देहरादून। रविवार को देहरादून स्थित सचिवालय, मीडिया सेंटर में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, डीजीपी अशोक कुमार, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर, स्वास्थ्य सचिव राधिका झा, प्रो. हेमचंद्र पांडे (कुलपति, एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय), महानिदेशक सूचना रणबीर सिंह चौहान द्वारा चारधाम से संबंधित जानकारियां अवगत करवाने हेतु संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
इस दौरान अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि अन्य सालों के मुकाबले इस साल भारी संख्या में यात्री एवं श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर आ रहे हैं। उन्होंने चारधाम यात्रा को राज्य के विकास हेतु अतिमहत्वपूर्ण बताया तथाकहा कि यात्रियों को स्वास्थ्य, सुरक्षा, पेयजल व ठहरने जैसी तमाम सुविधाएं मिले इसके लिए सभी विभाग आपस में समन्वय के साथ कार्य कर रहे हैं। उत्तराखंड सरकार के सभी विभाग यथा पर्यटन (नोडल विभाग), धर्मस्व, चिकित्सा, परिवहन, नागरिक उड्डयन एवं जिला प्रशासन आदि द्वारा यात्रा को सुचारु एवं सुरक्षित बनाने हेतु सभी प्रकार की व्यवस्था की गई है।
डीजीपी अशोक कुमार ने बताया की शनिवार तक चारधाम यात्रा में आए यात्रियों की संख्या लगभग 16,11,598 है। शनिवार तक चारधाम यात्रा में आए वाहनों की संख्या 1,54,983 रही। पुलिस द्वारा यात्रा के दौरान बिछड़े 920 यात्रियों को उनके साथ आए श्रद्धालुओं से मिलाया गया, यात्रा के दौरान 300 यात्रियों को रेस्क्यू कर उनका जीवन बचाया गया, 80 यात्रियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया एवं 54 घायलों की मदद की गई, 130 यात्रियों के गुम हुए सामान को वापस कराया गया। चारधाम यात्रा में लगभग 4,500 पुलिस बल, 6 कंपनी, एसडीआरएफ 25 सब टीम, एलआईयू 70, होमगार्ड 700, पीआरडी 600, एनडीआरएफ की 2 टीमों को नियुक्त किया गया है।
यात्रा सीजन हेतु अतिरिक्त 47 पोस्ट/ चौकियां स्थापित की गई हैं। यात्रा मार्गों पर 57 टूरिस्ट पुलिस केंद्र स्थापित किए गए हैं। वर्तमान तक हैली ऑनलाइन बुकिंग फर्जीवाडा एवं फर्जी रजिस्ट्रेशन के संबंध में 16 अभियोग पंजीकृत कर 20 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया। चारधाम यात्रा एवं विभिन्न धार्मिक व पर्यटक स्थलों पर मिशन मर्यादा अभियान के दौरान लगभग 20,000 लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की गई। उन्होंने बताया कि बढ़ते यातायात के दृष्टिगत कई स्थानों पर वन-वे ट्रैफिक प्लान बनाया गया है।
रुद्रप्रयाग जनपद में यात्रियों की सुविधा हेतु 4 सुपर जोन, 10 जोन एवं 26 सेक्टर में विभाजित कर श्री केदारनाथ में एक पुलिस उपाधीक्षक एवं एक अपर पुलिस अधीक्षक को गौरीकुंड में नियुक्त कर सुदृढ पुलिस प्रबंध किए गए हैं। साथ ही धामों में श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु पर्याप्त संख्या में बैरिकेडिंग, रस्से व्यवस्थाओं के साथ-साथ पंक्तिबद्ध दर्शन कराए जा रहे हैं। राज्य के धामों में वीआईपी गेट की पूर्व प्रचलित व्यवस्था को समाप्त किया गया है।
