मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने शहर की एक महिला को अग्रिम जमानत दे दी है। उस महिला पर उसकी समलैंगिक साथी ने आपराधिक विश्वासघात और एससी-एसटी अधिनियम के तहत अपराध के आरोप लगाए थे।
पिछले सप्ताह दिए गए एक फैसले में न्यायमूर्ति एएम बदर ने महिला को अग्रिम जमानत दे दी थी। पिछले साल निचली अदालत ने गिरफ्तारी से बचने के लिए दायर की गई उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी जिसके बाद महिला ने उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी।
बदर ने कहा कि अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाली शिकायतकर्ता इस बात को स्थापित करने में नाकामयाब रही कि याचिकाकर्ता महिला ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार की रोकथाम) अधिनियम के तहत कोई अपराध किया है।
विश्वासघात के आरोपों के संबंध में शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ता पर आरोप लगाया था कि उसके साथ संबंध में होने के बावजूद वह अपने पति और अन्य लोगों के साथ यौन संबंध संबंध कायम रखे हुए है। हालांकि न्यायाधीश बदर ने आरोप पर गौर करते हुए कहा कि आपराधिक विश्वासघात के आरोप संदिग्ध हैं, क्योंकि इन दोनों के संबंधों की वैधता पर उच्च न्यायालय अग्रिम जमानत के आवेदन पर सुनवाई के दौरान विचार नहीं कर सकता है। (भाषा)