जानिए पारसी धर्म कैसे आया भारत में...

Webdunia
पारसी धर्म ईरान का प्राचीन धर्म है। ईरान के बाहर मिथरेज्‍म के रूप में रोमन साम्राज्‍य और ब्रिटेन के विशाल क्षेत्रों में इसका प्रचार-प्रसार हुआ। इसे आर्यों की एक शाखा माना जाता है।

ईरान पर इस्‍लामी विजय के पश्‍चात पारसियों को इस्लाम कबूल करना पड़ा तो कुछ पारसी धर्म के लोगों ने अपना गृहदेश छोड़कर भारत में शरण ली। 
 
कहा जाता है कि इस्लामिक अत्याचार से त्रस्त होकर पारसियों का पहला समूह लगभग 766 ईसा पूर्व दीव (दमण और दीव) पहुंचा। दीव से वे गुजरात में बस गए। गुजरात से कुछ लोग मुंबई में बस गए।
 
धार्मिक व सांस्कृतिक दृष्टि से पारसी धर्म व समाज भारतीयों के निकट है। पारसी 9वीं-10वीं सदी में भारत आए, ऐसे ऐतिहासिक प्रमाण हैं। भारत में प्रथम पारसी बस्ती का प्रमाण संजाण (सूरत निकट) का अग्नि स्तंभ है-जो अग्निपूजक पारसीधर्मियों ने बनाया।
 
अब पूरी दुनिया में पारसियों की कुल आबादी संभवत: 1,00,000 से अधिक नहीं है। ईरान में कुछ हजार पारसियों को छोड़कर लगभग सभी पारसी अब भारत में ही रहते हैं और उनमें से भी अधिकांश अब मुंबई में हैं।
 
पहले पारसी लोग कृषि में व बाद में व्यापार व उद्योग में लगे। भारतीय जहाज निर्माण को इन्होंने पुनःजीवित कर योरपियों से भारत को सौंपा। पारसियों द्वारा निर्मित जहाज ब्रिटिश नौसेना खरीदती थी (तब तक भाप के इंजन न थे)। फ्रामजी माणेकजी, माणेकजी बम्मनजी आदि ये पारसी नाम इस संबंध में प्रसिद्ध हैं। 
 
अंगरेज शासन के साथ इन्होंने संबंध सामान्य रखे परंतु अपनी भारतीय मान्यताओं व स्वाभिमान को अक्षत रखकर। उन्होंने भारत को अपना देश मानकर भारतीय स्वतंत्रता का समर्थन किया।
 
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों को करें तर्पण, करें स्नान और दान मिलेगी पापों से मुक्ति

जानिए क्या है एकलिंगजी मंदिर का इतिहास, महाराणा प्रताप के आराध्य देवता हैं श्री एकलिंगजी महाराज

Saturn dhaiya 2025 वर्ष 2025 में किस राशि पर रहेगी शनि की ढय्या और कौन होगा इससे मुक्त

Yearly Horoscope 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों का संपूर्ण भविष्‍यफल, जानें एक क्लिक पर

Family Life rashifal 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों की गृहस्थी का हाल, जानिए उपाय के साथ

सभी देखें

धर्म संसार

01 दिसंबर 2024 : आपका जन्मदिन

धनु संक्रांति कब है क्या होगा इसका फल?

01 दिसंबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

01 दिसंबर 2024 को सुबह एक ही समय नजर आएंगे चांद और सूरज

शनि प्रकोप से मुक्ति के लिए उपाय