शनि अमावस्या पर ऐसे करें पितृदोष शांति के उपचार

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जिन व्यक्तियों की कुंडली में पितृदोष है या कोई पितृ दोष की पीड़ा भोग रहे हो तो उन्हें शनिश्चरी अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। 
 
अक्सर कहा भी जाता कि पितृदोष के लिए अमावस्या पर पूजा करने का विशेष महत्व है। लेकिन अमावस्या पर क्या किया जाए और कैसे किया जाए यह स्पष्ट रूप से कोई नहीं बताता। हम लाए हैं ज्योतिषाचार्य आचार्य संजय द्वारा बताए अचूक और सटीक उपाय।
 
कैसे करें अमावस्या पर पितृदोष शांति की पूजा -  
 
1. प्रत्येक अमावस्या के दिन दक्षिणाभिमुख होकर दिवंगत पितरों के लिए पितृ तर्पण करना चाहिए। पितृस्तोत्र या पितृसूक्त का पाठ करना चाहिए। 
 
2. प्रत्येक संक्रांति, अमावस्या और रविवार के दिन सूर्य देव को ताम्र बर्तन में लाल चंदन, गंगा जल और शुद्ध जल मिलाकर 'ॐ पितृभ्य: नम:' का बीज मंत्र पढ़ते हुए तीन बार अर्घ्य दें। 
 
3. प्रत्येक अमावस्या के दिन अपने पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें और 'ॐ पितृभ्य: नम:' मंत्र का जाप करें। उसके बाद पितृसूक्त का पाठ करना शुभ फल प्रदान करता है।


 
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