सिद्धू अपनी गलती के लिए माफी मांगे: शिअद

Webdunia
शनिवार, 20 दिसंबर 2014 (11:55 IST)
चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल के महासचिव महेन्द्र इंदौर सिंह ग्रेवाल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के तेज तर्रार नेता एवं पूर्व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू के काफिले पर हुए सिखों के हमले के लिए अकाली दल को दोषी ठहराने के बजाय यह स्पष्ट करें कि उन्होंने सिखों की भावनाओं को ठेस क्यों पहुंचाई। 
    
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के महासचिव महेश इंदौर सिंह ग्रेवाल ने शुक्रवार को यहां जारी बयान में कहा कि जम्मू की सिख संगत ने श्री सिद्धू  के विरूद्ध रोष प्रदर्शन करते हुए उनको गुरबाणी को तोड़-मरोड़कर पेश करने के लिए माफी मांगने के लिए बार-बार आग्रह किया, लेकिन वह इस मुद्दे पर बात करने की जगह हमले के लिए अकाली दल को दोषी ठहरा रहे हैं और इसे राजनीतिक रंग दे रहे हैं।
 
ज्ञातव्य है कि चुनाव प्रचार के लिए जम्मू गए सिद्धू पर अज्ञात सिखों ने हमला किया और उन्होंने इस हमले के पीछे पंजाब की बादल सरकार का हाथ बताया था। 
 
ग्रेवाल ने भाजपा नेता को इस तरीके से पेश न आने और सच्चाई  का सामना करने की सलाह दी। सच्चाई यही है  कि उन्होंने गुरुओं और उनकी बाणी का अपमान किया है। इसलिए वह बिना शर्त माफी मांगने की जगह मामले को राजनीतिक रंगत देने का प्रयास कर रहे हैं।
 
श्री ग्रेवाल ने कहा कि सिद्धू गत कुछ महीनों से बागियों की बात कर रहें हैं। पहले तो उन्होंने अमृतसर से भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली को टिकट दिए जाने के विरोध में अपनी पार्टी का ही बॉयकाट किया और जेटली के लिए चुनाव प्रचार करने से मना कर दिया जिनको वह अपना राजनीति गुरु बताते हैं। उन्होंने बौखलाहट में अपने नजदीकी रिश्तेदारों को भी जेटली के विरोधी कैप्टन अमरिंदर सिंह  की मदद करने को कहा था। 
      
उन्होंने कहा कि श्रीसिद्धू की ताजा बयानबाजी उनकी निराशा का प्रतीक है क्योंकि भाजपा हाई कमान यह स्पष्ट  कर चुकी है कि अकाली-भाजपा गठजोड़ अटूट है। पहले वह महासचिव थे अब उससे भी वंचित हैं। ऐसे में सिद्धू के लिए अच्छा यह है कि वह भाजपा से त्यागपत्र देकर अपनी लोकप्रियता परख लें।   
   
उल्लेखनीय है कि सिद्धू के काफिले पर लाठी डंडे से हमला हुआ। हमलावरों ने उनके वाहन पर हमला किया। उनका वाहन क्षतिग्रस्त हो गया। बादल सरकार की आलोचना करते हुए भाजपा नेता ने कहा था कि पंजाब में नशीले पदार्थों की तस्करी अमृतसर में जमीनों पर अवैध कब्जे और परिवारवाद में लिप्त यह सरकार घटिया राजनीति पर उतर आई है। 
    
उन्होंने शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक  प्रकाशसिंह बादल को टेलीविजन पर बहस की चुनौती तक दी जिसको लेकर पार्टी को यह नगवार गुजरी और उनसे मांफी की बात कही है। (भाषा)
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