Vaishnodevi Blast: सुरक्षाधिकारियों के गले की फांस बन गया यात्री बस में हुआ धमाका, दहशत में कश्मीरी पंडित

सुरेश एस डुग्गर
मंगलवार, 17 मई 2022 (12:49 IST)
जम्मू। 4 दिन पहले वैष्णोदेवी तीर्थस्थल के बेस कैंप कटड़ा में यात्री बस में हुए संदिग्ध धमाके ने सुरक्षाबलों की नींद उड़ा दी है। यह धमाका उनके गले की फांस इसलिए बन गया है, क्योंकि प्रारंभिक जांच कहती है कि यह स्टिकी बम अर्थात चिपकने वाले बम से किया गया था। इसमें 4 लोगों की मौत हो गई थी और 22 अन्य जख्मी हुए थे।
 
यूं तो जम्मू पुलिस अभी भी इसे बस के इंजन में लगी आग वाले अपने वक्तव्य पर कायम है। पर मामले की जांच में कूदी एनआईए के सूत्र कहते थे कि यह स्टिकी बम ही था जो आतंकियों की खेप में अब नए हथियार के तौर पर शामिल हो चुका है। जम्मू-कश्मीर में स्टिकी बम अर्थात चिपकने वाले बम का इतिहास अधिक पुराना नहीं है।
 
पिछले साल मार्च महीने में आतंकियों ने कश्मीर में एक टिप्पर पर इसका इस्तेमाल कर उसे क्षति पहुंचाई थी और उसके 2 महीनों के बाद सांबा के इंटरनेशनल बॉर्डर से मिली खेप पर पुलिस ने चुप्पी तो साध ली, पर कटड़ा में हुए ताजा धमाके से हफ्ताभर पहले जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर इसे लगाकर क्षति पहुंचाने के प्रयास ने आतंकियों के इरादों को जाहिर कर दिया था।
 
दरअसल स्टिकी बम को ग्रेनेड नंबर 74 भी कहा जाता है जिसका निर्माण दूसरे विश्व युद्ध में टैंकों को क्षति पहुंचाने के लिए आरंभ हुआ था। इसमें शीशे के जार में नाइट्रोग्लेसरिल का घोल होता है जिसे टाइमर या रिमोट से चालू किया जाता है।
 
याद रहे शुक्रवार को माता वैष्णोदेवी के तीर्थयात्रियों को ले जा रही एक बस को कटरा क्षेत्र में एक विस्फोटक से उड़ा दिया गया जिसमें 4 की मौत हो गई थी और 22 यात्री घायल हो गए। एक आतंकी संगठन जम्मू और कश्मीर स्वतंत्रता सेनानियों (जेकेएफएफ) ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि बस को एक विस्फोटक उपकरण (आईडी) से निशाना बनाया गया था।
 
आतंकवादियों के दावे की सत्यता के बारे में पूछे जाने पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी समूहों के लिए हमला करना और फिर उन संगठनों के माध्यम से जिम्मेदारी का दावा करना असामान्य नहीं हैं।
 
और अब सुरक्षाबलों की चिंता स्टिकी बम इसलिए बन गए हैं, क्योंकि डेढ़ महीनों के बाद अमरनाथ यात्रा आरंभ होने वाली है और बड़े हथियारों की कमी से जूझ रहे आतंकी इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर सकते हैं, की सूचनाओं के बाद सुरक्षाबल इनकी तलाश में अंधेरे में हाथ-पांव मार रहे हैं।
 
हालांकि वे कटड़ा के इस विस्फोट की खबर को भी अंडर प्ले करने की कोशिश में तो हैं, पर एनआईए की जांच उनकी कोशिशों को कामयाब नहीं होने दे रही है जो कहते थे कि खतरा अब द्वार पर आ खड़ा हुआ है जो भयानक तो नहीं है पर नुक्सान पहुंचा दहशतजदा करने वाला जरूर है।

 
धमकी के बाद कश्मीर में नहीं टिकना चाहते कश्मीरी पंडित : लगभग 5000 के करीब वे कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारी अब किसी भी कीमत पर कश्मीर में रूकने को तैयार नहीं हैं जिन्हें कुछ साल पहले पीएम पैकेज के तहत सरकारी नौकरियां दी गई थीं। यह नौकरियां इस शर्त पर दी गईं थीं कि वे कश्मीर में जाकर काम करेंगे और वहीं पर सुरक्षित समझे जाने वाले इलाकों में उनके रहने की व्यवस्था की जाएगी। पर यह सच है कि ये कश्मीरी पंडित आतंकियों के लगातार निशाने पर हैं। पुलवामा के हवल ट्रांजिट आवास में रह रहे कश्मीरी पंडित को लश्करे इस्लाम नाम के आतंकी संगठन ने धमकी दी है।
 
