भोपाल। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जोर-शोर के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान जिस संबल योजना की शुरुआत की थी, उस पर अब खतरा मंडराने लगा है।
करीब 800 करोड़ के भारी-भरकम बजट के साथ गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों के लिए बीजेपी सरकार ने
मुख्यमंत्री जन कल्याण योजना (संबल योजना) शुरू की थी, जिसमें गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के पुराने बिजली बिल माफ करने और दो सौ रुपए प्रतिमाह पर बिजली देने का प्रवाधान था।
चुनाव से ठीक पहले पूरे प्रदेश में इस योजना को पूरे जोर-शोर के साथ लागू किया गया था, लेकिन अब सरकार बदलने के साथ ही इस योजना पर खतरा मंडराने लगा है।
प्रदेश की खराब वित्तीय हालत और कांग्रेस सरकार के किसानों के कर्जमाफी के फैसले के बाद अब सरकार वित्तीय संतुलन रखने के लिए शिवराज सरकार की जिन योजनाओं को बंद करने की तैयारी कर रही है, उसमें संबल योजना सबसे ऊपर है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में अफसरों से बीजेपी सरकार के समय शुरू की गई संबल योजना के बारे में फीडबैक लिया। कैबिनेट की बैठक में मंत्री और अफसरों को नसीहत देते हुए कहा कि किसानों को बिजली बिल को लेकर परेशान न किया जाए।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जिला स्तर पर ऊर्जा समितियों को भंग करने के निर्देश दिए, वहीं मुख्यमंत्री मे बिजली विभाग के अफसरों से कहा कि गांव में अघोषित बिजली की कटौती पर तत्काल रोक लगा लगाई जाए।
कैबिनेट की बैठक में कई मंत्रियों ने इस बात की शिकायत की सूबे में कांग्रेस की सरकार आने के बाद गांव में अघोषित बिजली कटौती की जा रही है, जिससे जनता के बीच कांग्रेस सरकार को लेकर अच्छा फीडबैक नहीं जा रहा है। मंत्रियों की शिकायत पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अफसरों को सुधर जाने के हिदायत देते हुए कहा कि जो भी अधिकारी काम नहीं करेगा उसको बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
दूसरी ओर बीजेपी सरकार के समय किसानों के लिए शुरू की गई भावांतर भुगतान योजना पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। सूबे में भावांतर योजना लागू होने के बाद से कांग्रेस लगातार इस योजना पर सवाल उठा रही थी, कांग्रेस का आरोप था कि इस योजना से किसानों को फायदा न होकर सीधे बिचौलियों को फायदा हो रहा है। अब जब सूबे में कांग्रेस सरकार आ गई तो सरकार भावांतर योजना की नए सिरे से समीक्षा कर रही है।
कैबिनेट की बैठक में कृषि विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री कमलनाथ इस पर कोई बड़ा फैसला ले सकते है। एक और जहां कमलनाथ सरकार इन दो बड़ी योजनाओं की समीक्षा कर इनको बंद करने की तैयारी कर रही है, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान पहले ही सरकार को चेतावनी दे चुके हैं कि अगर सरकार उनके समय शुरू की गई योजनाओं को बंद की तो इसका अंजाम सरकार को भुगतना पड़ेगा।