अल्पसंख्यकों की भाषा बनकर रह गई है उर्दू : शर्मिला टैगोर

Webdunia
रविवार, 19 फ़रवरी 2017 (19:33 IST)
नई दिल्ली। वरिष्ठ अदाकारा शर्मिला टैगोर ने रविवार को कहा कि उर्दू में ठहराव आ गया है और वह अल्पसंख्यक समुदाय तक ही सीमित होकर रह गई है। यहां चल रहे जश्न-ए-रेख्ता में 'जब फिल्में उर्दू बोलती थीं' सत्र के दौरान 72 वर्षीय अभिनेत्री ने कहा कि ये जुबान संभवत: मुसलमानों द्वारा ही बोली  जा रही है।
शर्मिला ने कहा कि इतिहास को समझने के साथ सुविज्ञ और संतुलित भविष्य को देखने के लिए परंपराएं अहम भूमिका निभाती हैं लेकिन उर्दू जो भारतीय  इतिहास का एक अभिन्न अंग है, कुछ ठहर-सी गई है। यह एक अल्पसंख्यक भाषा बनकर रह गई है, जो संभवत: सिर्फ मुसलमानों द्वारा ही बोली जा रही  है। 
 
कभी दिल्ली में बड़े पैमाने पर बोली जाने वाली उर्दू जुबान को भी बंटवारे का दंश झेलना पड़ा और देश की साहित्यिक परंपरा टूट गई। पाकिस्तान में जहां  इसे आधिकारिक भाषा घोषित किया गया वहीं भारत में ये एक दायरे में ही सिमटकर रह गई। (भाषा)

Show comments

जरूर पढ़ें

पद्मश्री वैज्ञानिक सोनकर ने उठाए CPCB की रिपोर्ट पर सवाल, कहा- प्रयागराज के गंगाजल में बैक्टीरिया नहीं

इंदौर से अचानक गायब हुए आसाराम, पुलिस को भी नहीं लगी भनक, आखिर कहां गए?

45 घंटे, मलबा, अंधेरा और 8 जिंदगियों का संघर्ष, क्यों बीच में अटक गया तेलंगाना रेस्क्यू?

USAID पर क्यों चला डोनाल्ड ट्रंप का बुल्डोजर, 2000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला, क्या है वजह?

न्यूयॉर्क से दिल्ली आ रहे विमान को बम की धमकी, फ्लाइट को रोम की ओर किया डायवर्ट

सभी देखें

नवीनतम

बंगाल की खाड़ी में भूकंप के तेज झटके, पुरी से कोलकाता तक कई शहरों में दहशत

LIVE: महाशिवरात्रि से पहले महाकुंभ में आस्था का सैलाब

EPFO से जुड़ा नया नियम अगले 3 महीने में होगा लागू, जानिए आपका क्या होगा फायदा

तुर्की के मशहूर शहद में भयंकर मिलावट, भारत में क्या हाल?

महाकुंभ में लाखों वाहनों से आए 63 करोड़ लोग, 42 दिनों तक ग्रीन जोन में रही हवा

अगला लेख