इंदौर। भारत में फिलहाल प्रचलित आर्थिक अवधारणा की प्रासंगिकता पर सवाल उठाते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने दावा किया कि इस वक्त केवल रुपया नहीं, देश की अर्थव्यवस्था का मौजूदा मॉडल ही वेंटिलेटर पर आता नजर आ रहा है।
भागवत ने लघु उद्योगों के हितों में काम करने वाले संगठन ‘लघु उद्योग भारती’ के अखिल भारतीय अधिवेशन में यहां शनिवार रात कहा कि आजकल लोग कहते हैं कि रुपया वेंटिलेटर पर है, लेकिन ऐसा नहीं है कि केवल रुपया वेंटिलेटर पर है।
उन्होंने कहा कि मुझे तो लगता है कि हमने आर्थिक व्यवस्था की जिस अवधारणा (को अपनाने) का विचार किया, वह (विचार) ही वेंटिलेटर पर आ रहा है लिहाजा हमें इस सिलसिले में फिर से विचार करना चाहिए।
उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें अपने पूर्वजों के सफल आर्थिक और औद्योगिक मॉडल के मूल तत्वों के आधार पर अपनी अर्थव्यवस्था खड़ी करनी चाहिए और आर्थिक नीतियों के सही विकल्प के लिए भटकती दुनिया के सामने समाधान प्रस्तुत करना चाहिए।
संघ प्रमुख ने कहा कि हम एक स्वतंत्र देश हैं और किसी अन्य मुल्क की बनाई लीक पर चलने को मजबूर नहीं हैं। अगर बाहरी शक्तियां हमारे हाथ बांधने की कोशिश कर रही हैं तो हमें इसे स्वीकार नहीं करना चाहिए।
उन्होंने सवाल उठाया कि हम खुदरा क्षेत्र में एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) को क्यों घुसने देते हैं। हम अपने सुरक्षा उत्पादों के महत्वपूर्ण क्षेत्र में एफडीआई की चर्चा भी चलने क्यों दे रहे हैं।
भागवत ने आर्थिक और औद्योगिक क्षेत्र में भारत के स्वावलंबन की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उद्योग और उनके द्वारा डाले जाने वाले दबाव आज अंतरराष्ट्रीय जगत को बंधनों में बांध रहे हैं।
उन्होंने मौजूदा आर्थिक परिदृश्य के मद्देनजर भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत को भी रेखांकित किया।
भागवत ने कहा कि भारत की पारंपरिक आर्थिक नीतियों और छोटे उद्योगों के कारण ही देश पर वैश्विक आर्थिक मंदी की उतनी मार नहीं पड़ी। (भाषा)