आतंकियों की ओर से जारी किए गए एक पोस्टर में कहा गया है कि कश्मीरी पंडित घाटी छोड़ दें या फिर मौत के लिए तैयार रहें। इस ट्रांजिट आवास में रहने वाले ज्यादातर कश्मीरी पंडित सरकारी नौकरी करते हैं। पिछले साल 7 अक्तूबर को जब आतंकियों ने एक स्कूल में घुस कर अल्पसंख्यक समुदाय के प्रिंसिपल तथा टीचर को छात्रों के सामने गोली मारकर मार दिया था तब भी इसी प्रकार की धमकी एक अन्य आतंकी गुट द्वारा दी गई थी। तब भी अल्पसंख्यक समुदाय के साथ ही प्रवासी नागरिकों ने कश्मीर का त्याग इसलिए कर दिया था, क्योंकि उन सभी को जान प्यारी थी।
 
अब भी वैसा ही माहौल है, क्योंकि धमकी भरे पोस्टर में लिखा गया है कि सभी प्रवासी और आरएसएस एजेंट कश्मीर को छोड़ 2 या मौत का सामना करने के लिए तैयार रहो। ऐसे कश्मीर पंडित जो कश्मीर को एक और इसराइल बनाना चाहते हैं और कश्मीरी मुस्लिमों को मारना चाहते हैं, उनके लिए यहां कोई जगह नहीं है। अपनी सुरक्षा दोहरी या तिहरी कर लो, टारगेट किलिंग के लिए तैयार रहो। तुम मरोगे। यह पोस्टर हवल ट्रांजिट आवास के अध्यक्ष को संबोधित करते हुए लिखा गया था।
 
और अब बडगाम में आतंकियों ने राजस्व विभाग के एक अधिकारी राहुल भट की हत्या कर दी तो पीएम पैकेज वाले कर्मचारी सामूहिक इस्तीफे की धमकी दे रहे हैं। जानकारी कहती है कि कई कश्मीर को त्याग कर जम्मू स्थित अपने घरों में आ चुके हैं। दरअसल उन्होंने ऐसा इसलिए किया है, क्योंकि वे भी जान चुके हैं कि त्रिस्तरीय व बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था को भेद्यना आतंकियों के बाएं हाथ का खेल हो चुका है और उन्हें अपनी जान प्यारी है। हालांकि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने राहुल की पत्नी को जम्मू में सरकारी नौकरी, परिवार को आर्थिक सहायता देने के साथ-साथ बेटी की पढ़ाई का खर्च उठाने की भी घोषणा की है।
 
लेकिन इस घटना से गुस्साए विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने देश में कई जगह प्रदर्शन किया है। इसके साथ ही केंद्र सरकार भी इस मुद्दे पर विपक्ष के निशाने पर आ गई है। दरअसल सरकार की ओर से दावा है कि वो कश्मीर में एक बार विस्थापित कश्मीरों पंडितों को बसाने की कोशिश कर रही है। लेकिन आतंकियों की ओर से कश्मीरी पंडितों की टारगेट किलिंग पर घाटी में दहशत और गुस्सा बढ़ रहा है।

 
अल्पसंख्यकों की हत्याओं का टारगेट लेकर घुसे कई आतंकी : सुरक्षाधिकारियोंने अब इसे माना है कि कश्मीर में अल्पसंख्यकों की हत्याओं के पीछे नए घुसपैठ करने वाले आतंकी हैं जो हाल ही में पाकिस्तान द्वारा इस ओर धकेले गए हैं। जानकारी बताती है कि इन्हें राजौरी व पुंछ के बरास्ता इस ओर धकेला गया था और इनकी संख्या 20 से 25 बताई जाती है जिन्हें पूरे प्रदेश खासकर मुस्लिम बहुल इलाकों में अल्पसंख्यकों को टारगेट करने का लक्ष्य दिया गया है।
 
अधिकारियों ने बताया कि यही कारण है कि कश्मीर में अल्पसंख्यकों की हत्याओं के बाद दिल्ली से भी एक विशेष टीम कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर आतंकियों का पता लगाने के लिए डेरा जमाए बैठी है। इसके अलावा श्रीनगर में विभिन्न सुरक्षा एजेंसियां भी इन हत्याओं की जांच कर रही है जो जम्मू-कश्मीर पुलिस का सहयोग कर रही हैं। इनके अलावा इन एजेंसियों ने अपने सूत्रों को भी लगा रखा है जो विभिन्न इलाकों से सूचनाओं को एकत्रित कर इन तक पहुंचा रहे हैं।
 
अधिकारी तो यहां तक दावा करने लगे हैं कि कश्मीर में नागरिकों विशेषकर गैर मुस्लिमों की हत्याओं के मास्टर माइंड का पता चल गया है। इन हत्याओं के पीछे बीस दिन पहले पाकिस्तान से घुसपैठ कर कश्मीर में आया पाकिस्तानी आतंकी शामिल हैं जिसने स्थानीय आतंकियों से इन हत्याओं को अंजाम दिलवाया है।
 
आतंकियों के कई सहयोगी ओवर ग्राउंड वर्कर्स को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है और उनसे भी कुछ सुरक्षा एजेंसियों को आतंकियों बारे जानकारी हासिल करने में मिली है। इस मामले में सुरक्षाबलों को 13 मई को बांडीपोरा में हुई मुठभेड़ में बड़ी कामयाबी भी मिली है जहां मुठभेड़ में उन्होंने उन तीन आतंकियों को मार गिराया जो राहुल भट की हत्या के लिए जिम्मेदार थे। इनमें 2 पाकिस्तानी नागरिक थे और एक स्थानीय आतंकी था।

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