अधिक मास कैसे बना पुरुषोत्तम मास, पढ़ें पौराणिक कथा

Webdunia
मंगलवार, 18 जुलाई 2023 (19:25 IST)
Purushottam maas ki katha: अधिकमास को मलमास और पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। इस बार श्रावण माह में 18 जुलाई 2023 को अधिकमास प्रारंभ हो गया है। प्रत्येक 3 वर्ष में यह मास जुड़कर 12 की जगह हिन्दू कैंलेंडर में 13 माह हो जाते हैं। इस 13वें माह को कोई भी देवता अपनाने को तैयार नहीं थी। इसी से जुड़ी है रोचक पौराणिक कथा।
 
  1. कहते हैं कि दैत्याराज हिरण्यकश्यप ने अमर होने के लिए तप किया ब्रह्माजी प्रकट होकर वरदान मांगने का कहते हैं तो वह कहता है कि आपके बनाए किसी भी प्राणी से मेरी मृत्यु ना हो, न मनुष्य से और न पशु से। न दैत्य से और न देवताओं से। न भीतर मरूं, न बाहर मरूं। न दिन में न रात में। न आपके बनाए 12 माह में। न अस्त्र से मरूं और न शस्त्र से। न पृथ्‍वी पर न आकाश में। युद्ध में कोई भी मेरा सामना न करे सके। आपके बनाए हुए समस्त प्राणियों का मैं एकक्षत्र सम्राट हूं। तब ब्रह्माजी ने कहा- तथास्थु।
  2. फिर जब हिरण्यकश्यप के अत्याचार बढ़ गए और उसने कहा कि विष्णु का कोई भक्त धरती पर नहीं रहना चाहिए तब श्री‍हरि की माया से उसका पुत्र प्रहलाद ही भक्त हुआ और उसकी जान बचाने के लिए प्रभु ने सबसे पहले 12 माह को 13 माह में बदलकर अधिक मास बनाया। इसके बाद उन्होंने नृसिंह अवतार लेकर शाम के समय देहरी पर अपने नाखुनों से उसका वध कर दिया।
  3. इसके बाद चूंकि हर चंद्रमास के हर मास के लिए एक देवता निर्धारित हैं परंतु इस अतिरिक्त मास का अधिपति बनने के लिए कोई भी देवता तैयार ना हुआ। ऐसे में ऋषि-मुनियों ने भगवान विष्णु से आग्रह किया कि वे ही इस मास का भार अपने उपर लें और इसे भी पवित्र बनाएं तब भगवान विष्णु ने इस आग्रह को स्वीकार कर लिया और इस तरह यह मलमास के साथ पुरुषोत्तम मास भी बन गया।
  4. ऐसी भी मान्यता है कि स्वामीविहीन होने के कारण अधिकमास को 'मलमास' कहने से उसकी बड़ी निंदा होने लगी। इस बात से दु:खी होकर मलमास श्रीहरि विष्णु के पास गया और उनको अपनी व्यथा-कथा सुनाई। तब श्रीहरि विष्णु उसे लेकर गोलोक पहुचें।
  5. गोलोक में भगवान श्रीकृष्ण ने मलमास की व्यथा जानकर उसे वरदान दिया- अब से मैं तुम्हारा स्वामी हूं। इससे मेरे सभी दिव्य गुण तुम में समाविष्ट हो जाएंगे। मैं पुरुषोत्तम के नाम से विख्यात हूं और मैं तुम्हें अपना यही नाम दे रहा हूं। आज से तुम मलमास के बजाय पुरुषोत्तम मास के नाम से जाने जाओगे। इसीलिए प्रति तीसरे वर्ष में तुम्हारे आगमन पर जो व्यक्ति श्रद्धा-भक्ति के साथ कुछ अच्छे कार्य करेगा, उसे कई गुना पुण्य मिलेगा।
  6. इस प्रकार भगवान ने अनुपयोगी हो चुके अधिकमास को धर्म और कर्म के लिए उपयोगी बना दिया। अत: इस दुर्लभ पुरुषोत्तम मास में स्नान, पूजन, अनुष्ठान एवं दान करने वाले को कई पुण्य फल की प्राति होगी।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Shradh 2025: घर में पितरों की फोटो लगाते समय न करें ये गलतियां, जानिए क्या हैं वास्तु शास्त्र के नियम

Solar eclipse 2025: सर्वपितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण, क्या किसी बड़ी तबाही का है संकेत?

Sarvapitri amavasya 2025: सर्वपितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण, क्या होगा भारत पर इसका असर?

Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि: 9 दिनों का महत्व और महिषासुर मर्दिनी की कथा

Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि पर घर पर कैसे करें घट स्थापना और दुर्गा पूजा

सभी देखें

धर्म संसार

20 September Birthday: आपको 20 सितंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

20 Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 20 सितंबर, 2025: शनिवार का पंचांग और शुभ समय

Navratri 2025: मां वैष्णो देवी गुफा में आद‌ि कुंवारी से लेकर भैरव शरीर तक छुपे हैं कई चमत्कारी रहस्य, जानकर हैरान रह जाएंगे आप

Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि में दुर्गासप्तशती पाठ करने के नियम और विधि

Dussehra 2025 Date: विजयादशी दशहरा कब है?

अगला लेख