स्वास्थ्य सचिव राधिका झा ने स्वास्थ्य विभाग द्वारा चारधाम हेतु की गई तैयारियां के बारे में अवगत करवाया। कहा कि चिकित्सा विभाग द्वारा सुरक्षित यात्रा के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं की गई हैं, जो 2019 की तुलना में कहीं अधिक हैं और अनेक नए प्रयास भी किए गए हैं। चिकित्साकर्मियों की तैनाती में बढ़ोतरी करते हुए 178 चिकित्साधिकारी तैनात किए गए हैं, जो वर्ष 2019 की तुलना में 66 प्रतिशत अधिक हैं। फर्स्ट मेडिकल रिस्पांडर एवं मेडिकल रिलीफ पोस्ट की संख्या में भी वृद्धि की गई है। एम्बुलेंस की संख्या में भी गत वर्षों की तुलना में 33 प्रतिशत वृद्धि करते हुए यात्रा मार्ग पर 119 एम्बुलेंसें तैनात की गई हैं।
यात्रियों को त्वरित चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए पहली बार हेली एम्बुलेंस सेवाएं दी जा रही हैं। इसके अतिरिक्त सभी चिकित्सा इकाइयों पर ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति रखी गई है। 2019 की तुलना में 108 एम्बुलेंस द्वारा दी गईं सेवाओं में 173 प्रतिशत की बढ़ोतरी भी दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि हृदय रोगियों के समुचित उपचार हेतु पहली बार विशेषज्ञ चिकित्सकों को Cardiology में प्रशिक्षण देकर यात्रा मार्ग पर स्थित प्रमुख चिकित्सालयों में तैनात किया गया है। यात्रा में तैनात चिकित्सकों को एम्स ऋषिकेश के माध्यम से हाई एल्टीट्यूड सिकनेस के उपचार हेतु प्रशिक्षण भी पहली बार दिया गया है। यात्रियों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए हाल ही में एमबीबीएस उत्तीर्ण 75 बांडधारी चिकित्सकों की तैनाती अगले 3 माह के लिए यात्रा से संबंधित अस्पतालों/जनपदों में की गई है।
उन्होंने कहा कि चारों धाम उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित है जिसमें क्रमशः केदारनाथ धाम की औसत ऊंचाई 3580 मी., बद्रीनाथ 3415 मी., यमुनोत्री 3235 मी. तथा गंगोत्री 3415 मी. समुद्रतल से ऊंचाई पर स्थित है। बिना किसी विराम के मैदानी क्षेत्रों से आए हुए यात्रियों को उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित धामों पर जाने में प्रतिकूल स्वास्थ्य स्थितियों का सामना करना पड़ता है जिसमें सांस फूलना, ठंड लगना (Hypothermi) एवं हृदयाघात जैसी स्थितियां प्रमुख हैं। इसके अलावा यह भी देखा गया है कि यात्रियों को पर्वतीय मौसम एवं वातावरण के प्रति अभ्यस्त होने में भी समय लगता है। इन सभी कारणों के फलस्वरूप हर वर्ष ही दुर्भाग्यपूर्ण रूप से हृदयगति रुकने से मृत्यु होती आई है, जैसे वर्ष 2017 में भी 112 यात्रियों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हुई थी।
स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि राज्य में पहली बार यात्रा मार्गों पर हेल्थ स्क्रीनिंग की व्यवस्थाएं की गई हैं जिसमें 9 प्रमुख स्थानों क्रमश:- बद्रीनाथ के लिए गौचर एवं पांडुकेश्वर, केदारनाथ के लिए सोनप्रयाग, जवारी बॉयपास एवं कुंडपुल तथा यमुनोत्री के लिए दोबाटा, जानकी चट्टी एवं गंगोत्री के लिए हिना एवं गंगोत्री में हेल्थ स्क्रीनिंग की जा रही है। हैल्थ स्क्रीनिंग में ऐसे यात्रियों को आगे की यात्रा से रोका जा रहा है जिनकी स्वास्थ्य स्थिति यात्रा के अनुकूल नहीं है। अभी तक 87 यात्रियों को स्क्रीनिंग उपरांत वापस लौटाया गया है।
