चारों ओर बिछी बर्फ लगती है यूं कुदरत का नूर बरपता हो...

सुरेश डुग्गर
शुक्रवार, 6 जनवरी 2017 (19:40 IST)
पत्नीटॉप-सनासर (जम्मू कश्मीर)। चारों ओर बिछी हुई बर्फ की सफेद चादर, देवदार तथा चीड़ के पेड़ों से गिरते बर्फ के टुकड़े सच में यहां आने वालों को नई दुनिया का आभास देते हैं। जिधर नजर दौड़ाएं, बस बर्फ ही बर्फ दिखती है और दिखते हैं बर्फ के खेलों का आनंद उठाते हुए लोग, जो देश के विभिन्न भागों से आए थे। यह है पत्नीटॉप का प्रसिद्ध और मनमोहक पर्यटनस्थल जहां सिर्फ गर्मियां ही नहीं बल्कि सर्दियां भी मनोहारी होती हैं।
जम्मू से 108 किमी दूर पत्नीटॉप का रमणीय और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थल समुद्रतल से 6400 फुट की ऊंचाई पर है। लंबे लंबे चीड़ और देवदार के पेड़ हर उस शख्स को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं जो प्रकृतिप्रेमी हैं। साल भर इसकी खूबसूरत ढलानों पर जमी रहने वाली बर्फ भी पर्यटकों को अपनी ओर खींच लेने की शक्ति रखती है।
 
जम्मू पर्यटन विभाग पत्नीटॉप में बर्फ के खेलों का मजा आने वाले पर्यटकों को देने के लिए अगले कुछ दिनों में ‘स्कीइंग फैस्टिवल’ आयोजित करने जा रहा है। एक महोत्सव वह आयोजित कर चुका है पर उसका रंग बिना बर्फ के फीका था। जम्मू क्षेत्र में यह अपने किस्म का वार्षिक स्कीइंग फेस्टिवल होता है जिसमें पर्यटकों को स्कीइंग तो सिखाई ही जाती है और साथ ही पर्यटक बर्फ की खेलों का आनंद भी लूटते हैं।
 
जब कश्मीर में आतंकी घटनाओं ने देश-विदेश के पर्यटकों को गुलमर्ग के प्रसिद्ध पर्यटनस्थल से मुख मोड़ने पर विवश किया तो उत्तर प्रदेश व हिमाचल प्रदेश के बर्फीले क्षेत्र बर्फ की खेलों के विकल्प के रूप में उभर कर सामने आए थे। अब जम्मू क्षेत्र के ‘पहलगाम’ के रूप में जाने जाने वाला पत्नीटॉप नए और महत्वपूर्ण बर्फ के पर्यटन स्थल के रूप में पूरी तरह से उभर चुका है।
 
पहलगाम के उपरांत पत्नीटॉप को स्कीइंग स्थल के रूप में ख्याति प्राप्त करवाने में पर्यटन विभाग के जम्मू विंग का अच्छा खासा सहयोग रहा है। विभाग की मेहनत ही है कि आज पत्नीटॉप में स्कींइग और पैराग्लाइडिंग करने वालों की भीड़ लगी रहती है। स्कीइंग के लिए तो पत्नीटॉप की सबसे ऊंची पहाड़ी पर बनी छोटी और बड़ी स्लोपों के साथ ही पत्नीटॉप के साथ लगते नत्थाटॉप क्षेत्र को भी इस्तेमाल में लाया जा रहा है। जो आप भी खूबसूरती की एक मिसाल हैं। पर्यटन विभाग की ओर से अन्य स्लोपों की तलाश तथा उनका विकास किया जा रहा है ताकि स्कीइंग के आने वालों की भीड़ से निपटा जा सके।
 
