गुजरात में बनेगा बैलिस्टिक रिसर्च सेंटर

Webdunia
सोमवार, 1 सितम्बर 2014 (12:52 IST)
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गांधीनगर। बख्तरबंद वाहनों के परीक्षण में भारत जल्द ही आत्मनिर्भरता हासिल कर लेगा, क्योंकि यहां स्थित गुजरात फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (जीएफएसयू) में एशिया का पहला बैलिस्टिक अनुसंधान केंद्र शीघ्र ही काम करने लगेगा।

जीएफएसयू के महानिदेशक जेएम व्यास ने बताया कि ट्रक जितने बड़े, बुलेटप्रूफ बख्तरबंद वाहनों के परीक्षण के लिए जीएफएसयू में एक बैलिस्टिक अनुसंधान केंद्र स्थापित किया जाएगा।

एशिया में अपनी तरह का यह पहला केंद्र होगा। अब तक भारत से बख्तरबंद वाहनों को परीक्षण के लिए ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस जैसे देशों में भेजा जाता है।

व्यास ने बताया कि भारत बख्तरबंद वाहनों के परीक्षण के लिए आत्मनिर्भर बन जाएगा, क्योंकि हमारे निर्माताओं को इसके लिए अपने वाहन इन देशों में भेजने की जरूरत नहीं होगी। परीक्षण पर और इसके लिए दूसरे देशों में वाहन भेजने पर करोड़ों रुपए खर्च होते हैं।

उन्होंने बताया कि गुजरात में स्थित एफएसएल अब तक केवल बुलेटप्रूफ जैकेटों, हैलमेट और बुलेटप्रूफ प्लेटों का ही परीक्षण करता है लेकिन नया केंद्र खुलने पर सभी बख्तरबंद वाहनों का सफल परीक्षण किया जा सकेगा।

बैलिस्टिक अनुसंधान केंद्र भारतीय सेना के बख्तरबंद वाहनों का परीक्षण करेगा और अतिविशिष्ट व्यक्तियों को वाहनों की आपूर्ति करने वाले निजी निर्माताओं को भी सेवाएं मुहैया कराएगा।

व्यास ने बताया कि हम केंद्र के लिए अवसंरचना स्थापित कर चुके हैं। केंद्र एक या दो माह में काम करने लगेगा। परियोजना की लागत अनुमानित 6 करोड़ रुपए है। केंद्र अन्य देशों को भी सेवाएं मुहैया कराएगा।

व्यास ने बताया कि यह भारत में पहला बैलिस्टिक अनुसंधान केंद्र है और हम अपने पड़ोसियों सहित अन्य देशों को भी सेवाएं मुहैया करा सकते हैं। उन्होंने कहा कि परीक्षणों में बख्तरबंद वाहनों से छोटी पिस्तौल से लेकर एके-47 और इन्सास रायफलों तक विभिन्न आग्नेयास्त्र दागे जाना शामिल हैं।

व्यास के अनुसार केंद्र ऐसी प्रक्रिया अपनाएगा जिसमें निर्माता अपने बख्तरबंद वाहनों का परीक्षण होते देख सकेंगे।

उन्होंने कहा कि निर्माता अपने वाहनों का परीक्षण होते देख सकेंगे, क्योंकि यह पारदर्शी शीशों वाले एक कक्ष में किया जाएगा। निर्माता जान सकेंगे कि उनका प्रोजेक्ट पास हुआ या नहीं।

व्यास ने बताया कि केंद्र पूरी तरह साउंडप्रूफ होगा जिसमें आग्नेयास्त्र लगे होंगे और इनसे वाहनों पर गोलियां दागी जाएंगी।

उन्होंने बताया कि परीक्षण के बाद अधिकारी यह जांच सकेंगे कि क्या वाहन में कोई छेद हुआ या नहीं और उसके आधार पर प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। (भाषा)

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