शिवलिंग क्या है? जानिए वास्तविक अर्थ............

पं. प्रणयन एम. पाठक
अन्य धर्म के लोग अपने छोटे-छोटे बच्चोंं को बताते हैं कि हिन्दू लोग लिंग की पूजा करते हैं। हर किसी को संस्कृत का ज्ञान नहीं होता है। आइए इसका अर्थ जानें और भ्रम से बचें। 
 

 
लिंग का अर्थ संस्कृत में चिन्ह, प्रतीक होता है। शिवलिंग का अर्थ हुआ शिव का प्रतीक। 
 
पुरुष लिंग का अर्थ हुआ पुरुष का प्रतीक इसी प्रकार स्त्रीलिंग का अर्थ हुआ स्त्री का प्रतीक और नपुंसक लिंग का अर्थ हुआ नपुंसक का प्रतीक।  
 
”शिवलिंग”’क्या है ?

”शिवलिंग”’क्या है ?
 
शून्य, आकाश, अनन्त, ब्रह्मांड और निराकार परमपुरुष का प्रतीक होने से इसे लिंग कहा गया है। स्कन्दपुराण में कहा है कि आकाश स्वयं लिंग है। शिवलिंग वातावरण सहित घूमती धरती तथा सारे अनन्त ब्रह्मांड (क्योंकि, ब्रह्मांड गतिमान है) का अक्ष/धुरी ही लिंग है।
 
शिव लिंग का अर्थ अनन्त भी होता है अर्थात जिसका कोई अन्त नहीं है न ही शुरुआत।
 
शिवलिंग का अर्थ लिंग या योनि नहीं होता ..दरअसल ये गलतफहमी भाषा के रूपांतरण और भ्रमित लोगों द्वारा हमारे पुरातन धर्म ग्रंथों को नष्ट कर दिए जाने तथा अंग्रेजों द्वारा इसकी व्याख्या से उत्पन्न हुआ है।
 
खैर, जैसा कि हम सभी जानते हैं कि एक ही शब्द के विभिन्न भाषाओँ में अलग-अलग अर्थ निकलते हैं|
 
यदि हम हिंदी के एक शब्द “सूत्र” को ही ले लें तो…….
 
सूत्र मतलब डोरी/धागा गणितीय सूत्र कोई भाष्य अथवा लेखन भी हो सकता है। 
 
उसी प्रकार “अर्थ” शब्द का भावार्थ : सम्पति भी हो सकता है और मतलब (मीनिंग) भी ।
 
ठीक बिल्कुल उसी प्रकार शिवलिंग के सन्दर्भ में लिंग शब्द से अभिप्राय चिह्न, निशानी, गुण, व्यवहार या प्रतीक है। धरती उसका पीठ या आधार है और सब अनन्त शून्य से पैदा हो उसी में लय होने के कारण इसे लिंग कहा है तथा कई अन्य नामों से भी संबोधित किया गया है जैसे : प्रकाश स्तंभ/लिंग, अग्नि स्तंभ/लिंग, ऊर्जा स्तंभ/लिंग, ब्रह्मांडीय स्तंभ/लिंग 
 
ब्रह्माण्ड में दो ही चीजें हैं : ऊर्जा और पदार्थ। हमारा शरीर पदार्थ से निर्मित है और आत्मा ऊर्जा है। इसी प्रकार शिव पदार्थ और शक्ति ऊर्जा का प्रतीक बन कर शिवलिंग कहलाते है।
 
ब्रह्मांड में उपस्थित समस्त ठोस तथा उर्जा शिवलिंग में निहित है. वास्तव में शिवलिंग हमारे ब्रह्मांड की आकृति है. (The universe is a sign of Shiva Lingam.)
 
शिवलिंग भगवान शिव और देवी शक्ति (पार्वती) का आदि-अनादि एकल रूप है तथा पुरुष और प्रकृति की समानता का प्रतीक भी अर्थात इस संसार में न केवल पुरुष का और न केवल प्रकृति (स्त्री) का वर्चस्व है बल्कि दोनों का समान है। 

Vrishabha Sankranti 2024: सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश से क्या होगा 12 राशियों पर इसका प्रभाव

Khatu Syam Baba : श्याम बाबा को क्यों कहते हैं- 'हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा'

Maa lakshmi : मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पर चढ़ाएं ये 5 चीज़

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

Guru Gochar 2025 : 3 गुना अतिचारी हुए बृहस्पति, 3 राशियों पर छा जाएंगे संकट के बादल

19 मई 2024 : आपका जन्मदिन

19 मई 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Chinnamasta jayanti 2024: क्यों मनाई जाती है छिन्नमस्ता जयंती, कब है और जानिए महत्व

Narasimha jayanti 2024: भगवान नरसिंह जयन्ती पर जानें पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Vaishakha Purnima 2024: वैशाख पूर्णिमा के दिन करें ये 5 अचूक उपाय, धन की होगी वर्षा

अगला लेख