दीक्षा के बाद ही देवलोकगमन

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दिगंबर जैन संत उपाध्याय निर्णय सागर के ससंघ में शामिल ब्रह्मचारी महेन्द्र कुमार ने अलवर में गत दिवस रात्रि एक बजकर एक मिनट पर क्षुल्लक दीक्षा ली। उन्हें उपाध्याय निर्णय सागरजी ने क्षुल्लक दीक्षा के संस्कार दिए। सोमवार दोपहर डेढ़ बजे उन्हें मुनि दीक्षा दिलवाई गई। इसके आधे घंटे उपरांत ही महेन्द्र कुमारजी का देवलोकगमन हो गया।

जैन धर्म के इतिहास में संभवतः पहली बार ही ऐसा हुआ है जब एक दिन में दो दीक्षा के बाद उसी दिन मुनिश्री ने देह त्याग दी। उपाध्याय निर्णय सागरजी ससंघ दो दिन पहले ही अलवर आए थे।

मुनि बने ब्रह्मचारी महेन्द्र कुमार ने उपाध्याय सागरजी की अनुमति से समाधि (अन्न-जल त्याग) ले रखी थी। दो दिन तक वे एकांत में ही ईश्वर की आराधना में लीन थे। वे किसी भी श्रद्धालु को दर्शन नहीं दे रहे थे और मौन थे। इस सूचना से समस्त जैन समाज में शोक छा गया है।

क्षुल्लक दीक्षा लेने पर उन्हें परमानंद सागर नाम दिया गया था।

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