आने वाले सभी लोगों को बर्फ की खेलों का आनंद उठाने का अवसर उपलब्ध नहीं हो पाता क्योंकि स्कीइंग साल में सिर्फ सर्दियों के अढ़ाई महीनों में ही होती है। हिमाचल में यह सिर्फ दो महीने होती है पर पत्नीटॉप व नत्थाटॉप में यह कभी-कभी 3 महीनों तक होती रहती है क्योंकि बर्फ पिघलती नहीं है।
ऐसा भी नहीं है कि स्कीइंग न कर पाने वालों को पत्नीटॉप आकर निराश होना पड़ता हो बल्कि कई बर्फ पर फिसलने वाली लकड़ी की स्लेज का मजा लुटते हैं। अन्य बर्फ के पुतले बना बर्फ के अन्य खेलों में लिप्त होते हैं। यह सब कुछ साल के सिर्फ अढ़ाई महीनों के दौरान ही इसलिए होता है क्योंकि बर्फ इसी दौरान रहती है और गर्मियों में पत्नीटॉप आने वाले इन नजारों तथा अनुभवों से वंचित रहते हैं।
 
गर्मियों में आने वालों को निराशा होती हो ऐसा भी नहीं है क्योंकि गर्मियों में पत्नीटॉप आने का अपना ही अलग लुत्फ है जो कश्मीर के मुकाबले का है। ऐसा इसलिए है क्योंकि समुद्रतल से जितनी ऊंचाई पर पत्नीटॉप स्थित है उससे कम ऊंचाई पर श्रीनगर शहर है। कश्मीर का मुकाबला करने वाले इस अनछुए पर्यटनस्थल पत्नीटॉप में बर्फ की खेलों का एक रोचक पहलू यह है कि इसका आनंद उठाने वालों में अधिकतर वे लोग हैं जो पत्नीटॉप से करीब अढ़ाई घंटों की यात्रा की दूरी पर स्थित प्रसिद्ध तीर्थस्थल माता वैष्णो देवी की गुफा के दर्शनार्थ आते हैं। आधिकारिक रिकार्ड के अनुसार पत्नीटॉप आने वाले पर्यटकों में 80 प्रतिशत वैष्णो देवी के तीर्थयात्री ही हैं।
 
एक बार फिर स्वर्ग बनी कश्मीर की धरती : कश्मीर में बर्फबारी कोई पहली बार नहीं हुई है। बर्फीले सुनामी के दौर से भी यह गुजर चुकी है। मगर शांति की बयार के बीच होने वाली बर्फबारी ने एक बार फिर कश्मीर को धरती का स्वर्ग बना दिया है। दो साल पहले तो यह धरती का नर्क बन गया था इसी बर्फबारी के कारण। वैसे आतंकवाद के कारण आज भी यह उन लोगों के लिए नर्क ही है जिनके सगे-संबंधी आए दिन आतंकवादियों की गोलियों का शिकार होते रहते हैं।
 
इस बार सूखे ने रिकार्ड तोड़ दिए तो आतंकवाद के कई वर्षों के बाद कश्मीर में आई बहार में आने वाले पर्यटकों ने भी रिकार्ड कायम कर दिया। वर्ष 2004 में तीन लाख ही पर्यटक आए थे। और फिर तत्कालीन सरकारों की शांति लाने की कोशिशों का नतीजा था कि पिछले साल यह संख्या बढ़ कर 15 लाख पहुंच गई। आने वालों का सिलसिला थमा नहीं है। अनवरत रूप से जारी आने वालों के लिए आज भी सैर सपाटे का प्रथम गंतव्य कश्मीर ही है।
 
‘आखिर हो भी क्यों न, यह तो वाकई धरती का स्वर्ग है,’मुंबई का भौंसले कहता था। उसकी नई नई शादी हुई थी एक महीना पहले। बर्फ देखने की चाहत थी तो वह पूरी हो गई। यह बात अलग है कि बर्फ ने उसके बजट को भी बिगाड़ दिया है क्योंकि बर्फ के कारण रास्ता बंद होने के कारण उसे अब कुछ दिन और रुकना पड़ेगा और ऐसी हालत में घरवालों से एटीएम में वैसे डलवाने के लिए निवेदन करने के अतिरिक्त उसके पास कोई चारा नहीं है।
 
ऐसी परिस्थिति के बावजूद उन सभी के लिए कश्मीर फिर भी धरती का स्वर्ग है। सफेद चादर में लिपटा हुआ गुलमर्ग और पहलगाम, उन्हें किसी फिल्मी सपने के पूरा होने से कम नहीं लगता। गुलमर्ग में 2 से 3 फुट बर्फ ने तो कई जगह पहाड़ बनाए थे तो पहलगाम में इतनी ही बर्फ गिरी और अभी यह सिलसिला थम नहीं रहा था।
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