कार्तिक मास विशेष : ये 10 काम करेंगे तो कभी नहीं आएगा शोक, नहीं सताएगा कोई रोग

Webdunia
सोमवार, 25 अक्टूबर 2021 (04:02 IST)
आश्‍विन माह के अंतिम दिन शरद पूर्णिमा के बाद से कार्तिक माह ( kartik maas ) प्रारंभ हो जाता है। इस माह की शुरुआत कृष्ण पक्ष से होती है। इस पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस और अमावस्या को दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। पुराणों में कार्तिक माह की ( Kartik month importance ) महीमा का वर्णन किया गया है क्योंकि इसे सर्वश्रेष्ठ माह मानया गया है। यह माह पाप का नाश करके व्यक्ति के सभी संकट दूर कर देता है और धन, सुख, समृद्धि, शांति एवं निरोग प्रदान करता है। आओ जानते हैं कि इस माह में कौन से प्रमुख 10 कार्य करने से रोग और शोक मिट जाते हैं।
 
 
रोगापहं पातकनाशकृत्परं सद्बुद्धिदं पुत्रधनादिसाधकम्।
मुक्तेर्निदांन नहि कार्तिकव्रताद् विष्णुप्रियादन्यदिहास्ति भूतले।।-(स्कंदपुराण. वै. का. मा. 5/34)...
अर्थात- कार्तिक मास आरोग्य प्रदान करने वाला, रोगविनाशक, सद्बुद्धि प्रदान करने वाला तथा मां लक्ष्मी की साधना के लिए सर्वोत्तम है।
 
 
1. नदी स्नान : इस मास में श्री हरि जल में ही निवास करते हैं। अत: इस माह में पवित्र नदी में स्नान करने बहुत ज्यादा महत्व है। मदनपारिजात के अनुसार कार्तिक मास में इंद्रियों पर संयम रखकर चांद-तारों की मौजूदगी में सूर्योदय से पूर्व ही पुण्य प्राप्ति के लिए स्नान नित्य करना चाहिए।
 
2. दान : इस माह में दान का भी बहुत ही ज्यदा महत्व होता है। अपनी क्षमता अनुसार अन्न दान, वस्त्र दान और अन्य जो भी दान कर सकते हो वह करें। 
 
3. दीपदान : इस माह में दीपदान का बहुत ही महत्व है। नदी, तालाब आदि जगहों पर दीपदान करने से सभी तरह के संकट समाप्त होते हैं और जातक कर्ज से भी मुक्ति पा जाता है।
4. पूजा : इस माह में तीर्थ पूजा, गंगा पूजा, विष्णु पूजा, लक्ष्मी पूजा और यज्ञ एवं हवन का भी बहुत ही महत्व है। इस दिन चंद्रोदय पर शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छह कृतिकाओं का अवश्य पूजन करना चाहिए।
 
5. तुलसी पूजा : इस माह में तुलसी की पूजा, सेवन और सेवा करने का बहुत ही ज्यादा महत्व है। इस कार्तिक माह में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना माना गया है।
 
6. व्रत : इस दिन उपवास करके भगवान का स्मरण, चिंतन करने से अग्निष्टोम यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है तथा सूर्यलोक की प्राप्ति होती है। कार्तिकी पूर्णिमा से प्रारम्भ करके प्रत्येक पूर्णिमा को रात्रि में व्रत और जागरण करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।
 
7. भूमि पर शयन : इस माह में भूमि पर सोने से मन में सात्विकता का भाव निर्मित होकर सभी तरह के रोग और विकारों का समाधान होता है।
 
8. दलहन खाना मना है : कार्तिक महीने में उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राईं आदि नहीं खाना चाहिए। लहसुन, प्याज और मांसाहर का सेवन न करें।
 
9. तेल लगाना मना है : इस माह में नरक चतुर्दशी (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) को छोड़कर अन्य दिनों में तेल लगाना वर्जित माना गया है।
 
10. इंद्रिय संयम : कार्तिक मास में इंद्रिय संयम में खासकर ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक बताया गया है। इसका पालन नहीं करने पर अशुभ फल की प्राप्ति होती है। इंद्रिय संयम में अन्य बातें जैसे कम बोले, किसी की निंदा या विवाद न करें, मन पर संयम रखें, खाने के प्रति आसक्ति न रखें, न अधिक सोएं और न जागें आदि।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

चैत्र नवरात्रि की सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि का क्या है महत्व?

हिंदू नववर्ष पर घर के सामने क्यों बांधी जाती है गुड़ी?

चैत्र नवरात्रि 2025: नवरात्रि के पहले दिन भूलकर भी न करें ये 10 काम, बढ़ सकती हैं परेशानियां

29 मार्च को शनि और राहु की युति से बन रहा है पिशाच योग, बचने के 10 उपाय

सूर्य ग्रहण और शनि के मीन राशि में प्रवेश का दुर्लभ संयोग, क्या होगा देश दुनिया का हाल? कौनसी 6 राशियां रहेंगी बेहाल?

सभी देखें

धर्म संसार

चैत्र नवरात्रि 2025: नवरात्रि व्रत कर कम करना चाहते हैं वजन, तो भूलकर भी ना खाएं ये 6 चीजें

Chaitra navratri diet: नवरात्रि में कैसे रखें अपनी सेहत का ख्याल? जानें सही डाइट टिप्स

25 मार्च 2025 : आपका जन्मदिन

डायबिटीज-कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने से रोकते हैं नवरात्रि व्रत में खाए जाने वाले ये 7 सुपर फूड, सेहत को मिलते हैं अनगिनत फायदे

25 मार्च 2025, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख