर रवाना होते हैं। इस यात्रा के लिए प्रशासन की तरफ से कश्मीरी पंडितों की हरसंभव सहायता की जाती है। इस यात्रा के लिए कश्मीरी पंडित कई दिन पहले ही तैयारी शुरू कर देते हैं।
 
अशोक कौल, प्यारेलाल टाकू, अंकुश टाकू और अन्य कई कश्मीरी पंडितों ने बताया कि क्षीर भवानी की यात्रा कश्मीरी पंडितों के लिए बहुत ज्यादा मान्यता रखती है। इस यात्रा में कश्मीरी पंडित परिवार के साथ रवाना होते हैं और दूध और फूल का प्रसाद चढ़ाकर मन की मुराद को पूरा करते हैं।
 
उन्होंने बताया कि पूजा का आधा सामान अपने साथ लेकर जाते हैं तो कुछ क्षीर भवानी के दरबार में ही खरीदा जाता है। इस बार यात्रा के लिए कश्मीरी पंडित आज जम्मू और अन्य स्थानों से रवाना होंगे। 10 जून को क्षीर भवानी के दरबार में पूजन करना है।
 
यह सच है कि इस बार कश्मीरी पंडितों में कश्मीर यात्रा को लेकर डर का माहौल है। यह माहौल कश्मीर में पत्थरबाजों के कारण है। हालांकि किसी आतंकी गुट ने उन्हें कोई धमकी या चेतावनी तो नहीं दी है, पर उन्हें लगता है कि पत्थरों से बचकर यात्रा करना बहुत कठिन होगा। दरअसल, पिछले साल वापसी पर उनके वाहनों को पत्थरबाजों ने निशाना बनाया था।

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