सेना के हाथों गफलत में मारे गए 2 युवक

Webdunia
शुक्रवार, 27 नवंबर 2015 (20:20 IST)
शिलांग। थोड़ी सी गफलत की वजह से सेना ने उत्तर-पूर्व राज्य मेघालय में 2 नागरिकों को मार डाला। दरअसल ये दोनों युवक अपनी बाइक से जा रहे थे और उनकी बाइक के साइलेंसर से फ्लैश को गोली समझकर ड्यूटी पर तैनात सेना के जवानों ने फायरिंग कर दी। गोली लगने से दोनों युवकों की मौत हो गई। 
 
हालांकि इस घटना के बाद सेना मुख्यालय ने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। पता चला है कि सेना के जवान असम-सीमा से सटे मेघालय के आतंकग्रस्त गारो-हिल्स जिले के खरकुटा इलाके में बुधवार की देर शाम एक चैक पोस्ट पर तैनात थे। उसी वक्त दो लड़के बाइक पर आते दिखाई दिए। जवानों ने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन वे रुके नहीं और उन्होंने भागने की कोशिश की। 
 
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल सुनीत न्यूटन के अनुसार घटना के वक्त बेहद अंधेरा था और बाइक के साइलेंसर से निकली आवाज और लाइट को ड्यूटी पर तैनात जवानों ने गोली की आवाज समझकर आत्मरक्षा में गोलियां दाग दी। जवानों की गोली बाइक पर सवार दोनों युवकों के लगी, जिससे उनकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई।  
 
सेना को जानकारी मिली थी कि आतंकी संगठन जीएनएलए (गारो नेशनल लिबरेशन आर्मी) के सदस्य इस इलाके से गुजरने वाले हैं, जिसके चलते ही सेना ने जवानों ने मोबाइल चैक-पोस्ट लगाई थी। जवान हर आने जाने वालों की चेकिंग कर रहे थे। 
 
फायरिंग के बाद सेना के जवानों ने जब  युवकों की तलाशी ली तो उनके पास से किसी भी तरह का कोई हथियार बरामद नहीं हुए। सेना ने घटना की जानकारी मेघालय पुलिस को दी। इन दोनों युवकों की पहचान स्थानीय नागरिकों के तौर पर हुई है और उनका आतंकियों से कोई संबंध नहीं है।
 
 उल्लेखनीय है कि मेघालय का गारो-हिल्स इलाका काफी समय से आतंक से जूझ रहा है। यहां आतंकी खून-खराबा, फिरौती के लिए अपहरण और जबरन वसूली में जुटे हुए हैं।
 
हाल ही में मेघालय हाई कोर्ट ने सरकार से इस इलाके में आफ्सपा कानून (आर्म्ड फोर्स स्पेशल पॉवर एक्ट) लागू करने की सिफारिश की थी जिसके तहत सेना को आतंक से लड़ने के लिए विशेषाधिकार दिया जा सके। हालांकि जिस इलाके में दोनों युवकों की मौत हुई है, वह आफ्सपा कानून के तहत आता है।
 
सनद रहे कि पिछले साल नवम्बर में सेना के जवानों ने जम्मू-कश्मीर के बड़गाम इलाके के चतराल में ठीक ऐसी ही परिस्थितियों में मारुति कार में सवार दो लड़कों को गोलियों से भून डाला था। घटना पर खुद तत्कालीन रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने खेद जताया था। सेना ने भी इस घटना पर अपनी गलती स्वीकार की थी।
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