ओमन चांडी ने जताई RSS के मुखपत्र के लेख पर आपत्ति

Webdunia
शनिवार, 28 नवंबर 2015 (16:36 IST)
तिरुवनंतपुरम। केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मुखपत्र ‘ऑर्गेनाइजर’ में छपे एक लेख पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इसने केरल के लोगों का ‘अपमान’ किया और पत्रिका को बिना किसी शर्त के माफी मांगनी चाहिए।
 
‘ऑर्गेनाइजर’ के संपादकीय मंडल को भेजे पत्र में चांडी ने पत्रिका के दीपावली विशेष अंक में आए ‘गॉड्स ऑन कंट्री और गॉडलेस कंट्री’ लेख को ‘जहरीला’ बताते हुए पत्रिका ने इसे वापस लेने की मांग की।
 
लेख की आलोचना करते हुए चांडी ने कहा कि उसमें जो चीजें लिखी गईं उन्होंने ‘केरल के लोगों और दूसरी जगहों पर रहने वाले मलयालियों का अपमान किया’ है।
 
उन्होंने कहा कि अपनी जन्मभूमि पर गर्व करने वाले एक मलयाली और केरल के मुख्यमंत्री के तौर पर मुझे निश्चित तौर पर अपने राज्य और दूसरे मलयालियों के सम्मान की रक्षा करनी चाहिए। मैं आपकी पत्रिका द्वारा केरल के लोगों एवं दूसरी जगहों पर रहने वाले मलयालियों का बेरुखी से अपमान करने की तरफ आपका ध्यान दिलाना चाहता हूं। 
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपके दीपावली विशेष अंक में यह जहरीला लेख आया। यह विडंबनापूर्ण है कि प्रकाशोत्सव विशेष अंक में इस तरह का निराशाजनक लेख आया, जो केरल में और उसके बाहर रहने वाले मलयालियों को बदनाम करने के लिए खासतौर पर लिखा गया।
 
चांडी ने कहा कि भारत के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिकता का जहर उगलने वाले अब केरल की दहलीज पर खड़े हैं तथा आपको शायद अच्छे से पता हो कि हाल में देश में नृशंस घटनाएं हुई हैं जिनकी वजह से राष्ट्रपति को स्पष्ट रूप से विभाजनकारी ताकतों को लेकर चार बार कड़ी चेतावनी जारी करनी पड़ी। 
 
मुख्यमंत्री ने कहा किकृपया मुझे ‘ऑर्गेनाइजर’ के संपादकीय मंडल को बताने दें कि एक सदी से ज्यादा समय से केरल ने अपने महान पुत्र एवं महान समाज सुधारक श्री नारायण गुरु की शिक्षाओं को दिल से लगाकर रखा है जिन्होंने लोगों से जाति एवं पंथ आधारित विभाजन के रास्ते से दूर रहने का आह्वान किया था। 
 
उन्होंने कहा कि सहिष्णुता मलयाली जनमानस का एक अभिन्न हिस्सा है। इसी वजह से कोडुंगलूर के 7वीं सदी के हिन्दू शासक चेरामन पेरुमल ने एक मस्जिद के निर्माण के लिए जमीन दी थी, जो कि भारत में पहला ऐसा मामला था।
 
चांडी ने कहा कि सुरेन्द्रनाथ (लेख लिखने वाले) ने कुछ सामाजिक मुद्दों के संबंध में बेबुनियाद आरोप लगाकर केरल द्वारा हासिल की गई प्रभावशाली प्रगति को बदनाम करने की कोशिश की है जबकि ये सामाजिक मुद्दे केरल में ही नहीं, बल्कि देश के दूसरे हिस्सों और बाहर भी दिखते हैं।
 
उन्होंने केरल की उपलब्धियों को लेकर कहा कि इसकी उच्च जीवन प्रत्याशा, उच्च साक्षरता दर, महिलाओं के पक्ष में लिंग अनुपात (जो चयनात्मक गर्भपात से राज्य के परहेज का एक साफ संकेत है), सबसे कम मातृ एवं शिशु मृत्यु दर और बाकी चीजें बाकी देश के लिए एक मानदंड बन गए हैं। (भाषा)

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