जानिए तिथिनुसार किस दिन होगा कौन सा श्राद्ध

Webdunia
गुरुवार, 11 सितम्बर 2014 (12:55 IST)
श्राद्ध पक्ष आरंभ हो चुका है। हिन्दू धर्म को मानने वाले हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अपने पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध अवश्य करें। श्राद्ध करने से श्रद्धा उत्पन्न होती है।
 

 
बुध ग्रह पितरों या पूर्वजों का ग्रह होता है। जब सूर्य ग्रह सभी राशियों में विचरण करता हुआ कन्या राशि में आता है तो वह पक्ष श्राद्ध पक्ष कहलाता है। 
 
कन्या राशि बुध ग्रह की राशि है, सूर्य की साक्षी में किया गया श्राद्ध पितरों को प्राप्त होता है। 
 
* श्राद्ध करने का समय तुरुप काल बताया गया है अर्थात् दोपहर 12 से 3 के मध्य। 
 
* श्राद्ध में ब्राह्मण व गाय का बहुत महत्व है। 
 
* श्राद्ध के भोजन में बेसन का प्रयोग वर्जित है।
 
सन् 2014 में श्राद्ध तिथिनुसार इस प्रकार मनाएं-
 
● पूर्णिमा का श्राद्ध सोमवार दिनांक 9 सितंबर सुबह 10.49 पश्चात, 
● एकम् व द्वितिया का श्राद्ध मंगलवार 10 सितंबर
● तृतीया का श्राद्ध बुधवार 11 सितंबर। (अन्य मतांतर से) 
● चतुर्थी का श्राद्ध गुरुवार 12 सितंबर
● पंचमी का श्राद्ध शुक्रवार 13 सितंबर
● षष्ठी का श्राद्ध शनिवार 14 सितंबर
● सप्तमी का श्राद्ध रविवार 15 सितंबर
●  अष्टमी का श्राद्ध सोमवार 16 सितंबर। (महालक्ष्मी व्रत) 
●  नवमी का श्राद्ध मंगलवार 17 सितंबर मातृनवमी 
● दशमी का श्राद्ध बुधवार 18 सितंबर
● एकादशी का श्राद्ध गुरुवार 19 सितंबर
●  द्वादशी का श्राद्ध शुक्रवार 20 सितंबर
●  शनिवार 21 सितंबर
● त्रयोदशी व चतुर्दशी का श्राद्ध रविवार 22 सितंबर
●  अमावस्या का श्राद्ध का सोमवार प्रातः 7.34 पश्चात् दिनांक 23 सितंबर
● सर्व पितृ अमावस्या का श्राद्ध मंगलवार 24 सितंबर प्रातः 9.46 पश्चात। श्राद्धमहालय 
 
 
विशेष : श्राद्ध मे तर्पण पंचबली कर्म अवश्य कराना चाहिए। सफेद पुष्प सफेद भोजन काम में लेना चाहिए।  सूतक में ब्राह्मण को भोजन नहीं कराना चाहिए। केवल गाय को रोटी देवें....। 

सौभाग्यवती स्त्री की मृत्यु पर नियम है कि उनका श्राद्ध नवमी ‍तिथि को करना चाहिए, क्योंकि इस तिथि को श्राद्ध पक्ष में अविधवा नवमी माना गया है। नौ की संख्या भारतीय दर्शन में शुभ मानी गई है। संन्यासियों के श्राद्ध की ति‍थि द्वादशी मानी जाती है (बारहवीं)।
 
शस्त्र द्वारा मारे गए लोगों की ति‍थि चतुर्दशी मानी गई है। विधान इस प्रकार भी है कि यदि किसी की मृत्यु का ज्ञान न हो या पितरों की ठीक से जानकारी न हो तो सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध किया जाए।

 
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