उफ.... यह गुस्सा!

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आरती चित्तौड़ा 
 
गुस्सा मानवीय भावनाओं को आहत करता है। जाने-अनजाने हम कितनी ही बार अपनों का दिल दुखा बैठते हैं। कभी गुस्से में तो कभी मन में चल रहे विचारों के बवंडर से इतने व्यथित हो जाते हैं कि जरा सी भी बात हमारे अनुकूल नहीं हुई तो हम गुस्सा कर बैठते हैं।  अपशब्द और कटुता से सामने वाले पर बरस पड़ते हैं। उसकी पूरी बात भी नहीं सुनते और अपनी भड़ास निकाल देते हैं।अक्सर बड़ों के गुस्से का शिकार बच्चे होते हैं। अतः अपने गुस्से पर काबू रखें। गुस्सा जब आए तब कोशिश करें कम बोलें क्योंकि आपने तो गुस्से में जो मुंह में आया वह बोल दिया, पर सामने वाले का दिल तो आपके द्वारा कहे गए कटु वचन से आहत हुआ हैं।

गुस्सा घर, ऑफिस या किसी या किसी भी स्थान पर करें उस जगह का माहौल तनाव ग्रस्त हो जाता है। कभी-कभी बच्चे तथा बुजुर्ग अनजाने भय का शिकार हो जाते हैं। अक्सर देखने में आता है कि गुस्से के कारण संबंधों में दरार पड़ जाती हैं। अधिक अपेक्षाएं तथा अपने आप को दूसरों से बेहतर साबित करने के चक्कर में गुस्सा कर बैठते हैं। स्पष्ट शब्दों में कहे तो हमारी गलती के कारण रिश्तों में तनाव, बॉस से चिकचिक तथा बच्चो की बेवजह पिटाई कर बैठते हैं। इस गलती का अहसास तब होता है जब समय हमारे हाथ से चला जाता है। कुल मिलाकर संयम ,धैर्य और सामने वाले की मनःस्थिति को समझकर किसी भी समस्या का शांतिपूर्वक समाधान किया जा सकता है। 
 
अतः जरूरी है कि हम इन बातों का ध्यान रखें.........
 
जानिए, गुस्से से कैसे बचे।
 
•कोई भी मुद्दा हो,शांति से हल करने का प्रयास करें ।
•जब गुस्सा आए तो अपने इष्ट देव को याद करें।
•कोई भी बात हो उसे शांतिपूर्वक सामने वाले को समझाएं।
•जब गुस्सा चरम पर हो तो अलग कमरे में जाकर बैठ जाएं।     
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