1953 से पहले के परमिट सिस्टम की याद दिला रही लखनपुर की पाबंदियां

सुरेश एस डुग्गर
बुधवार, 3 फ़रवरी 2021 (22:18 IST)
जम्मू। पंजाब के पठानकोट के रहने वाले 88 साल के मग्गर सिंह को उस समय वर्ष 1953 से पूर्व के परमिट सिस्टम की याद आ गई जब उसने कल जम्मू कश्मीर में प्रवेश करने की खातिर लखनपुर में फार्म भरकर जमा करवाया और फिर उसे कुछ औपचारिकताएं पूरी करने के बाद जम्मू कश्मीर में प्रवेश की अनुमति दी गई।

मग्गर सिंह के बकौल, 1953 से पहले भी ऐसा ही होता था जब रावी दरिया पर बने पुल को पार कर लखनपुर में परमिट लेना पड़ता था, उसके उपरांत ही शेष भारत के लोगों को जम्मू कश्मीर में प्रवेश मिलता था। यह परमिट ठीक उसी प्रकार के वीजा की तरह होता था, जिसे आपको विदेशों में जाने के लिए प्राप्त करना पड़ता है। अब के परमिट प्राप्त करने की प्रक्रिया में इतना ही अंतर है कि प्रत्येक उस व्यक्ति को प्रदेश में आने के लिए अनुमति लेनी पड़ रही है जो प्रदेश से बाहर जाता है, चाहे वह जम्मू कश्मीर का नागरिक ही क्यों न हो।

दरअसल कोरोनावायरस (Coronavirus) के नाम पर लगी पाबंदियां फिलहाल जम्मू कश्मीर में जारी हैं। चाहे सारे देश में एक दूसरे राज्य में प्रवेश करने की पाबंदियां कई महीने पहले हटा ली गई थीं, पर जम्मू कश्मीर में ऐसा नहीं है। जम्मू के प्रवेश द्वार लखनपुर और कश्मीर के प्रवेश द्वार जवाहर टनल पर यह जारी है। इस सच्चाई के बावजूद कि कोरोना पीड़ितों को तलाशने की खातिर की गई कवायद में लखनपुर में जनवरी में सिर्फ 3 लोग ही हाथ आए, जबकि हजारों लोगों को इस प्रक्रिया के तहत प्रताड़ित किया गया।

जम्मू कश्मीर से देश के अन्य हिस्सों में जाने वाली यात्री बसें भी बंद हैं। चाहे वे सरकारी हैं या फिर प्रायवेट। निजी वाहनों पर रोक तो नहीं है, लेकिन आपको प्रदेश में प्रवेश से पहले एक लंबी और परेशान करने वाली प्रक्रिया के दौर से गुजरना होगा।

उन लोगों के लिए, जिनमें वैष्णोदेवी आने वाले श्रद्धालु और टूरिस्ट सबसे ज्यादा हैं, सबसे अधिक दिक्कतें पेश आ रही हैं जिन्हें सरकारी या प्रायवेट यात्री बसों का इस्तेमाल करते हुए प्रदेश में प्रवेश करना है। शेष देश से आने वाली यात्री बसों को फिलहाल प्रदेश में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई और यात्रियों को रावी दरिया पर बने पुल के पंजाब की तरफ वाले किनारे पर उतरकर लखनपुर में बनाए गए कैंप तक आने के लिए एक किमी का सफर तय करना पड़ रहा है।

फिलहाल प्रशासन इसके प्रति कुछ बोलने को राजी नहीं है कि इस परमिट सिस्टम को कब तक समाप्त किया जाएगा, बावजूद इस सच्चाई के कि केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह इसके प्रति कई महीनों से आश्वासन दे रहे हैं। यही नहीं अधिकारियों का खुद मानना है कि ये पाबंदियां जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था को भी क्षति पहुंचा रही हैं और पांबदियों के नाम पर हजारों लोगों को परेशान किया जा रहा है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

big disasters of uttarakhand : उत्तराखंड की 5 बड़ी प्राकृतिक आपदाएं, जिनमें गई हजारों लोगों की जान

Uttarakhand Cloudburst : उत्तराखंड के धराली में बादल फटा, हर्षिल आर्मी कैंप तबाह, कई जवानों के लापता होने की आशंका

YouTube का बड़ा ऐलान : अब इन वीडियो पर नहीं मिलेगा पैसा, कहीं आपका चैनल भी तो लिस्ट में नहीं?

Maharashtra: 20 साल बाद उद्धव और राज ठाकरे मिलकर लड़ेंगे स्थानीय निकाय चुनाव

dharali : 10 तस्वीरों में देखिए कुदरत का कहर, चंद सेकंड्‍स में मलबे में दबा खूबसूरत धराली

सभी देखें

नवीनतम

Uttarkashi Cloud Burst : उत्तराखंड में बादल फटने से तबाही, 4 लोगों की मौत, 130 को बचाया गया

Ed ने बैंक ऋण धोखाधड़ी से जुड़े मामले में अनिल अंबानी से 10 घंटे तक पूछताछ की

क्रिप्टो धोखाधड़ी मामले में अमेरिका में गिरफ्तार भारतीय की 42 करोड़ की संपत्ति कुर्क

दिल्ली हाई कोर्ट ने बिहार चुनाव के लिए एक समान चुनाव चिह्न के अनुरोध वाली याचिका पर मांगा जवाब

प्रयागराज: मां गंगा का विशेष निरीक्षण, सब इंस्पेक्टर के घर आशीर्वाद देने पहुंचीं मैया

अगला लेख