आइए जानें किस वार को क्या करें, क्या न करें

Webdunia
रविवार, 7 सितम्बर 2014 (15:46 IST)
रविवार, मंगलवार और गुरुवार को नमक नहीं खाना चाहिए। इससे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और हर कार्य में बाधा आती है।
 
यदि मंगलवार को कार्य में बाधा आती हो तो हनुमानजी का सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाकर या नया चोला चढ़ाएं।
 
बुधवार को माता को सिर नहीं धोना चाहिए ऐसा करने से बच्चे का स्वास्थ्य बिगड़ता है या उसके समक्ष कोई कष्ट आता है।
 
मंगलवार को किसी को ऋण नहीं देना चाहिए वर्ना दिया गया ऋण आसानी से मिलने वाला नहीं है। मंगलवार को ऋण चुकता करने का अच्छा दिन माना गया है। इस दिन ऋण चुकता करने से फिर कभी ऋण लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
 
बुधवार : बुधवार को धन का लेन-देन नहीं करना चाहिए बल्की धन को जमा करना चाहिए। इस दिन जमा किए गए धन में बरकत रहती है।
 
किसी कार्य में बाधा आ रही हो तो बुधवार को उत्पन्न सन्तान से कार्य कराएं तो बन जाएगा।
 
लड़के को शनिवार के दिन ससुराल नहीं भेजना चाहिए। शनिवार के दिन तेल, लकड़ी, कोयला, नमक, लोहा या लोहे की वस्तु क्रय करके नहीं लानी चाहिए वर्ना बिना बात की बाधा उत्पन्न होगी और अचानक कष्ट झेलना पड़ेगा। 
 
गुरुवार को शेविंग न करें वर्ना संतान सुख में बाधा उत्पन्न होगी।
 
रविवार : रविवार की प्रकृति ध्रुव है और इसका दिशाशूल पश्‍चिम और वायव्य है। पूर्व, उत्तर और अग्निकोण में यात्रा कर सकते हैं। यह दिन गृहप्रदेश की दृष्टि से भी उचित है। इस दिन सोना, तांबा खरीद सकते हैं या धारण कर सकते हैं। इस दिन अग्नि या बिजली के सामान भी खरीद सकते हैं।
 
सोमवार : इसकी प्रकृति सम है। दक्षिण, पश्‍चिम और वायव्य दिशा में यात्रा कर सकते हैं लेकिन उत्तर, पूर्व और आग्नेय में दिशाशूल रहता है। इस दिन गृह निर्माण का शुभारंभ, राज्याभिषेक, कृषि कार्य या लेखन कार्य का शुभारंभ करना उचित है। दूध और घी का क्रय कर सकते हैं।
 
मंगलवार : इसकी प्रकृति उग्र है अत: दक्षिण, पूर्व, आ‍ग्नेय दिशा में यात्रा कर सकते हैं लेकिन पश्‍चिम, वायव्य और उत्तर में दिशाशूल रहता है। शस्त्र अभ्यास, शौर्य के कार्य, विवाह कार्य या मुकदमें का आरंभ करने के लिए यह उचित दिन है। बिजली, अग्नि या धातुओं से संबंधित वस्तुओं का क्रय विक्रय कर सकते हैं।
 
बुधवार : इसकी प्रकृति चर और सौम्य मानी गई है। पूर्व, दक्षिण और नैऋत्य दिशा में यात्रा कर सकते हैं लेकिन उत्तर, पश्‍चिम और ईशान में दिशाशूल रहता है। यात्रा के लिए यह दिन उचित है। मंत्रणा, मंथन और लेखन कार्य के लिए भी यह दिन उचित है। ज्योतिष, शेयर, दलाली जैसे कार्यों के लिए भी यह दिन शुभ माना गया है।
 
गुरुवार : इसकी प्रकृति क्षिप्र है। उत्तर, पूर्व, ईशान दिशा में यात्रा शुभ। दक्षिण, पूर्व, नैऋत्य  में दिशाशूल रहता है। धार्मिक, मांगलिक प्रशासनिक, शिक्षण और पुत्र के रचनात्मक कार्यों के लिए यह दिन शुभ है। सोने और तांबे का क्रय विक्रय कर सकते हैं।
 
शुक्रवार : इसकी प्रकृति मृ‍दु है। पूर्व, उत्तर और ईशान में यात्रा कर सकते हैं। नैऋत्य, पश्चिम और दक्षिण में दिशाशूल। गृहप्रवेश, कन्यादान, नृत्य, गायन, संगीत और कला के कार्यों के लिए यह शुभ दिन है। आभूषण, श्रृंगार, सुगंधित पदार्थ, वस्त्र, वाहन क्रय, चांदी  आदि के क्रय‍ विक्रय के लिए उचित दिन। सुखोपभोग और सहवास के लिए भी लाभदायक ।
 
शनिवार : इसकी प्रकृति दारुण है। नैऋत्य, पश्चिम और दक्षिण दिशा में यात्रा कर सकते हैं। पूर्व, उत्तर और ईशान दिशा में दिशाशूल। भवन निर्माण प्रारंभ, तकनीकी कार्य, शल्य क्रिया या जांच कार्य के लिए उचित दिन। प्लास्टिक, तेल, पेट्रोल, लकड़ी, सीमेंट आदि क्रय और विक्रय का दिन।

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