उन्होंने बताया यद्यपि यात्रियों की अत्यधिक संख्या को देखते हुए सभी की हेल्थ स्क्रीनिंग किया जाना सहज नहीं हो पा रहा है तथापि चिकित्सा विभाग द्वारा 50 वर्ष से अधिक आयु के सभी यात्रियों की स्क्रीनिंग की जा रही है। बहुत से उत्साही यात्री चिकित्सकीय परामर्श के उपरांत भी अंडरटेकिंग देकर यात्रा जारी रख रहे हैं। उन्होंने बताया की वर्तमान तक 2 लाख से ऊपर रोगियों की हेल्थ स्क्रीनिंग की गई है, 71,646 यात्री ओपीडी में देखे गए हैं एवं 381 रोगियों को एम्बुलेंस सेवा प्रदान की गई है तथा 5,000 से अधिक यात्रियों को आपातकालीन सेवाएं भी प्रदान की गई है।
हेलीकॉप्टर एम्बुलेंस का उपयोग 30 रोगियों को एम्स ऋषिकेश लाकर सफलतापूर्वक उपचार कराया गया है।
सरकार द्वारा कुलपति चिकित्सा विश्वविद्यालय की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञ समिति द्वारा इन मृत्यु के कारणों का विश्लेषण किया गया है। विश्लेषण अनुसार कोविड महामारी के दूरगामी प्रभाव के कारण मैदानी क्षेत्रों से उच्च हिमालई क्षेत्रों में यात्रा करने का जोखिम अत्यधिक बढ़ गया है।
उन्होंने बताया विशेषज्ञ समिति द्वारा यह मंतव्य देते हुए सुझाव दिए गए हैं कि बुजुर्ग एवं अन्य बीमारियों से ग्रसित यात्रियों का पूर्व स्वास्थ्य परीक्षण आवश्यक है और सभी यात्रियों को मेडिकल एडवाइजरी का अनुपालन करते हुए ही यात्रा पर आना चाहिए, क्योंकि अभी तक हुई मृत्यु में 60 प्रतिशत से अधिक लोग Co-morbidity से ग्रसित थे एवं 60 प्रतिशत लोग 50 वर्ष से अधिक की आयु के थे।
उन्होंने कहा विभिन्न वैज्ञानिक शोध के अनुसार कोविड महामारी के प्रतिकूल प्रभाव अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाने पर और अधिक देखे गए हैं। विशेषज्ञ समिति ने दिनांक 5 जून 2022 को दिए गए सुझावों में कहा गया है कि बुजुर्ग, कोविड प्रभावित तथा अन्य रोगों से ग्रसित यात्री स्वास्थ्य परीक्षण एवं चिकित्सकीय परामर्श उपरांत ही यात्रा पर आएं। यात्रा के दौरान 48 घंटे तक स्थान विशेष के अनुसार ढलने के उपरांत तथा तत्समय की स्वास्थ्य स्थितियों को देखते हुए सतर्कता से यात्रा करें।
पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि वर्ष 2019 में रिकॉर्ड 34 लाख यात्री उत्तराखंड की चारधाम यात्रा पर आए थे, परंतु वर्ष 2022 में मात्र 1 माह में ही यह संख्या 16 लाख तक पहुंच चुकी है, जो कि चारधाम यात्रा की व्यापक लोकप्रियता और उत्तराखंड के प्रति देशभर में लोगों के बढ़ते आकर्षण का प्रतीक है। केदारनाथ धाम में भी वर्ष 2019 में रिकॉर्ड 10 लाख लोग दर्शन के लिए पहुंचे थे जबकि वर्ष 2022 में मात्र 1 माह की अवधि के भीतर 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं द्वारा केदारनाथ धाम के दर्शन किए गए हैं।
उन्होंने कहा पर्यटन विभाग द्वारा पहली बार यात्रियों की सुरक्षा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की गई है ताकि किसी दिन विशेष पर धामों की धारण क्षमता के अनुरूप लोग वहां पहुंच सके और यात्रा प्रबंधन को बेहतर किया जा सके। पंजीकरण का उद्देश्य यात्रा मार्ग पर उपलब्ध सुविधाओं के अनुरूप संख्या में श्रद्धालुओं को धामों पर जाने के लिए पंजीकृत करना है जिससे कि उनकी यात्रा सुखद एवं सुरक्षित हो सके। registrationandtouristcare.uk.gov.in) (यमुनोत्री 5000, गंगोत्री 8000, केदारनाथ 13,000, बद्रीनाथ 16,000, हेमकुंड साहिब 5,000)।
पर्यटन सचिव ने बताया कि यात्रियों की सुविधा के लिए पर्यटन विभाग द्वारा पहली बार एक टोल फ्री कॉल सेंटर का संचालन किया जा रहा है जिसमें एक समय पर 6 लोगों को एकसाथ यात्रा के संबंध में विविध जानकारियां दी जाती हैं और किसी प्रकार की समस्या की स्थिति में उसे संबंधित विभाग को सौंप दिया जाता है।
