राजस्थान उच्च न्यायालय ने महिलाओं के कल्याण के लिए आरक्षित सभी सीटों को सही ठहराते हुए कहा है कि इसे अधिक और खराब आरक्षण नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह संविधान के तहत है।
उच्च न्यायालय की पीठ ने अपने आदेश में एकल पीठ के न्यायाधीश न्यायमूर्ति शिव कुमार शर्मा के फैसले को पलट दिया।
न्यायमूर्ति शर्मा ने नरेंद्र शर्मा द्वारा दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए कहा था कि महिला अभ्यर्थियों के लिए 100 प्रतिशत आरक्षण देने वाला सेवा नियम अधिकारातीत है।
याचिकाकर्ता ने राजस्थान लोकसेवा के अनुच्छेद 5(1) के नियम 1984 को चुनौती दी थी जिसमें कहा गया है कि महिला विकास से संबंधित सभी परियोजनाओं के पदों पर केवल महिलाओं की ही नियुक्ति होगी। सरकार ने भी तब इस मामले में एक अधिसूचना जारी की थी। (भाषा)