गौरी माता से सौभाग्य की कामना

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अधिकांश परिवारों में कल गणगौर माता का पूजन हुआ। महिलाएँ सज-सँवरकर माता के पूजन के लिए पहुँचीं और अपने सौभाग्य की लंबी आयु की कामना की। इसके साथ गणगौर घाट पर पूजा-अर्चना कर गौरी को विदा किया गया। कई परिवारों में गणगौर को कुछ दिनों के लिए रखा जाता है।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के प्रारंभ में गणगौर पर्व मनाने का विशेष महत्व है। तृतीया को दाम्पत्य जीवन के अनुष्ठानिक उत्सव के लिए महिलाओं ने व्रत रखकर माता की स्तुति की। परिवार की महिलाओं ने गौरी का सुंदर गोटेदार वस्त्र पहनाकर सिंदूर, चूड़ियाँ, मेहँदी, काजल,बिंदी, टीका, शीशा आदि सौभाग्य की वस्तुओं से श्रृंगार किया।
  चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के प्रारंभ में गणगौर पर्व मनाने का विशेष महत्व है। तृतीया को दाम्पत्य जीवन के अनुष्ठानिक उत्सव के लिए महिलाओं ने व्रत रखकर माता की स्तुति की।      


गौरी को विभिन्न पकवानों का भोग लगाया गया। दिनभर माता के भजनों का सिलसिला चला। चैत्र माह की दशमी से तृतीया तक निमा़ड़ व मालवा क्षेत्र में नौ दिवसीय गणगौर उत्सव मनाने का विशेष महत्व है। तीसरे दिन गणगौर माता को विसर्जित करने की परंपरा है। कुछ परिवारों में अपने अनुसार अच्छा दिन देखकर विदा किया जाता है।

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