कॉल सेंटर में अब तक लगभग 12,500 से अधिक कॉल रिसीव हो चुके हैं इस प्रकार प्रतिदिन लगभग 400 लोगों द्वारा कॉल सेंटर पर कॉल करके चारधाम यात्रा के संबंध में विभिन्न प्रकार की जानकारियां प्राप्त की जा रही हैं। उन्होंने कहा ऋषिकेश तथा हरिद्वार में बिना रजिस्ट्रेशन के ही यात्रा के लिए आ चुके लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए एसडीआरएफ तथा पर्यटन विभाग द्वारा फिजिकल रजिस्ट्रेशन केंद्रों के माध्यम से इन यात्रियों का पंजीकरण किया जा रहा है।
प्रतिदिन औसतन 5 से 6 हजार ऐसे श्रद्धालुओं को धामों के लिए पंजीकृत करते हुए यात्रा पर भेजा जा रहा है। ऋषिकेश में आईएसबीटी ऋषिकेश हरिद्वार में चमगादड़ टापू पर फिजिकल रजिस्ट्रेशन काउंटर संचालित किए जा रहे हैं। राज्य भर में कुल 18 फिजिकल पंजीकरण केंद्र बनाए गए हैं। रजिस्ट्रेशन काउंटर तथा मंदिरों में दर्शन हेतु कतार प्रबंधन के लिए टोकन सिस्टम की व्यवस्था की गई है।
उन्होंने बताया कि पहली बार यात्रा मार्ग पर निरंतर निगरानी बनाए रखने के लिए सर्विलांस कैमरा स्थापित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त धामों पर यात्रियों की संख्या का सटीक आकलन करने के लिए हेड काउंट कैमरा स्थापित किए गए हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से यात्रियों को यात्रा पंजीकरण, हेल्थ एडवाइजरी तथा मौसम की अद्यतन जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। ताकि वह यात्रा के पूर्व इन जानकारियों के आधार पर अपनी योजना बना सकें।
यात्रा पर जाने वाले प्रत्एक वाहन का पंजीकरण अनिवार्य है निजी वाहनों का पंजीकरण रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर स्वयं का रजिस्ट्रेशन करते समय ही हो जाता है। सुलभ इंटरनेशनल संस्था के माध्यम से चारधाम यात्रा मार्ग पर 144 स्थाई शौचालय (1513 सीट) का संचालन एवं रखरखाव किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त सभी जनपदों में आवश्यकतानुसार अस्थाई फ्लेक्सी शौचालय भी स्थापित किए गए हैं।
प्रो. हेम चंद्र पांडे (कुलपति, एच.एन.बी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय) ने बताया की विभिन्न वैज्ञानिक शोध के अनुसार कोविड महामारी के दूरगामी प्रभाव के कारण मैदानी क्षेत्रों से उच्च हिमालई क्षेत्रों में यात्रा करने का जोखिम अत्यधिक बढ़ गया है। उन्होंने कहा हमारे द्वारा सुझाव दिए गए हैं कि बुजुर्ग एवं अन्य बीमारियों से ग्रसित यात्रियों का पूर्व स्वास्थ्य परीक्षण आवश्यक है और सभी यात्रियों को मेडिकल एडवाईजरी का अनुपालन करते हुए ही यात्रा पर आना चाहिए क्योंकि अभी तक हुई मृत्यु में 60 प्रतिशत से अधिक लोग को-मोर्बिडिटी से ग्रसित थे एवं 60 प्रतिशत लोग 50 वर्ष से अधिक की आयु के थे।
उन्होंने कहा विभिन्न वैज्ञानिक शोध के अनुसार कोविड महामारी के प्रतिकूल प्रभाव अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाने पर और अधिक देखे गए हैं। उन्होंने कहा कि बुजुर्ग, कोविड प्रभावित तथा अन्य रोगों से ग्रसित यात्री स्वास्थ्य परीक्षण एवं चिकित्सकीय परामर्श उपरांत ही यात्रा पर आएं। यात्रा के दौरान 24 से 48 घंटे तक स्थान विशेष के अनुसार ढलने के उपरांत तथा तत्समय की स्वास्थ्य स्थितियों को देखते हुए सतर्कता से यात्रा करें।