मध्याह्न भोजन योजना में राज्यों की अनोखी पहल...

Webdunia
रविवार, 28 अप्रैल 2013 (15:55 IST)
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नई दिल्ली। स्कूलों में छात्रों के दाखिले और नियमित उपस्थिति को प्रोत्साहित करने के लिए राज्यों ने मध्याह्न भोजन के वास्ते ‘भोजन माता’ की नियुक्ति करने, ‘सरस्वती वाहिनी’, ‘तिथि भोजन’, ‘ग्रीन चैनल कोष’, ‘महिला समख्या’ की संकल्पना पर अमल करने जैसी विशिष्ट पहल की है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में काफी बच्चे खाली पेट स्कूल पहुंचते हैं और दोपहर तक उन्हें भूख लग जाती है जिसके कारण वे पढ़ाई में ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं। मध्याह्न भोजन बच्चों के लिए पूरक पोषक और स्वस्थ विकास के साथ साथ जाति भेद को मिटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

देश के अलग-अलग राज्यों ने इस योजना के संदर्भ में कुछ विशिष्ट पहल भी की है। उत्तराखंड इस योजना के तहत ‘भोजन माता’ की नियुक्ति कर रहा है, जो भोजन पकाने के साथ सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देने में भी सहयोग करती है।

भोजन माता के रूप में सामान्य तौर पर वंचित वर्ग के उन बच्चों की माताओं को नियुक्त किया जाता है, जो स्कूल में दाखिला लेते हैं।

झारखंड ने मध्याह्न भोजन योजना में सामुदायिक सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए स्कूली बच्चों की माताओं का एक संघ बनाया है जिसे ‘सरस्वती वाहिनी’ नाम दिया गया है। इन्हें रोस्टर के आधार पर खाना पकाने और वितरण करने का कार्य सौंपा जाता है।

त्रिपुरा ने मध्याह्न भोजन के तहत स्कूलों में 'डाइनिंग हॉल' बनाने की योजना पेश की है। इस योजना के लिए धन राज्य के बजट से दिया जाता है।

गुजरात में इस योजना के तहत लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए ‘तिथि भोजन’ की योजना पेश की है। इस योजना के तहत गांव के लोग विभिन्न मौकों पर मध्याह्न भोजन के साथ मिठाइयां और पकवान भी उपलब्ध कराते हैं।

आंध्रप्रदेश ने मध्याह्न भोजन के तहत ‘ग्रीन चैनल कोष’ योजना पेश की है जिसके तहत समाज के कमजोर वर्ग के बच्चों को स्कूली शिक्षा, ग्रामीण विकास, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधा आदि के लिए सालभर बिना किसी रुकावट के धन उपलब्ध कराए जाने की व्यवस्था की जाती है।

कर्नाटक ने सभी स्कूलों में एलपीजी गैस आधारित भोजन तैयार करने की व्यवस्था की गई है। कर्नाटक में 56,083 प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूल है जिसमें से 54,336 स्कूलों में एलपीजी से भोजन तैयार करने की व्यवस्था है।

बिहार में इस योजना पर अमल करने के लिए ‘महिला समाख्या’ या ‘माता समिति’ गठित की है। राज्य के 9 जिलों में भोजन पकाने, खाना परोसने और खाने की गुणवत्ता का ध्यान रखने के लिए इस व्यवस्था के तहत महिलाओं की नियुक्ति की जाती है।

केरल में इस योजना पर प्रभावी अमल के लिए ‘मवेली स्टोर’ की व्यवस्था की गई है। मिजोरम में स्कूलों में ‘किचन गार्डन’ की व्यवस्था की गई है जबकि राजस्थान में मध्याह्न भोजन योजना पर सार्वजनिक-निजी साझेदारी के तहत अमल किया जा रहा है।

तमिलनाडु में इस योजना पर अमल के लिए प्राचार्यों, शिक्षकों, माताओं आदि की सहभागिता वाली ‘ग्राम शिक्षा समिति’ गठित की जाती है।

नगालैंड में साझा रसोई व्यवस्था लागू की गई है। पश्चिम बंगाल में कई स्कूलों में मध्याह्न भोजन के लिए खाना बनाने में उपयोग में आने वाली खाद्य सामग्री उगाना शुरू किया गया है। कुछ स्कूलों में तालाब खुदाए गए हैं जिनमें मछलियां पाली जाती हैं। (भाषा)

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